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TATANAGAR : साउथ बिहार एक्सप्रेस में यात्री की जांच कर रही थी महिला डॉक्टर, दे दिया सिग्नल, एक किमी पैदल चलकर वापस लौटीं डॉक्टर!

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  • महिला डॉक्टर ने डीआरएम कार्यालय तक पहुंचायी शिकायत, जांच के आदेश  

JAMSHEDPUR. दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेलमंडल ट्रेनों की लेट-लतीफी को लेकर पहचान बना चुका है. यात्रियों की आम धारणा हो गयी है कि समय से चल रही ट्रेन भी इस डिवीजन में आने के बाद घंटों लेट जायेगी. हालांकि नया मामला सूचना देकर रोकी गयी ट्रेन को बिना क्लीयरेंस के सिग्नल देकर रवाना करने को लेकर सामने आया है, जो रेलवे के सुरक्षा-संरक्षा और समय पालन के मंत्र पर भारी पड़ा है. घटना रविवार सुबह की बतायी जा रही है. मामले में डीआरएम ने जांच के आदेश दिये हैं.

घटनाक्रम के अनुसार टाटानगर रेलवे स्टेशन पर आरा से दक्षिण बिहार एक्सप्रेस आकर रुकी थी. सूचना मिलने पर बीमार यात्री की जांच करने रेलवे अस्पताल से महिला डॉक्टर डॉ डोमनिका टोपनाे आयी थी. डॉक्टर अभी यात्री की जांच कर रही थी कि अचानक ट्रेन चल दी. इस ट्रेन में डॉक्टर के साथ उनका सहयोगी ड्रेसर अतुल और ऑन ड्यूटी स्टेशन मास्टर रत्नेश भी थे. तीनों अचानक ट्रेन के रवाना होने से अचंभे में पड़ गये. कारण नियमों के जानकारों तीनों का यह मालूम था बिना क्लीयरेंस के ट्रेन को रवाना नहीं किया जा सकता था.

हालांकि महिला डॉ डोमनिका टोपना ने डिप्टी एसएस से अनुरोध किया कि वह चेन पुलिंग कर ट्रेन को रोके लेकिन ऑन डयूटी स्टेशन मास्टर से तकनीकी पेचिदगियों का हवाला देकर ऐसा करने से मना कर दिया. इस तरह ट्रेन जुगसलाई रेलवे क्रासिंग तक पहुंच चुकी थी. इसके बाद नाराज महिला डॉक्टर डॉ डोमनिका ने सिस्टम को लेकर अपनी नाराजगी जतायी और तब यह मामला चक्रधरपुर डीआरएम तक पहुंच गया. आनन-फानन में ट्रेन को रोका गया.

इस घटनाक्रम से महिला डॉक्टर डॉ डोमनिका टाेपना इतनी नाराज थी ट्रेन से रुकते के बाद वह पैदल ही स्टेशन की ओर चल दीं. उनके साथ उनका सहयोग ड्रेसर अतुल भी था. हालांकि यह मामला अब डिवीजन में चर्चा का विषय बन गया है. महिला डॉक्टर ने पूरे मामले की शिकायत भी लॉग बुक में करनी चाहिए लेकिन अनुनय-विनय कर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया.

ट्रेन रोकने की सूचना थी तो बिना क्लीयरेंस कैसे दे दिया गया दक्षिण बिहार एक्सप्रेस को सिग्नल !

रेलवे परिचालन विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी भी ट्रेन में मरीज की जांच करने की सूचना आरआरआई को दी जाती ताकि ट्रेन को निर्धारित समय तक रोका जा सके. जांच प्रक्रिया के बाद आरआरआई को क्लीयरेंस दिया जाता है इसके बाद भी ट्रेन को आगे बढ़ाने का सिग्नल दिया जाता है. अब सवाल यह उठता है कि इस मामले में कहां चूक हो गयी ? आखिर आरआरआई ने किन परिस्थितियों में दक्षिण बिहार एक्सप्रेस को सिग्नल दे दिया? जब ट्रेन आगे बढ़ गयी तो ऑन डयूटी डिप्टी एसएस ने चेन पुलिंग कर क्यों ट्रेन को नहीं रोका ? इस चूक के लिए कौन लोग जिम्मेदार है और उन पर क्या कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है यह देखने वाली बात होगी?

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