- संवेदनशील पदों पर रुटीन तबादलों का नियम नहीं मानता चक्रधरपुर मंडल वाणिज्य मुख्यालय
- गांजा तस्करी पकड़े जाने के बाद भी नहीं रद्द हुई लीज, फिर शुरू हो गयी स्क्रैप की अवैध ढुलाई
ROURKELA. रेलवे में भ्रष्टाचार रोकने और रेलकर्मियों को इसके प्रति जागरूक करने को लेकर 27 अक्टूबर से 2 नवंबर 2025 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया गया. मकसद था रेलवे कार्यालय में भ्रष्टाचार को रोकना और ऐसी गतिविधियों को हर स्तर पर हतोत्साहित करना, लेकिन इसकी बिड़ंबना को उजाकर करती तस्वीर राउरकेला पार्सल कार्यालय से आ रही है जहां बीते कुछ माह या वर्षों में लगातार भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सामने आते रहे हैं.
इस मामले में रोचक तथ्य यह है कि जिस मातहत अधिकारी के तहत चलने वाला कार्यालय भ्रष्टाचार के आागोश में डूबा है उसके मुखिया में चक्रधरपुर रेलमंडल का सीनियर डीसीएम कार्यालय ईमानदारी के प्रतीक माने जाने वाले “हरिशचंद्र” की छवि देखता रहा है. कार्यालय में भ्रष्टाचार के इतने मामले उजागर होने और कई कर्मचारियों की जांच एजेंसियों के गिरफ्त में आने के बाद भी कार्यालय प्रभारी जिन्हें रेलवे की शब्दावली में CPS चीफ पार्सल सुरपवाइजर कहा जाता है, को जस के तस बनाये रखा गया. यहां फिलहाल अशोक पांडेय सीपीएस हैं. यहां गौरतलब बात यह है कि अशोक पांडे रेलवे में आने के बाद से अधिकांश समय राउरकेला पार्सल में ही पदस्थापित रहे हैं.
दिलचस्प यह है कि पूरी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर लगातार सुर्खियों में बने रहने वाले राउरकेला पार्सल कार्यालय की गतिविधियों को लेकर मंडल मुख्यालय मौन है जिसकी कमान सीनियर डीसीएम आदित्य चौधरी के हाथों में हैं. 21 अगस्त 2025 को राउरकेला पार्सल कार्यालय में सीबीआई ने दबिश देकर रेलवे क्लर्क को 7,200 रुपये घूस लेने के आरोप में पकड़ा था. इसके दो माह बाद ही रेल पुलिस ने रेलवे पार्सल के माध्यम से लीज में भेजी जा रही गांजा की बड़ी खेप पकड़ी. लगभग 120 किलो गांजा जिसकी कीमत 35 लाख रुपये से अधिक थी पकड़ी गयी लेकिन दोनों गंभीर मामलों के बावजूद सीनियर डीसीएम कार्यालय ने रेलवे पार्सल से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी तय नहीं की! आलम यह है कि सीनियर डीसीएम की घोषणा के बाद भी गांजा तस्करी में शामिल लीजधारी की लीज रद्द नहीं की गयी अलबत्ता सूचना है कि एक बार फिर से लीज में अवैध रूप से स्क्रैप और दूसरे सामानों की ढुलाई बिना जांच-पड़ताल और वजन के शुरू हो गयी है. यह हाल दूसरे स्टेशनों के पार्सल में भी धड़ल्ले से चल रहा है.
