PRAYAGRAJ. आज के ही दिन 172 साल पहले भारत में रेल की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 को हुई थी. वह मुम्बई के लिए ऐतिहासिक दिन था. आज के दिन वहां सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया गया था. दोपहर तीन बज कर पैंतीस मिनट पर 21 तोपों की सलामी के साथ बोरीबंदर से ठाणे के लिए पहली बार 14 डिब्बों की ट्रेन रवाना की गयी थी.
इस ट्रेन में 400 यात्री सवाल थे. ट्रेन को तीन इंजन खींच रहे थे, जिनके नाम थे ‘सिंध, सुल्तान और साहब’. उस ट्रेन ने 34 किलोमीटर का सफर 1 घंटा 15 मिनट में तय किया था. तब से आज तक भारतीय रेल बिना रुके विकास की गति में हर दिन नये आयाम जोड़ती चली जा रही है. रेलवे का हर कर्मचारी हर परिस्थित में रेल परिचालन में जुटा है.
बारिश हो, गर्मी, भयंकर ठंड हो या कोरोना महामारी, हर विषम परिस्थिति में रेलकर्मियों ने रेल को चलाया. इसके बावजूद अब तक रेल कर्मचारी को सेना की तरह से पुरानी पेंशन से वंचित रखा गया है. एक देश-एक सविधान-एक कानून की बात तो कही जाती है लेकिन एक पेंशन पर सभी मौन हैं. रेलवे की मुख्य धुरी रहे रेलकर्मियों को पेंशन से विहीन किया गया है.

रूपम पाण्डेय, सयुंक्त महामंत्री
उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ के सयुंक्त महामंत्री रूपम पाण्डेय इस मौके पर रेलकर्मिया को शुभकामना देते हुए यह उम्मीद जतायी कि सरकार और रेल प्रशासन रेलकर्मियों के हितों से अनेदखी नहीं करेगा. रेलवे को गति देने वाले कर्मठ कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान दिया जायेगा और उनकी परेशानी सुनी जायेगी.
