- रेलहंट की सूचना पर 31 मार्च को राउरकेला से चढ़ाया गया 170 किलो केंदू पत्ता जब्त, न हुई जांच, न कार्रवाई
- अवैध कमाई के लिए यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे आरपीएफ के अधिकारी, रेल प्रशासन भी मौन
- रेलवे राजस्व को नुकसान पहुंचाकर हो रही अवैध वसूली, हर स्टेशन पर तय है आरपीएफ-जीआरपी का हिस्सा
ROURKELA. अवैध कमाई के लिए किस तरह आरपीएफ के अधिकारी से लेकर जवान तक यात्रियों की जिंदगी को दांव पर लगाने से नहीं चूकते, इसका खुलासा 31 मार्च की शाम राउरकेला स्टेशन पर नजर आया. 12869 CSMT-HWH EXP में बेखौफ अवैध तरीके से केंदू पत्ता के बोरे ट्रेन में लोड किये गये. हालांकि रेलहंट की सूचना पर SER आरपीएफ मुख्यालय ने मामले में संज्ञान लिया और अवैध तरीके से सुपरफास्ट ट्रेन की जनरल बोगी में चढ़ाये गये केंदू पत्ता के 12 बंडल (लगभग 140 किलोग्राम) चक्रधरपुर में आरपीएफ की टीम ने जब्त कर लिया. यह तो मात्र एक घटना थी. आलम है कि बागडीह से हावड़ा के बीच ट्रेनों में केंदू पत्ता की अवैध तस्करी का खेल आरपीएफ के मौन के बीच सालों से जारी है.

राउरकेला स्टेशन पर जब्त केंदू पत्ता, फोटो सभार टीवी मीडिया
बागडीह से लेकर हावड़ा तक एक्सप्रेस की कौन कहे सुपरफास्ट ट्रेन तक के कोच में अवैध रूप से केंदू पत्ता की असुरक्षित ढुलाई किसी दिन बड़े हादसे का कारण बन सकती है. लगातार ट्रेनों में आगजनी की घटनाओं से इस चिंता को बल मिलता है. एक चिंगारी भी सूखे पत्ते में आग भड़काने के लिए काफी है जो सैकड़ों यात्रियों के जान को संकट में डाल सकती है.
अब सवाल यह उठता है कि आरपीएफ के किस बड़े अधिकारी का संरक्षण इस अवैध लोडिंग को है? यह सवाल इसलिए उठाया जा रहा है कि 31 मार्च को अवैध केंदू पत्ता सुपरफास्ट ट्रेन के चढ़ाने के मामले में अब तक सीनियर कमांडेंट पी शंकर कुट्टी अथवा सहायक कमांडेंट, राउरकेला एडी प्रसाद की ओर से किसी की जिम्मेदारी नहीं तय की गयी है. यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे सेफ्टी से सीधे जुड़े इस मामले में रेल प्रशासन के आला अधिकारी भी मौन हैं.
वन विभाग का भी आरपीएफ से हो चुका है टकराव
वन सामग्री की तस्करी और ट्रेनों में अवैध ढुलाई को लेकर वन विभाग और आरपीएफ के बीच यहां कई बार टकराव हो चुका है लेकिन अवैध कमाई के इस बड़े खेल को रोकने के लिए कोई तैयार नहीं है. वन सामग्री (केंदू पत्ता) की अवैध ढुलाई ट्रेनों की लगातार जारी है. यह पहली बार नहीं हुआ है जब केंदू पत्ता ट्रेन अथवा स्टेशन पर पकड़ा गया हो. झारसुगुड़ा के बाद छोटे स्टेशन बागडीह से आम तौर पर केंदू पत्ता ट्रेनों में चढ़ाया जाता रहा है. यह स्टेशन झारसुगुड़ा आरपीएफ पोस्ट के दायरे में आता है.
हालांकि राउरकेला आरपीएफ पोस्ट का प्रभार कमलेश समाद्दार के संभालने के बाद अवैध वेंडिंग से लेकर केंदू पत्ता की लोडिंग अब बेखौफ राउरकेला स्टेशन से होने लगी है. जिसकी बानगी 31 मार्च को राउरकेला स्टेशन से केंदू पत्ता की लोडिंग और चक्रधरपुर में उसे जब्त किये जाने पर नजर आयी. रेलवे राजस्व को चूना लगा रहे इस कृत्य पर कॉमर्शियल अधिकारियों का मौन भी संदिग्ध है.
रेलहंट की सूचना पर चक्रधरपुर में की गयी RPF की कार्रवाई और एक्शन रिपोर्ट
आरपीएफ के सूत्रों की माने तो केंदू पत्ता की ढुलाई से होने वाली अवैध कमाई पर झारसुगुड़ा और राउरकेला आरपीएफ की नजर है. गांजा तस्करी के मामले में आरपीएफ की गर्दन फंसने के बाद से ही केंदू पत्ता और अवैध वेंडिंग को कमाई का अहम स्रोत आरपीएफ के लोग मान रहे है. जानकारों का कहना है कि बागडीह की जगह राउरकेला स्टेशन तक केंदू पत्ता लाकर चढ़ाने को लेकर झारसुगुड़ा और राउरकेला आरपीएफ प्रभारी के बीच मौन ताना-तानी चल रही है.
अवैध माल पकड़ा गया, जांच-कार्रवाई पर जिम्मेदार मौन !
12869 CSMT-HWH EXP से केंदू पत्ता तो जब्त किया गया, लेकिन इस मामले में रेल प्रशासन की गंभीरता का अंदाजा इसे से लगाया जा सकता है मामले में न जांच हुई न कार्रवाई. केंदू पत्ता स्टेशन में कैस लाया गया, उस समय कॉमर्शियल और आरपीएफ के लोग कहां थे, यह अहम सवाल है जिसकी जांच रेल प्रशासन को करनी है. लेकिन जिम्मेदार लोग इस मामले में मौन हैं.
कॉमर्शियल के लोग इसे सुरक्षा का मामला बताकर आरपीएफ पर टाल रहे तो आरपीएफ के चक्रधरपुर सीनियर कमांडेंट पी शंकर कुट्टी और राउरकेला के सहायक कमांडेंट एडी प्रसाद केंदू पत्ता की तस्करी के मामले में मौन साधे हैं. रेलहंट की ओर जब इस मामले में होने वाली कार्रवाई की जानकारी चाही गयी तो दोनों अधिकारियों की ओर से कोई जबाव नहीं आया.
अगर आपके पास भी ट्रेनों में केंदू पत्ता की लोडिंग, अवैध वेंडरों की गतिविधियों से जुड़ी सूचना हो तो फोटो-वीडियो व साक्ष्य के साथ अपनी बात रेलहंट डॉट कॉम तक, 9905460502 पर फोन कर या वाट्सअप कॉल कर पहुंचा सकते है. हम आपको आश्वस्त करते है कि आपका नाम हर बार की तरह गोपनीय ही रखा जाएगा.
