- मॉड ड्रील के बचाव अभियान में रिलेक्स भाव से बातचीत करते दिखे अधिकारी… तो क्या यह थी महज रस्म अदायगी !
KHARAGPUR. किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार करने के लिए, रेलवे और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से मॉक अभ्यास किया. संयुक्त अभ्यास के दौरान राज्य सरकार के अधिकारी भी मौजूद थे. अग्निशमन सेवाओं, राज्य पुलिस, नागरिक सुरक्षा, सेंट जॉन्स एम्बुलेंस, स्काउट्स और गाइड के नागरिक अधिकारियों ने भी बचाव अभ्यास में भाग लिया.
खड़गपुर डिवीजन के संकरेल गुड्स टर्मिनल यार्ड में दुर्घटना स्थल बनाया गया था, जहां पटरी से उतरने की घटना दोहरायी गयी. रेलवे नियंत्रण कार्यालय को सूचना दी गई कि ट्रेन संख्या 00025 (केजीपी-एचडब्ल्यूएच पास स्पेशल) के दो कोच संकरेल गुड्स टर्मिनल यार्ड में सुबह करीब 09.45 बजे पटरी से उतर गए, जिससे यात्रियों को गंभीर चोटें आईं. खड़गपुर और संतरागाछी में सुबह 09.55 बजे हूटर बजाया गया.
संतरागाछी और खड़गपुर से दुर्घटना राहत चिकित्सा उपकरण (एआरएमई), दुर्घटना राहत ट्रेन (एआरटी) और क्रेन मंगवाए गए और यथाशीघ्र राहत कार्य शुरू करने के लिए उन्हें घटनास्थल की ओर रवाना किया गया. खड़गपुर मंडल रेल प्रबंधक केआर चौधरी और अन्य अधिकारी भी तत्काल दुर्घटना स्थल पर पहुंचे. सबसे पहले एनडीआरएफ और रेलवे की बचाव टीमें पटरी से उतरे कोच में घुसी और लोगों को निकालने की प्रक्रिया शुरू की. जहां भी संभव हुआ, कोच के अंदर ही यात्रियों को प्राथमिक उपचार दिया गया.
एआरटी और एनडीआरएफ की टीमों ने यात्रियों को निकालने के लिए रास्ता काटने की विधि अपनाई. मेडिकल टीम ने घायल यात्रियों की सूची बनाई, जिसमें उनकी चोटों की स्थिति और उन अस्पतालों का विवरण था, जहां उन्हें आगे के इलाज के लिए भेजा गया था. प्राथमिक उपचार देते समय या अस्पताल भेजते समय प्रत्येक घायल यात्री की जेब में उनकी पहचान के लिए नाम और मरीज का विवरण दिया गया. आपदा प्रतिक्रिया दल का नेतृत्व सीनियर डीएसओ/केजीपी सुधीर कुमार कर रहे थे. इस अभियान में वाणिज्यिक, एसएंडटी, परिचालन, यांत्रिक, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, आरपीएफ, नागरिक सुरक्षा, सुरक्षा और एनडीआरएफ की टीमों ने भाग लिया. समूह ने ऐसी आपदा स्थितियों के दौरान जान-माल की सुरक्षा पर अपने कौशल का प्रदर्शन किया.
स्थान पर पूछताछ सह क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं बूथ, प्राथमिक चिकित्सा बूथ, अनुग्रह भुगतान बूथ बनाए गए थे. मंडल के सभी प्रमुख स्टेशनों पर तुरंत हेल्पडेस्क भी खोले गए. पूरी कवायद पूरी होने के बाद, डीआरएम खड़गपुर ने कार्रवाई को मॉक एक्सरसाइज घोषित किया.
डीआरएम सर …. यह कैसा बचाव अभियान, हादसे के मॉक ड्रील में अधिकारी रिलेक्स … मुस्करा रहे
हादसों को रेल प्रशासन गंभीरता से लेता है और उसके अनुसार ही बचाव की तैयारियां सुनिश्चित की जाती है ताकि कम से कम जनहानि हो. इसके लिए टॉप टू बॉटम अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय होती है. हादसों के बाद का एक-एक पल कीमती होती है. हर रेलकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर बचाव में जुटा होता है और सामूहिक प्रयास होता है कि अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित बचाया जाये.
इसकी गंभीरता को लेकर ही रेलवे समय-समय पर मॉक ड्रिल कर अपनी तैयारियों को परखती है और अधिकारी से लेकर कर्मचारी के टास्क को सुनिश्चित कराती है. हालांकि शुक्रवार को मॉड ड्रिल में एक तस्वीर रेलवे के तैयारियों की गंभीरता की परत खोलती नजर आयी. बड़े हादसे में बचाव कार्य के बीच दो अधिकारी रिलेक्स मोड में मुस्कराते नजर आये. सवाल यह उठता है कि क्या ये लोग ड्रील का हिस्सा नहीं थे ? इनकी मौजूदगी यह जाहिर कर रही थी कि यह मॉक ड्रील मात्र रस्म अदायगी का हिस्सा है, न कि हादसों में बचाव कार्य का गंभीर रिहर्सल !
