- यूनियन का आरोप है कि अधिकारियों द्वारा लिये जा रहे है मनमाने फैसले
- अफसरों का तर्क – यूनियन दबाव बनाकर चाहती है मनपसंद पोस्टिंग
AMBALA. देश के विभिन्न जोन और डिवीजन में रेल प्रशासन और यूनियन के बीच सौहाद्र की जगह आपसी वैमनस्य बढ़ रहा है. आलम कई जगह अधिकारियों और यूनियन नेताओं में हाथापाई के रूप में सामने आया है. अंबाला में तो रेलवे यूनियन और सीनियर डीसीएम के बीच चल रहा टकराव खींचतान के बाद झड़प में बदल गया. आरोप है कि सीनियर डीपीओ के चेंबर में ही सीनियर डीसीएम निशांत नारायण की पिटाई कर दी गयी. हालांकि केस में दिलचस्प मोड़ तब आया जब सीनियर डीसीएम का ही तबादला भी कर दिया गया.
हालांकि रेल प्रशासन इसके पीछे प्रशासनिक कारण बता रहा है लेकिन यूनियन से विवाद के बीच तबादले ने पूरे मामले में नया रंग दे दिया है. अधिकारी संवर्ग इसे हतोत्साहन की कार्रवाई के रूप में देख रहा. उधर झड़प के बाद सीनियर डीसीएम की ओर से दिल्ली के पहाड़गंज थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. अब पूरी कहानी सीनियर डीपीओ और आरपीएफ के बयान से सामने आयेगी क्योंकि पुलिस के दोनों का बयान अहम होगा.
उधर, रेल प्रशासन ने सीनियर डीसीएम से मारपीट करने के आरोपों दो कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है. मामला रेलवे डिवीजन से लेकर जोन और बोर्ड तक सुर्खियों में है. एक ओर विभागीय जांच तो दूसरी ओर पुलिस की कार्रवाई चल रही है. जानकारों की माने तो पूरा विवाद दिल्ली मंडल में कामर्शियल इंस्पेक्टर के तबादले के बाद शुरू हुआ. सीनियर डीसीएम निशांत नारायण ने सीआई का तबादला किया था. इससे पूर्व भी उनका यूनियन से टकराव जगजाहिर था.
बताया जाता है कि 14 अगस्त को सीनियर डीपीओ ने सीनियर डीसीएम व यूनियन के पदाधिकारियों को समझौता करने को बुलाया था. इसमें विवाद और मारपीट शुरू हो गई. सीनियर डीसीएम ने 18 अगस्त को एफआइआर दर्ज करवाई, जिसके मुताबिक उन्होंने कहा कि सीनियर डीपीओ ने अपने चेंबर में उन्हें बुलाया था. वहां यूनियन के कुछ पदाधिकारी भी थे. सीनियर डीसीएम का कहना था कि दबाव में यूनियन काम करवाना चाह रही थी. इसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया और गहमागमी बढ़ गई और मामला मारपीट तक पहुंचा.
सीनियर डीपीओ का बयान बना सीनियर डीसीएम के तबादले का कारण
यह मामला उत्तर रेलवे के मुख्यालय से लेकर रेलवे बोर्ड तक पहुंच गया है. मुख्यालय के अधिकारियों ने भी इस मामले में संबंधित लोगों से जबाव-तलब किया है. सीनियर डीसीएम ने भी अपना पक्ष रखा है लेकिन चूंकि घटना सीनियर डीपीओ के चेंबर में घटी, इसलिए उनका बयान अहम रहा. बताया जाता है कि सीनियर डीपीओ से घटनाक्रम की जानकारी ली गयी और कुछ समय बाद ही सीनियर डीसीएम का तबादला हो गया. उधर यूनियन नेताओं का कहना है कि लंबे समय से पोस्टिंग और तबादलों को लेकर तनातनी बनी हुई थी. यूनियन का आरोप है कि अधिकारियों द्वारा मनमाने फैसले लिए जा रहे थे. वहीं अफसरों का कहना है कि यूनियन दबाव बनाकर अपनी मनपसंद पोस्टिंग कराना चाहती है.
रेलहंट का प्रयास है कि सच रेल प्रशासन के सामने आये. ऐसे में अगर किसी को यह लगता है उसकी बात नहीं सुनी जा रही है तो वह अपना पक्ष whatsapp 9905460502 पर भेज सकते है, उसे पूरा स्थान दिया जायेगा.















































