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हालांकि रेलहंट रेलवे पार्सल से गांजा की तस्करी और अवैध रूप से स्क्रैप की ढुलाई को लेकर रेलवे उच्चाधिकारियों और आरपीएफ के जिम्मेदार लोगों को आगाह करता रहा है. यह बताया गया कि गांजा तस्करी का यह खेल राउरकेला और झारसुगुड़ा रेलवे स्टेशन से रेलवे पार्सल के लोगों की जानकारी में आरपीएफ की मिलीभगत से चल रहा है लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इससे पहले 2024 की जनवरी-फरवरी में भी राउरकेला-बिलासपुर पैसेंजर से भेजी गयी गांजा की खेप जयपुर में पकड़ी गयी थी जिसमें यहां के कछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. तब रेलवे पार्सल के अधीक्षक जयदेव मुखर्जी थे. इस मामले में भी पार्सल के लोगों की जिम्मेदारी तय नहीं की गयी थी. यही नहीं राउरकेला में 19 जून 2024 की सुबह 18005 संबलेश्वरी एक्सप्रेस के फ्रंट SLR में ज्वलनशील पदार्थ लाये जाने के दौरान आग लगने से बड़ा हादसा टल गया था. जुलाई में यहां पैकिंग टेंडर खत्म होने के बावजूद काम करने के दौरान गोदाम में आगलगी की घटना के बावजूद CPS पर कार्रवाई नहीं की गयी.
रेलवे पार्सल में चलती है मठाधीशी, विरोध करने वाले ही बना दिये जाते हैं ‘शिकार’
रेलवे पार्सल में पिछले 30 सालों के रिकार्ड से यह प्रतीत होता है कि सभी बड़े स्टेशन पर पार्सल में कुछ लोगों की मठाधीशी चली है. दिखावे के लिए उनका तबादला कुछ समय के लिए जरूर इधर-उधर किया गया लेकिन छह-आठ माह में वह पुराने स्थान पर पदस्थापित कर दिये गये. इसमें पूर्व सीपीएस जयदेव मुखर्जी, अशोक पांडे समेत कुछ ऐसे नाम है जिनका रिकार्ड खंगाल लिया जाये तो सीनियर डीसीएम कार्यालय ही सवालों के घेरे में आ जायेगा. दिलचस्प बात यह है कि CPS का सीधे अधिकारियों से तालमेल होता है, ऐसे में शिकायत करने वालों को या तो मुख्यालय स्तर पर एक्शन दिखाकर मौन करा दिया जाता है नहीं तो उसे साजिश रचकर ‘नाप’ दिया जाता है. राउरकेला पार्सल कार्यालय में सीबीआई की छापेमारी के बाद यह बात सार्वजनिक चर्चा में आयी थी कि ऐसी क्या वजह थी कि सीपीएस ने राजीव नंदन को अचानक रुटीन ड्यूटी से हटाकर दोपहर की ड्यूटी पर लगा दी! यह साजिश का हिस्सा तो नहीं!
27 अक्टूबर से 2 नवंबर 2025 तक मनाये गये सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2025 का मकसद चाहे जो भी रहा हो, रेलवे कार्यालयों में भ्रष्टाचार रोकने को लेकर चक्रधरपुर मंडल सीनियर डीसीएम कार्यालय की प्रतिबद्धता पर सवाल जरूर उठने लगे हैं. यह नजरिया संवेदनशील पदों से ट्रांसफर किये गये एक दर्जन कर्मचारियों को दो माह बाद ही वापस पुराने स्थान पर “पदस्थापित” करने, रेलवे पार्किंग की नियमावली में परिवर्तन कर ठेकेदार को “जुर्माना” का अधिकारी दिये जाने जैसे मामलों में सामने आया है, जिसने कॉमर्शियल मुख्यालय की भूमिका और कार्य प्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. कहां जा रहा है कि सीनियर डीसीएम के नेतृत्व में की जाने वाली मॉनिटरिंग की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होने का खामियाजा स्वच्छ छवि वाले रेलकर्मियों को उठाना पड़ रहा है जो कॉमर्शियल की गिरती छवि को ही रेखांकित करता है….. जारी …
रेलहंट का प्रयास है कि सच रेल प्रशासन के सामने आये. ऐसे में किसी को अपना पक्ष रखना है तो whatsapp 9905460502 पर भेज सकते है, पूरे सम्मान के साथ उसका संज्ञान लिया जायेगा.













































































