New Delhi. लोको पायलटों और उनकी यूनियनों ने साप्ताहिक विश्राम के 30 घंटों में 16 घंटे के दैनिक आराम को समायोजित करने के रेल मंत्रालय के हालिया फैसले के खिलाफ कड़ा विरोध शुरू कर दिया है. हालांकि, रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ‘रनिंग रूम’ और ट्रेन इंजन में एसी की उपलब्धता, लोको पायलटों के काम के घंटों की निरंतर निगरानी, रिक्त पदों को भरने के लिए त्वरित भर्ती अभियान समेत कर्मचारियों के हित में कई उपाय किए गए हैं.
कामकाज के घंटों और विश्राम से संबंधित उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी 2013) की स्वीकृत सिफारिशों के कार्यान्वयन और अनुपालन पर विचार-विमर्श करने के लिए रेल मंत्रालय की ओर से गठित एक समिति ने हाल ही में सिफारिश की है कि “आवधिक साप्ताहिक आराम में मुख्यालय में मिलने वाला दैनिक विश्राम भी शामिल होना चाहिए.
लोको पायलटों जैसे ट्रेन संचालन से जुड़े कर्मचारियों की विभिन्न यूनियनों ने आरोप लगाया कि इस सिफारिश ने एचपीसी की 2013 की 40 घंटे के न्यूनतम साप्ताहिक विश्राम की सिफारिश को अमान्य कर दिया है तथा यह कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय के साथ-साथ क्षेत्रीय श्रम आयुक्त के निर्देशों का भी उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि रेलवे सेवक (कार्य के घंटे और विश्राम की अवधि) नियम 2005 समेत सभी श्रम कानूनों में साप्ताहिक विश्राम अनिवार्य है.
‘ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन’ (एआईएलआरएसए) के महासचिव के सी. जेम्स ने कहा, सभी कर्मचारी, चाहे वे निजी या सरकारी प्रतिष्ठानों में कार्यरत हों, साप्ताहिक विश्राम के रूप में न्यूनतम 24 घंटे का आराम करते हैं. इस 24 घंटे के विश्राम के बाद दैनिक विश्राम होता है. उन्होंने कहा, जब कर्मचारी शनिवार को शाम पांच बजे ड्यूटी से छुट्टी लेते हैं, तो उन्हें सोमवार को सुबह नौ बजे ड्यूटी पर लौटना होता है. इस प्रकार, उन्हें सप्ताह में कम से कम 40 घंटे का आराम मिलता है, जिसमें 16 घंटे का दैनिक आराम और 24 घंटे का साप्ताहिक विश्राम शामिल है.
एआईएलआरएसए के दक्षिण रेलवे के अध्यक्ष आर. कुमारेसन ने कहा, “रेलवे कर्मचारी (कार्य के घंटे एवं विश्राम की अवधि) नियम, 2005 में उल्लेखित कामकाज के घंटे और आराम की अवधि के प्रावधान वाले वर्तमान नियमों के अनुसार, 16 घंटे का दैनिक आराम और 30 घंटे का आवधिक आराम निर्धारित किया गया है. उन्होंने कहा, जब अन्य सभी रेलवे कर्मचारियों को साप्ताहिक विश्राम के बाद दैनिक विश्राम की अनुमति दी जाती है, तो ‘रनिंग स्टाफ’ के मामले में 30 घंटे का साप्ताहिक विश्राम देते समय दैनिक विश्राम अवधि को क्यों समाप्त कर दिया जाता है और यह कहा जाता है कि 16 घंटे का दैनिक विश्राम 30 घंटे के साप्ताहिक विश्राम में समायोजित हो जाता है?
उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों के बाद, रेलवे बोर्ड ने घोषणा की कि रनिंग स्टाफ के मामले में मुख्यालय के 16 घंटों के विश्राम को 30 घंटों के साप्ताहिक/आवधिक विश्राम में शामिल कर दिया गया है, तथा उन्हें निर्देश दिया गया कि वे 30 घंटे के साप्ताहिक/आवधिक विश्राम की अवधि पूरी होने पर ड्यूटी पर लौट आएं.