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शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक साधना का समग्र अभ्यास है “योग”, भारत को दिलायी वैश्विक पहचान

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2025 पर विशेष (एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग)

योग भारत की प्राचीन परंपरा है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक साधना का एक समग्र अभ्यास है. महर्षि पतंजलि ने अपने अमूल्य ग्रंथ “योगसूत्र” में योग के विभिन्न रूपों को व्यवस्थित किया. योग का शाब्दिक अर्थ है “जोड़ना” अथवा “एकता” – अर्थात् शरीर, मन और आत्मा का समन्वय. योग अभ्यास में आसन (शारीरिक मुद्राएँ), ध्यान (मेडिटेशन) और श्वास नियंत्रण (प्राणायाम) सम्मिलित हैं. यह आठ अंगों में संरचित होता है: यम (संयम), नियम (नियम-अनुशासन), आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार (इंद्रियों का संयम), धारणा (एकाग्रता), ध्यान और समाधि.

वैश्विक स्तर पर अब योग को एक वैज्ञानिक और समग्र स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है. इसके शरीर और मन पर रूपांतरकारी प्रभाव सिद्ध हो चुके हैं – जैसे तनाव, चिंता और अवसाद को कम करना; मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे जीवनशैली संबंधी रोगों से निपटना आदि. यह मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.

डॉ. वी. चन्नमल्लिकार्जुन, आईआरपीएफएस उप-महानिरीक्षक-सह-प्रमुख सुरक्षा आयुक्त/आरपीएफ, उत्तर पश्चिम रेलवे – जयपुर

आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली मन और शरीर दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. जीवनशैली विकार और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ आम होती जा रही हैं और व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र के लिए चुनौती बन चुकी हैं. ऐसे में योग पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है. योग के हृदय स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक मजबूती को बढ़ाने जैसे लाभों को वैज्ञानिक अध्ययनों में प्रमाणित किया गया है.

हमारी सांस्कृतिक विरासत “योग” की मानवता के स्वास्थ्य और खुशी में भूमिका को देखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” घोषित करने का ऐतिहासिक प्रस्ताव रखा. संयुक्त राष्ट्र ने योग के समग्र दृष्टिकोण और इसके वैश्विक स्वास्थ्य लाभों को स्वीकारते हुए, 11 दिसंबर 2014 को एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” घोषित किया, जिसे 175 सदस्य देशों ने समर्थन दिया – यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सबसे व्यापक समर्थन पाने वाले प्रस्तावों में से एक था. 21 जून को इसलिए चुना गया क्योंकि यह उत्तरी गोलार्द्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन (गर्मी की संक्रांति) होता है, जिसका विभिन्न संस्कृतियों में विशेष महत्व है.

पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को पूरे विश्व में उत्साह और धूमधाम से मनाया गया. यह योग को वैश्विक पहचान देने और उसे एक जन आंदोलन में बदलने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ. आज पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति, परंपरा और विरासत – योग – का उत्सव मनाती है. योग को 2016 में यूनेस्को द्वारा “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत” की प्रतिनिधि सूची में भी शामिल किया गया.

भारत सरकार का आयुष मंत्रालय (MoA) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का नोडल मंत्रालय है.

हर वर्ष इसे भिन्न-भिन्न विषयों के साथ मनाया जाता है:

  • 2015 – योग: समरसता और शांति हेतु (नई दिल्ली)
  • 2016 – सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु योग (चंडीगढ़)
  • 2017 – स्वास्थ्य के लिए योग (लखनऊ)
  • 2018 – शांति के लिए योग (देहरादून)
  • 2019 – हृदय के लिए योग (रांची)
  • 2020 – घर पर योग, परिवार संग योग
  • 2021 – स्वास्थ्य के लिए योग
  • 2022 – मानवता के लिए योग (मैसूरु)
  • 2023 – वसुधैव कुटुंबकम के लिए योग (UN मुख्यालय, न्यूयॉर्क)
  • 2024 – आत्म और समाज के लिए योग (श्रीनगर)
  • 2025 – एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग

