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East Central Railway : प्रमुख मुख्य विद्युत अभियंता का “शिष्टाचार निरीक्षक” निकला “जालसाज”!, 18 साल बाद पिटारे से बाहर आया ”जिन्न”

  • दैनिक भास्कर के खुलासे से पूरी व्यवस्था हुई तार-तार, एक कर्मचारी के नाम पर दो-दो म्यूचुअल ट्रांसफर
  • लोको पायलटों के इंटर डिवीजन और इंटर रेलवे म्यूचुअल ट्रांसफर में हुआ फर्जीवाड़ा, विजिलेंस भी मौन  

Patna. पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर का विद्युत विभाग जिसका मुख्य कार्य रेलवे को प्रकाशमान रखना है, अपने काले कारनामों से रेलवे में अंधकार व्याप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है, ऐसे ही एक काले कारनामे का पर्दाफाश दैनिक भास्कर ने किया है, अखबार ने पर्दाफाश ही नहीं किया है बल्कि मामले का तार-तार खोल कर रख दिया है क्योंकि मामला भी अनोखा और अनुपम है. मामला 18 साल पहले हुए इंटर डिवीजनल और इंटर रेलवे म्यूचुअल ट्रांसफर का है.

संभवतः भारतीय रेल के इतिहास में यह अनोखा एवं अनुपम मामला इसलिए साबित होगा क्योंकि एक व्यक्ति की जगह पर दो-दो लोगों का म्यूचुअल ट्रांसफर जो संभव ही नहीं है वह कारनामा पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल ने कर दिखाया है. यह मामले में दानापुर और मुगलसराय डिवीजन के अलावा दो रेलवे जोन ECR और WCR के कोटा डिवीजन से जुड़ा हुआ है.

कार्मिक विभाग की भूमिका संदिग्ध, जांच की मांग 

दैनिक भास्कर के खुलासे में यह तथ्य सामने आया है कि लक्ष्मी नारायण पंडित एवं सुरेश चंद्रा के बीच म्यूचुअल ट्रांसफर की प्रक्रिया 02.02.2007 को पूरी हुई. लक्ष्मी नारायण पंडित मुगलसराय से दानापुर मंडल में आ गए और सुरेश चंद्रा मुगलसराय चले गए. इस तरह म्यूचुअल स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी हो गयी. इस बीच WCR के कोटा डिवीजन से रणधीर कुमार सिंह का म्यूचुअल ट्रांसफर सुरेश चंद्रा के साथ 16.07.2007 को पूरा होने की बात सामने आयी.

हालांकि दैनिक भास्कर के खुलासे में यह बात सामने आयी कि म्यूचुअल ट्रांसफर में फर्जीवाड़ा हुआ है. यहां रणधीर कुमार सिंह का म्यूचुअल ट्रांसफर सुरेश चंद्रा के साथ 16.07.2007 को पूरा होने की बात सामने आयी है. इसमें विचारणीय तथ्य यह है कि जब 02.02.2007 को सुरेश चंद्रा का म्यूचुअल ट्रांसफर लक्ष्मी नारायण पंडित के साथ हो चुका है तब 16.07.2007 को रणधीर कुमार सिंह का म्यूचुअल स्थानांतरण सुरेश चंद्रा के साथ कैसे हो गया? इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग अब रेलकर्मी ही कर रहे हैं.

कार्मिक अधिकारी बीके सिंह के कार्यकाल में हुई म्यूचुअल ट्रांसफर की प्रक्रिया

अगर यह  म्यूचुअल ट्रांसफर गलत था और इसमें फर्जीवाड़े हुआ है तो यह बात सामने आती है कि उक्त  दानापुर मंडल के कार्मिक अधिकारी श्री बी के सिंह ही थे जो आज पूर्व मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी हैं.इस मामले में बड़ा सवाल यह उठता है कि कोटा डिवीजन से आये लोको पायलट रणधीर कुमार सिंह को न सिर्फ दानापुर डिवीजन में ज्वाइनिंग दी गयी बल्कि कालबद्ध पदोन्नति का लाभ व प्रभार भी दिया गया. इस तरह म्यूचुअल ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया ही सवालाें के घेरे में आ गयी है. जिसमें बिना पदभार के नियुक्ति, प्रमोशन देने के लिए डिवीजनल कार्मिक विभाग भी निशाने पर आ गया है.

सतर्कता विभाग ने भी क्या मामले को दबाया !

दैनिक भास्कर को दिए गए इंटरव्यू में सुरेश चंद्रा ने बताया है कि उन्हें सतर्कता विभाग के मुख्यालय में बुलाया गया था और उनसे दो व्यक्तियों से म्यूचुअल स्थानांतरण के बारे में सवाल भी किये गये. तब उन्होंने स्पष्ट लिखित दिया था कि उनका लक्ष्मी नारायण पंडित के साथ इंटर डिवीजन म्यूचुअल स्थानांतरण हुआ है. रणधीर कुमार सिंह ने अनैतिक दबाव में कागजात पर हस्ताक्षर करा लिया था. सवाल उठता है कि सारी सच्चाई समाने आने के बावजूद भी किन कारणों से और किसके दबाव में सतर्कता विभाग ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया?

मामला तो गंभीर है और अनोखा है और अनुपम भी, तो कारवाई भी गंभीर, अनोखा और अनुपम ही होनी चाहिए क्योंकि जब ऐसे फर्जी लोग शिष्टाचार देखेंगे तो भ्रष्टाचार की रफ्तार क्या होगी, यह रेलवे विद्युत विभाग में देखा जा सकता है !

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