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रेलवे के मुख्य अभियंता और पारस रेलटेक के निदेशक की जमानत याचिका अदालत ने की खारिज

  • सीबीआई ने 9 फरवरी को 9,42,500 रुपये की रिश्वत लेने और देने के आरोप में दोनों को गिरफ्तार किया था

JAMMU. विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक (CBI) जम्मू संजय परिहार ने उत्तर रेलवे के मुख्य अभियंता सुमित खजूरिया, जो वर्तमान में कोंकण रेलवे निगम लिमिटेड में प्रतिनियुक्ति पर हैं और मेसर्स पारस रेलटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजेश कुमार जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है.   दोनों को सीबीआई ने 9 फरवरी को क्रमशः 9,42,500 रुपये की रिश्वत लेने और देने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

न्यायाधीश ने याचिकाकर्ताओं को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह सच है कि अपराध की प्रकृति को देखते हुए मूल नियम जमानत हो सकता है और जेल एक अपवाद है. लेकिन अदालत इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती है कि भ्रष्टाचार न केवल एक दंडनीय अपराध है, बल्कि यह मानव अधिकारों को भी कमजोर करता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रणव कोहली, आफताब मलिक और अनन्य गुप्ता खजूरिया की ओर से जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील सेठी और मोहसिन भट ने राजेश कुमार जैन के लिए दलील पेश की. न्यायाधीश संजय परिहार ने जमानत खारिज करते हुए निर्णय दिया कि पूरी निगरानी के बाद अपराध का पता चला है लेकिन रिश्वत की रकम की बरामदगी से खजूरिया के परिसरों से भारी मात्रा में नकदी जब्त हुई है, जिसके लिए यह पता लगाने की जरूरत है कि इतनी रकम उसके कब्जे में कैसे पहुंची. आरोप है कि खजूरिया को अक्टूबर 2024 में जैन द्वारा पहले ही 10 लाख रुपये का भुगतान किया गया था, जो गिरफ्तारी के बाद की छापेमारी में चीफ इंजीनियर के घर से बरामद 73.11 लाख रुपये का हिस्सा है, यह दर्शाता है कि भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने के लिए आरोपियों के बीच लगातार बातचीत हुई है जो सरकारी खजाने के लिए नुकसानदेह है.

ऐसे में याचिकाकर्ताओं को जमानत देने से जांच में बाधा आएगी और ये गवाहों  को प्रभावित कर सकते हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक निरर्थक अभ्यास बन जायेगा. अदालत ने माना कि जमानत देने के लिए एक मजबूत प्रथम दृष्टया फैक्ट सामने नहीं लाया गया है. न्यायाधीश ने लोक अभियोजक की इस बात से सहमति जतायी कि यह एक साधारण मामला नहीं है. साजिश में शामिल अन्य आरोपियों और लोक सेवकों का पता लगाया जाना आवश्यक है. यह सुनिश्चित करेगा कि बड़ी साजिश का पहलू सामने आए.

सुमित खजूरिया उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लाइन परियोजना में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर हैं, जबकि राजेश कुमार जैन मेसर्स पारस रेलटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक हैं और इस प्रकार, दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और चूंकि जांच अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है, इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि इस स्तर पर उन्हें जमानत पर रिहा करने से जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

भ्रष्टाचार के लिए जैन ने खजूरिया को लंबित बिलों के निपटान और सुरंग के मलबे को हटाने से संबंधित अनुमानों को संशोधित करने के लिए दिया था.
सीबीआई ने इस आधार पर जमानत आवेदन खारिज करने की मांग की कि रिकार्ड की गई टेलीफोन बातचीत और अन्य प्रासंगिक साक्ष्यों से संकेत मिलता है कि आरोपियों ने अवैध व्यक्तिगत लाभ के लिए भ्रष्टाचार के अपराध को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रची थी.

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