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साउथ इर्स्टन रेलवे के पहले ट्रेन कैप्टन बने मिहिर, हावडा-यशवंतपुर दुरंताे में तैनाती

कोलकाता. रेल यात्रा के दौरान यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए भारतीय रेलवे ने ‘ट्रेन कैप्टन’ योजना शुरू की है. योजना के तहत कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों को ‘ट्रेन कैप्टन’ बनाया जा रहा है. ये कैप्टन यात्रियों की सुरक्षा और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे है. दक्षिण पूर्व रेलवे में पहला ट्रेन कैप्टन मिहिर कुमार को बनाया है. वह 12245 हावड़ा-यशवंतपुर दुरंतों के ट्रेन कैप्टन होंगे. पहली बार मिहिर बतौर ट्रेन कैप्टर दुरंतों एक्सप्रेस को लेकर रवाना हुए. ट्रेन की पूरी जिम्मेदारी ट्रेन कैप्टन की होगी. खड़गपुर रेलमंडल के सीनियर डीसीएम कुलदीप तिवारी के अनुसार यात्रियों की आरामदायक और सुरक्षित यात्रा को ध्यान में रखकर शुरू की योजना दक्षिण पूर्व रेलवे में भी अम्लीजामा पहन चुकी है.

ट्रेन कैप्टन एक बैज पहनेंगे, इसके अलावा रिजर्वेशन चार्ट पर उनका नाम और मोबाइल नंबर भी दर्ज होगा. ‘ट्रेन कैप्टन की जिम्मेकारी होगी कि सभी यात्रियों तक सुविधाएं पहुंचें. योजना के तहत उन ट्रेनों में ट्रेन कैप्टन तैनात होंगे, जिनमें ट्रेन सुपरिन्टेंडेंट (टीएस) सिस्टम मौजूद है. राजधानी, शताब्दी और दूरंतो में ट्रेन कैप्टन तैनात किये जा रहे है.

ट्रेन में यात्री सुविधा को बहाल करने की जिम्मेदारी ट्रेन कैप्टन निभायेंगे.  यात्रियों की आरामदायक और सुरक्षित यात्रा को ध्यान में रखकर शुरू की योजना को दक्षिण पूर्व रेलवे में भी अम्लीजामा पहनाया जा चुका है. ट्रेन कैप्टन यात्रा पूरी होने तक हाउसकीपिंग, खान-पान, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और आरपीएफ/जीआरपी दल के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी निभायेंगे.

कुलदीप तिवारी, सीनियर डीसीएम, खड़गपुर

तिनसुकिया मंडल के बाबुल डे ने पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे में बतौर पहले ट्रेन कैप्टन 12423 डिब्रूगढ़-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन का दायित्व सबसे पहले संभाला था. रेलवे बोर्ड ने नेता के तौर पर ट्रेन कैप्टन को नियुक्त करने की अवधारणा को पेश किया है. जिस पर ट्रेन की यात्रा पूरी होने के दौरान हाउसकीपिंग, खान-पान, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और आरपीएफ/जीआरपी दल के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी होगी.

हावड़ा-दीघा एसी सुपर एक्सप्रेस में लगा एलएचबी कोच

हावड़ा-दीघा एससी सुपर एक्सप्रेस को भी एलएचबी कोच में तब्दील कर दिया गया है. अपने तरह की तकनीकी पर आरामदायक और कम झटका देने वाले ये कोच काफी सुरक्षित माने जाते है. इससे पहले दक्षिण पूर्व रेलवे की कई ट्रेनों के कोच को एलएचबी में तब्दील किया जा चुका है. हाल में ही हावड़ा-टाटा स्टील एक्सप्रे को एलएचबी कोच में तब्दील किया गया है.

 

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