ROURKELA. चक्रधरपुर रेलमंडल के राउरकेला-बंडामुंडा यार्ड में चोरों ने खड़ी दो ट्रैक रिलेयिंग ट्रेन (टीआरटी) से करीब 80 मीटर कॉपर केबल चोरी कर ली है. कांसबाहाल और कुलुंगा रेलवे स्टेशन के बीच मेगा ब्लॉक के दौरान टीआरटी का उपयोग किया जाना था लेकिन कार्य शुरू होने से पहले ही चोरों ने टीआरटी को निशाना बना लिया.
चोरी की रिपोर्ट 20 अक्टूबर को चक्रधरपुर मंडल सुरक्षा आयुक्त को भेजी गयी जिसमें बताया गया कि राउरकेला रेल यार्ड में खड़ी टीआरटी संख्या 09 से करीब 15 सिग्नल केबल काटे गए है. जिनमें से 6 केबल चोरी हो गए है. जिनकी लंबाई लगभग 60 मीटर बताई जा रही है. वहीं, टीआरटी संख्या 06 से 9 बिजली के केबल और 1 सिग्नल का केबल चुराई गई है. जिसकी लंबाई कुल 20 मीटर बताई जा रही है.
अब सवाल यह उठ रहा है कि कड़ी सुरक्षा और निगरानी के बावजूद चोरों ने इसे कैसे अंजाम दिया. घटना उस यार्ड में हुई, जहां आरपीएफ का पहरा होता है. ऐसे में बड़े पैमाने पर हुई चोरी को सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता कारण और चर्चा का विषय माना जा रहा.
अगर चर्चाओं को सही माने तो पहले ही बंडामुंडा रेल यार्ड में अवैध स्क्रैप और कोयले की चोरी का कारोबार फल-फूल रहा है. लोग यह मानते है कि ऐसी चोरियां बिना सुरक्षा एजेंसी के मिलीभगत के संभव नहीं होती. हां इसमें कुछ अपवाद जरूर हो सकते है लेकिन चोरी की हर घटना के बाद यह सवाल जरूर उठता है कि यह लापरवाही है अथवा मिलीभगत के साथ चल रहा संगठित धंधा ?
अभी दो सप्ताह पहले ही बंडामुंडा आरपीएफ के एक जवान को सीबीआई ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था. जवान की गिरफ्तारी के बाद बंडामुंडा इंस्पेक्टर अरुण कुमार टोकस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाये गये. लेकिन कुछ दिनों में इन चर्चाओं पर विराम लग गया लेकिन अचानक यार्ड में चोरी की घटना ने राउरकेला प्रभारी कमलेश समाद्दार और बंडामुंडा आरपीएफ प्रभारी अरुण कुमार टोकस की कार्य प्रणाली को सवालों के घेरे में ला दिया है.
राउरकेला आरपीएफ प्रभारी कमलेश समाद्दार तो पहले से ही कई मामलों को लेकर महकमे में चर्चा का केंद्र बने हुए है. राउरकेला आरक्षण में टिकट की कालाबाजारी में आरपीएफ की सक्रिय भूमिका को लेकर सीआईबी की नजर इन पर रही है लेकिन आपसी घालमेल से गोलमाल चल रहा है. इसके अलावा स्टेशन से लेकर ट्रेनों में अवैध वेंडिंग और गांजा की तस्करी को लेकर भी जिला पुलिस की नजर आरपीएफ पर सख्त है.
इन गितिविधियों के बीच यार्ड में केबुल चोरी ने आरपीएफ की सक्रियता और कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. विभागीय लोग इसे लेकर मौन है लेकिन चर्चाओं में इसे आरपीएफ प्रभारी और सहायक सुरक्षा आयुक्त की कार्य क्षमता पर सवाल माना जा रहा.
















































































