नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने लोको पायलटों की ड्यूटी के दौरान खाना खाने और शौचालय जाने के लिए समय (ब्रेक) देने की मांग को खारिज कर दिया है. रेलवे बोर्ड ने एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए लंबे समय से लंबित मांगों को नहीं माना. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड ने कहा है कि ड्यूटी के दौरान लोको पायलटों को भोजन और शौच के लिए ब्रेक देना परिचालन की दृष्टि से संभव नहीं है.
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) ने रेलवे बोर्ड के इस फैसले की निंदा की है और कहा है कि समिति की सिफारिशें अवास्तविक और निराधार हैं.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष / मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे पत्र में एआईएलआरएसए के महासचिव केसी जेम्स ने कहा कि समिति लोको पायलटों के काम का मूल्यांकन करने के दौरान ट्रेन की रफ़्तार 110 से 130 किलोमीटर प्रति घंटे बढ़ने के बाद लोको पायलटों के तनाव के स्तर में वृद्धि का आकलन करने में विफल रही. जेम्स ने कहा कि लोकोमोटिव में शौचालय की सुविधा नहीं होना और शौच के लिए ब्रेक न देना अस्वीकार्य है.
एआईएलआरएसए के केंद्रीय संगठन के सचिव वी. बालचंद्रन के अनुसार, कई सुपरफास्ट ट्रेनें लगभग 6-7 घंटे तक बिना रुके चलती हैं. उदाहरण के रूप में उन्होंने कहा, ‘रात 11.10 बजे से विजयवाड़ा में नई दिल्ली-चेन्नई तमिलनाडु एक्सप्रेस की जिम्मेदारी संभालने वाले चालक दल को अगली सुबह 6.35 बजे चेन्नई पहुंचने तक ट्रेन को बिना रुके चलाना पड़ता है.
बालाचंद्रन ने कहा, ‘महिला लोको पायलटों की स्थिति और भी खराब है. अधिक ट्रैफिक वाले मार्गों पर सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों को बीच सेक्शन या किनारे के स्टेशनों पर तब तक नहीं रोका जा सकता जब तक कि कोई आपातकालीन स्थिति न हो.’ उन्होंने कहा कि जब लोको पायलट खाना नहीं खा पाता या शौचालय जाने को नियंत्रित करने में असमर्थ होता है, तब इससे उसका ध्यान भटकता है और वह कम सतर्क होता है.
बालाचंद्रन ने कहा कि इससे पहले खतरे में सिग्नल पार करने वाली ट्रेनों (train passing the signal at danger) के कारण होने वाली ट्रेन दुर्घटनाओं की जांच करने के बाद लोको पायलटों के लंबे काम के घंटों और उनकी कार्य स्थितियों की समीक्षा करने के लिए कई सिफारिशें की गई हैं. एआईएलआरएसए ने लोको केबिन में क्रू वॉयस और वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम लगाने का भी विरोध किया और कहा कि यह निजता का उल्लंघन है.
