- दानापुर रेलमंडल में संवेदनशील पदों पर रोटेशन ट्रांसफर का नियम हुआ बेमानी
- संवेदक से संविदा शर्तों के अनुसार सेवा मांगने पर चलता किये गये क्रू कंट्रोलर !
- राजगीर में 20 वर्षों से जमे हैं कौशलेंद्र कुमार, सिस्टम को लेकर बढ़ रहा आक्रोश
- सीएलआई की परीक्षा में गड़बड़ी उजागर करने वाले अमित मोहन किये गये रिमूव
PATNA. पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे डिवीजन में लोको पायलटों की विभागीय पदोन्नति की परीक्षा में धांधली पर सीबीआई का डंडा चला है. यहां विभागीय पदाेन्नति परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक करने के आरोपों के बीच सीबीआई ने 09 लोको पायलटों समेत कुछ रेलकर्मियों को भी हिरासत में लिया जो विभागीय परीक्षा में अधिकारियों और लोको पायलटों के बीच सेटिंग के सूत्रधार थे. आशंका जतायी जा रही है कि सीबीआई जांच की आंच अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है.
सीबीआई की DDU DIVISION में धमक की खबर पड़ोसी रेलवे जोन ECR के DNR डिवीजन के लिए बड़ा और चेतावनी वाला संकेत है, जहां तीन साल बाद भी CLI की परीक्षा नहीं हो सकी. हां दो बार परीक्षा का आयाेजन जरूर हुआ लेकिन आवेदनों की लिस्ट में अयोग्य लोगों काे शामिल करने के कारण बार-बार तकनीकी खामी बताकर उसे रद्द करना पड़ा. जो सूची रेलहंट तक पहुंची है उसके अनुसार ऐसे कई आवेदक है जिन्हें कभी विभाग ने योग्य तो कभी अयोग्य करार दिया है.
इस तरह तीन साल में दो बार विभागीय परीक्षा आयोजित तो की गयी लेकिन दोनों बार वह अनियमितता की भेंट चढ़ गयी. तीन साल से CLI प्रमोशन के लिए इंतजार कर रहे योग्य रेलकर्मी अब कुंठा का शिकार हो रहे. सवाल उठ रहा है कि इसके लिए कौन लोग जिम्मेवार है ? ECR/GM और DNR/DRM के स्तर पर इस मामले में क्या कार्रवाई की गयी ? कार्रवाई नहीं की गयी तो इनके मौन के क्या निहितार्थ हैं?
CLI परीक्षा में गोलमाल का संकेत देने वाली सूची (कभी योग्य तो कभी अयोग्य)
यहां दिलचस्प बात यह है कि सीएलआई की विभागीय परीक्षा में बार-बार गड़बड़ी को उजागर करने वाले लोको पायलट अमित मोहन को पहले डिग्रेड फिर विभागीय जांच के दायरे में उलझाकर रिमूव किया जा चुका है. पीड़ित अमित मोहन ने पूछने पर बताया कि विभागीय परीक्षा में गड़बड़ी के लिए विभागी प्रमुख के साथ कार्मिक विभाग भी उतना ही जिम्मेदार है. उन्होंने हर मंच पर यह मामला उठाया लेकिन रेलवे बोर्ड से लेकर सीवीसी और जीएम ईसीआर ने भी इसे गंभीर से नहीं लिया.
एलआर की मांग करने पर लोको पायलट को किया गया निलंबित और ट्रांसफर
दानापुर मंडल में तबादलों को लेकर भी विभागीय आदेश हमेशा से चर्चा में रहे हैं. कहां जा रहा सीनियर डीईई (Op) कार्यालय से अधिकांश आदेश कंट्रोल आर्डर से जारी होते हैं. रेलकर्मियों के अलावा अधिकारी भी दबी जुबान से मानते है कि यहां संवेदनशील पदों पर रुटीन तबादलों में CVC अथवा रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. बताया जाता है कि फतुहा में पदस्थापित एक लोकों पायलट को सिर्फ इसलिए निलंबत कर दिया कि उन्होंने नये क्षेत्र में गाड़ी चलाने के आदेश पर यह कहकर सवाल उठाया था कि उसे एलआर नहीं दिया गया है. उसने सीएलआई की मांग की थी. फिलहाल एक मामले में उन्हें निलंबत कर उनका ट्रांसफर तिलैया कर दिया गया है. बताया जाता है कि यह मामला तो अपवाद मात्र है. विभाग में वरीय मंडल विधुत अभियंता (परिचालन) के कई निर्देश रेलकर्मियों की कार्य दक्षता को प्रभावित कर रहे हैं.
13 माह में चलता किये गये धमेंद्र कुमार
राजेन्द्र नगर स्टेशन के क्रू कंट्रोलर एवं रनिंग रूम इंचार्ज के रूप में धर्मेंद्र कुमार का कार्यकाल 13 माह का रहा. ECR के पांच मंडलों में राजेन्द्र नगर रनिंग रूम का उदाहरण दिया जाता है. कहा जाता है कि यहां नये संवेदक से संविदा शर्तों के पालन को लेकर हुए विवाद के बाद रनिंग रूम इंचार्ज धर्मेंद्र कुमार को तत्काल प्रभाव से वरीय मंडल विधुत अभियंता (परिचालन) ने कार्यमुक्त कर दिया. रेलकर्मियों ने धमेंद्र को हटाये जाने पर यह कहकर सवाल उठाया कि जिसे वर्तमान प्रभार दिया जा रहा है वह पहले से तीन-तीन प्रभार में हैं. सीनियर डीईई की कार्यप्रणाली पर यह कहकर सवाल उठाये जा रहे राजगीर में लगभग 20 वर्षों से कौशलेंद्र कुमार किस नियम से जमे हुए हैं? तो क्या TRS/DNR का पूरा सिस्टम बेपटरी हो गया है!
