- ECR में DDU से DNR तक गहरी है भ्रष्टाचार की जड़ें, निशाने पर Sr DEE और Sr DPO
Lucknow. रेलवे में भ्रष्टचार की जड़ें कितनी गहरी और संरक्षित है इसका अंदाजा लगातार आसान तो है पर उसे साबित कर काफी मुश्किल हो जाता है. कारण रेलवे यूनियनों के नेताओं की दोगली नीति औरअधिकारियों के साथ उनकी जुगलबंदी. इन दो पाटों के बीच पिस जाते है ऐन-केन-प्रकरेण आगे बढ़ने की चाह पालने वाले रेलकर्मी. उन्हें गुमराह करते हैं यूनियन व अधिकारियों वह दलाल जो ड्यूटी से राहत पाने के लिए 8 घंटे की ईमानदार ड्यूटी की जगह 24 घंटे की तलवा चाटने वाली ड्यूटी खुशी-खुशी निभाने को तत्पर रहते हैं.
सीबीआई की रेड में डीडीयू में यही हुआ जब पदोन्नति की चाह में डेढ़ दर्जन से अधिक लोको पायलट जेल पहुंच गये. पैसा गया तो गया प्रतिष्ठा भी गयी. अब उनके पीछे सहयोगी और पूरा परिवार परेशान है, आहत है, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें, कहां जायें. जब कुछ समझ नहीं आया तो लोको पायलट परिवार के साथ डीआरएम कार्यालय पहुंच गये और धरना पर बैठ गये. आक्रोश में लोको पायलटों के परिजनों ने भ्रष्टाचार के लिए जेल भेजे गये Sr DEE सुशांत पाराशर को आरोपित तो किया है डीआरएम राजेश गुप्ता को भी भ्रष्टाचार का संरक्षक करार दे दिया.
12 से 18 घंटे की ड्यूटी वह भी दो भाग में
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन की अगुवाई में डीडीयू मंडल कार्यालय पर किये गये धरना प्रदर्शन में लोगों ने डीआरएम राजेश गुप्ता को घेर लिया और नारेबाजी की. प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाये. कहा कि रनिंग कर्मचारियों से 12 से 18 घंटे की ड्यूटी करायी जा रही है. रिकॉर्ड में यह बात नहीं आये इसलिए उनकी ड्यूटी को दो हिस्सों में दिखाया जाता है. लोको पायलओं की पत्नियों ने डीआरएम की गाड़ी के आगे हंगामा किया, आलम यह रहा कि आरपीएफ जवानों से उनकी कई बार झड़प हुई और तब डीआरएम को आश्वासन देना पड़ा. अब देखना है इस मामले में डीआरएम क्या कदम उठाते हैं ?
दानापुर में दो बार परीक्षा रद्द, लिस्ट में बार-बार बदलाव, मौन क्यों है जीएम
डीडीयू रेलमंडल की तरह ही CLI की पदोन्नति में सेटिंग-गेटिंग का बड़ा खेल हुआ. बार-बार आवेदकों की लिस्ट बदली गयी. कभी उन्हें मान्य तो कभी अमान्य करार दिया गया. यह क्रम तीन साल तक चलता रहा. परीक्षा आयोजन से लेकर आवेदकों के चयन की प्रक्रिया में गड़बड़ी तो सामने आयी लेकिन Sr dEE और Sr DPO से कोई स्पष्टीकरण मांगा गया हो या इस मामले में कोई जांच करायी गयी हो, इसका सार्वजनिक खुलासा नहीं हुआ है. पूरे मामले में जीएम छत्रसाल सिंह मौन काफी विचलित करने वाला हैं. अगर ऐसे में डीडीयू की तरह दानापुर में भी सीबीआई की टीम की धमक हो जाये तो काेई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
रिमूव किये गये अमित मोहन ने Sr dEE(OP)/DNR को भेजा नोटिस
रेलवे से रिमूव फ्रार्म सविर्स किये गये अमीत मोहन ने Sr dEE(OP)/DNR को नोटिस भेजकर 50 से अधिक लोको पायलटों को मूल ड्यूटी नहीं कराकर वेतन व भत्ता के रूप में करोड़ों रुपये के सरकारी राजस्व की क्षति करने का आरोप लगाया है. इसमें कहा गया है कि लोको पायलटों की ड्यूटी में भेदभाव के कारण दूसरे लोको पायलटों पर कार्य का दबाव बढ़ा है और उन्हें 18-18 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ रही है. उन्हें सप्ताह निर्धारित अवकाश नहीं मिल पाता. कार्य दबाव में हर चूक पर उन्हें दंडित किया जाता है. जबकि अक्षम व अयोग्य लोगों को पदोन्नति देकर जिम्मेदार पदों पर बैठाने से रेलवे की संरक्षा खतरे में पड़ रही है.
