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सेंट्रल रेलवे के GM विजय कुमार का निधन, … अंतिम संस्कार से पहले ही प्रभारी जीएम ने बुला ली गयी मीटिंग…!

Central Railway GM Vijay Kumar Passed Away : मध्य रेलवे के महाप्रबंधक विजय कुमार का निधन मंगलवार तड़के मुंबई में हो गया. हार्ट अटैक के बाद उन्हें मुंबई स्थित जसलोक अस्पताल ले जाया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके निधन के बाद मध्य रेलवे का अतिरिक्त कार्यभार पश्चिम रेलवे के जीएम विवेक गुप्ता को सौंपा गया है. रेलकर्मियों का कहना है कि जीएम विजय कुमार ने बीती रात ही सुरक्षा और संरक्षा के बिंदुओं पर विस्तृत निर्देश जारी किया था.

विजय कुमार भारतीय रेलवे यांत्रिक इंजीनियर सेवा (IRSME) के 1988 बैच के वरिष्ठ अधिकारी थे. उन्हें  मध्य रेलवे के महाप्रबंधक के रूप में अपना पदभार ग्रहण किए हुए अभी केवल एक महीना ही हुआ था. उन्होंने ठीक 1 अक्टूबर को ही मध्य रेलवे के जीएम का पदभार ग्रहण किया था.

इस बीच स्थानीय मीडिया ”PunekarNews” की खबर, No time to mourn, railway staff question urgency of meeting held before GM Vijay Kumar’s last rites ने रेलकर्मियों को स्तब्ध कर दिया. पता चला कि GM/CR विजय कुमार के असामयिक निधन से मध्य रेल के अधिकारी दुखी थे, इस बीच अतिरिक्त कार्यभार संभालने वाले पश्चिम रेलवे के जीएम विवेक गुप्ता ने अंतिम संस्कार से पहले ही वीसी पर औपचारिक मीटिंग बुला ली. कहां तो यहां तक जा रहा कि यह मीटिंग पूरी रिव्यू मीटिंग के समान थी.

यह भी पढ़ें : Mumbai. विजय कुमार ने Central Railway के महाप्रबंधक का लिया प्रभार, IRSME 1988 बैच के हैं अधिकारी

यह सब ऐसे समय में किया गया जब सेंट्रल रेलवे के अधिकारी दिवंगत जीएम/म.रे. विजय कुमार के निधन को लेकर दुख और शोक में थे और उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी. इस बीच यह मीटिंग बुला ली गयी. यहां यह बात गौरतलब जरूर है कि दिल्ली ब्लास्ट के बाद देश में सुरक्षा को लेकर चिंता है और केंद्र और राज्य सरकारें अलर्ट मॉड में हैं. लेकिन कार्यकारी जीएम ने वीसी में वर्क्स और प्रोजेक्ट्स को फोकस में रखा. सेक्शन में सुरक्षा को लेकर केवल रेलवे बोर्ड के निर्देश की एक बार चर्चा जरूर की. कहा कि ब्रांच ऑफिसर फील्ड पर जाएं तो एक तरफ की यात्रा रेल से करें.

सेंट्रल रेलवे की इस घटना ने रेलवे के सभी जोन में शीर्ष स्तर के अधिकारियों के बीच इस कार्य संस्कृति और सामाजिक दायित्व को लेकर लेकर नयी बहस को जन्म दे दिया है. चर्चा यहां तक होने लगी है कि सालों से रेलवे की सेवा करने वालों के प्रति कोई संवेदना अपने ही सहयोगियों में शेष बची है अथवा नहीं?  लोग यहां तक गये गये कि कार्य दायित्य के नाम पर यह प्रपंच नहीं तो और क्या है ?

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