हर साल 21 जून को कॉमन योग प्रोटोकॉल (CYP) के अनुसार 45 मिनट का सामूहिक योग सत्र स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी संस्थानों, आवासीय सोसायटियों, ग्राम पंचायतों, खेल स्टेडियमों, व्यवसायिक संस्थानों, कंपनियों और सांस्कृतिक संगठनों में आयोजित होता है. विश्व के प्रतिष्ठित स्थलों – जैसे UN मुख्यालय न्यूयॉर्क, ओपेरा हाउस, एफिल टॉवर, ब्रासीलिया का कैथेड्रल आदि – पर भी IDY मनाया जाता है. भारत के प्रधानमंत्री हर वर्ष IDY कार्यक्रमों का नेतृत्व करते हैं. 2022 में “आजादी का अमृत महोत्सव” के तहत 75 प्रतिष्ठित स्थलों पर योग कार्यक्रम आयोजित किए गए. सेना और सुरक्षा बलों द्वारा सियाचिन ग्लेशियर से समुद्र की गहराइयों तक इस दिन को पूरे उत्साह से मनाया जाता है.

IDY एक जन-स्वास्थ्य आंदोलन बन चुका है जो इसकी सार्वभौमिक स्वीकार्यता, स्वास्थ्य, एकता और समरसता को दर्शाता है. आयुष मंत्रालय पूर्व-कार्यक्रमों जैसे संगोष्ठियों, प्रतियोगिताओं और जागरूकता अभियानों का आयोजन करता है. 2015 में 35,000 से आरंभ होकर 2023 में 135+ देशों के 23.4 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया, और कई गिनीज और लिम्का बुक रिकॉर्ड्स बने.

योग का दायरा लगातार और तेजी से बढ़ रहा है. इसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs), स्कूलों, जेलों, कॉर्पोरेट क्षेत्र, और वेलनेस टूरिज्म में अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है. मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (MDNIY) जैसे संस्थानों की स्थापना शिक्षा, अनुसंधान और योग के विकास के लिए की गई है. हर साल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग को बढ़ावा देने वालों को प्रधानमंत्री योग पुरस्कार भी दिए जाते हैं.

भारतीय रेल, जो विश्व की सबसे बड़ी रेल नेटवर्क में से एक है, देश की जीवनरेखा है. 2023-24 में इसने प्रतिदिन लगभग 1.9 करोड़ यात्री और 44 लाख टन माल परिवहन किया. इतनी विशाल रेल संरचना सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील होती है और अनेक चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है.

रेलवे सुरक्षा बल (RPF), जो लगभग 75,000 कर्मियों वाला एक सशस्त्र बल है, रेल संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभाता है. इसके कार्य बहुआयामी हैं – अपराध की रोकथाम और जाँच, अभियोजन, गाड़ियों की एस्कॉर्ट ड्यूटी, आपदा प्रतिक्रिया, महिला सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण, खुफिया जानकारी एकत्र करना, चुनाव ड्यूटी और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय आदि.

RPF के कार्य अत्यधिक कठिन, तनावपूर्ण और मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालने वाले होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए RPF ने योग को अपनी प्रशिक्षण और कार्य संस्कृति में समाहित किया है. योग को केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि आत्मविकास, ऑपरेशनल फिटनेस और तनाव प्रबंधन का समग्र माध्यम मानते हुए इसे नियमित प्रशिक्षण, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं और ऑनलाइन मॉड्यूल के रूप में बढ़ावा दिया गया है. सभी रैंकों के अधिकारी और कर्मचारी इसमें उत्साह से भाग लेते हैं.

जैसे ही हम 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (IDY 2025) की ओर बढ़ रहे हैं, RPF अपने कार्मिकों के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण हेतु प्रतिबद्ध है. बल का आदर्श वाक्य “यशो लभस्व” – अर्थात् “गौरव प्राप्त करो” – प्रत्येक कर्तव्य में अपने कार्मिकों की अदम्य भावना और क्षमताओं को दर्शाता है. योग इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एक प्रभावशाली साधन है – मानसिक स्पष्टता, शारीरिक क्षमता, एकता, समरसता और राष्ट्रीय सेवा का प्रकाशस्तंभ.

इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर, RPF योग के इस प्राचीन अनुशासन को अपनाए रखने का संकल्प दोहराता है.

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