NEW DELHI. वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतों को वापस लेकर रेलवे लगातार अपना खजाना भरने में लगा है. रेलवे ने रियायत बंद करने के के बाद पिछले पांच सालों में क्या कमाई की है इसका खुलासा RTI से मांगी गयी जानकारी में किया गया है. यह सूचना सेंटर फॉर रेलवे इंफोर्मेशन सिस्टम (CRIS) से मांगी गयी थी.
सेंटर फॉर रेलवे इंफोर्मेशन सिस्टम (CRIS) की ओर से बताया गया कि रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायतें वापस लेकर पिछले पांच साल में लगभग 8,913 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है. CRIS रेल मंत्रालय के अधीन काम करता है. इसकी सेवाओं में टिकटिंग और यात्रियों के डेटा का विकास और रखरखाव भी शामिल है.
मध्य प्रदेश के RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेलवे से जो सूचना मांगी थी उसमें 20 मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2025 तक का डाटा शामिल है. मार्च माह में किये गये आवेदन से मिली सूचना पर यह निष्कर्ष आया कि लगभग 18.279 करोड़ पुरुष, 13.065 करोड़ महिलाएं और 43,536 ट्रांसजेंडर ने 20 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2025 के बीच यात्रा की. इस मद में रेलवे को रियायत नहीं देने के कारण 8913 करोड़ की अतिरिक्त आय हुई.
मीडिया से बातचीत में चंद्रशेखर गौड़ ने सवाल किया कि “एक आम नागरिक जीवन भर विभिन्न टैक्स का भुगतान करता है और वरिष्ठ नागरिक की उम्र में प्रवेश करते ही क्या वह रेलवे से रियायती रेल टिकट की सुविधा की उम्मीद नहीं कर सकता ?
रेलवे में 60 साल से अधिक आयु के पुरुष, ट्रांसजेंडर और 58 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को 20 मार्च, 2020 से पहले सभी वर्गों के लिए ट्रेन टिकटों पर क्रमशः 40 प्रतिशत और 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण रेल मंत्रालय ने इस रियायत को वापस ले लिया था. इसके बाद लगातार रेल मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायत को बहाल करने का विरोध करता आ रहा है.
19 मार्च, 2025 को लोकसभा में एक लिखित जवाब में वैष्णव ने कहा, “भारतीय रेलवे समाज के सभी वर्गों को सस्ती सेवाएं प्रदान करने का प्रयास करता है और 2022-23 में यात्री टिकटों पर 56,993 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है. यह रेलवे में यात्रा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को औसतन 46 प्रतिशत की रियायत है.”
