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नक्सली विस्फोट का खौफ… 72 घंटे के बाद भी बिमलगढ़– किरीबुरु रेल मार्ग पर ट्रेनों का परिचालन नहीं

  • माओवादी द्वारा बम बिछाए जाने की आशंका के कारण ट्रेनों का परिचालन शुरू करने में बनी अनिश्चितता 
  • तीन दिनों से रनिंग रूम में ही बंद हैं रेलकर्मी , मूवमेंट ठप होने  से रेलवे को हर दिन करोड़ों का नुकसान 

CHAKRADHARPUR. आलम यह है की घटना के तीन दिन बाद भी बिमलगढ़ रेलखंड में करमपदा से लेकर किरीबुरू तक ट्रेन मेंटेर्स के पद पर काम करने वाले रेल कर्मियों में खौफ समाया हुआ है. यहां रेलकर्मियों के चेहरे पर खौफ साफ़ तौर पर देखा जा सकता है. बता दें कि पिछले दिनों 2 अगस्त को माओवादी बंदी के दौरान करमपदा और रांगड़ा के बीच माओवादी विस्फोट से रेल पटरी क्षतिग्रस्त हो गई थी. जबकि एक रेलकर्मी की मौत हो गई थी और दूसरा रेलकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया था.

इस रेलखंड के करमपदा, रांगड़ा, किरीबुरू आदि स्टेशनों में खौफ का सन्नाटा देखा जा रहा है. बताया गया कि रेल पटरी पर माओवादी द्वारा बम बिछाए जाने की आशंका के कारण ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं किया जा सका है. करमपदा रनिंग रूम में पिछले तीन दिनों से दो दर्जन से अधिक रेल चालक और रेलवे ट्रेन मैनेजर कैदी की तरह पड़े हुए हैं. रनिंग रूम में मौजूद इन रेल कर्मियों को रेलवे के द्वारा दिशा निर्देश जारी करते हुए बाहर नहीं निकलने की सख्त हिदायत दी गई है. जिस कारण रेलकर्मी पिछले तीन दिनों से रनिंग रूम में ही बंद हैं. और इस बात से परेशान हैं कि उन्हें कब रनिंग रूम से बाहर निकलने का मौका मिलेगा.

ट्रेक मेंटेनरों पर पटरी जांच का दबाव, सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता 

इधर करमपदा स्टेशन में मौजूद तक़रीबन 60 ट्रेक मेंटेनर पर लगातार दोबारा पटरी पर जाकर काम करने का दबाव बनाया जा रहा है. रेल कर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि तीन दिन बाद भी रेल पटरी की सुरक्षा जांच नहीं हुई है. आरपीएफ भी मौके पर नहीं पहुंची है. पटरी जांच के लिए ना तो डॉग स्क्वायड टीम को लगाया गया ना ही मेटल डिटेक्टर से रेल पटरी की सुरक्षा जांची गई है. लेकिन इसके बावजूद उन्हें रेल पटरी पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वे सभी अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं. रेल पटरी को बिना जांच किए फिट घोषित किया जा रहा है. उन्हें काम पर लगाने के लिए धमकी भी दी जा रही है. अधिकारियों के द्वारा धमकी दी रही है कि अगर वे सभी काम पर नहीं लौटेंगे तो उन्हें सस्पेंड तक किया जा सकता है.

रेलवे अधिकारियों की गैरमौजूदगी से रेल कर्मियों का टूट रहा मनोबल !

वहीँ मंगलवार को रेल पटरी की सुरक्षा जांच करने के लिए की किरीबुरू से रंगड़ा तक एक टावर वैन को भी चलाया गया है. इसके बाद एक लाइट इंजन को चलकर रेल पटरी की सुरक्षा जांच करने की बात सामने आ रही है. इधर रेल कर्मियों का आरोप है कि तीन दिन बाद भी करमपदा स्टेशन में एक भी रेल अधिकारी उनकी ना तो हाल-चाल पूछने आया और ना ही नक्सल प्रभावित इस इलाके में भौतिक सत्यापन के साथ स्थिति की जांच करने की जहमत उठाइ. जिससे रेल कर्मियों का मनोबल अब बिमलगढ़ सेक्शन में टूटता नजर आ रहा है.

रनिंग रुम में मंथन करते रेलकर्मी

यहां काम करने वाले छोटे रेल कर्मियों को अब ऐसा लगने लगा है कि उन्हें मौत के मुंह में धकेल धकेल कर रेल अधिकारी केवल माल लोडिंग के टारगेट को पूरा करने की होड़ में लगे हुए हैं. जबकि उनके जैसे छोटे कर्मचारियों की सुधि लेने वाला, उनकी जान माल की सुरक्षा के बारे में सोचने वाला कोई भी अधिकारी चक्रधरपुर रेल मंडल में मौजूद नहीं है. इधर बिमलगढ़ क्षेत्र में तीन दिनों से ठप्प पड़े रेल परिचालन से रेलवे को करोड़ों का नुकसान हर दिन हो रहा है.

बता दें कि चक्रधरपुर रेल मंडल का यह रेल लाइन मुख्य रूप से माल ढुलाई के लिए के लिए महत्वपूर्ण है. भारी मात्रा में इस रेलखंड से रोजाना कोयला, लौह अयस्क की ढुलाई रेलवे से होती है. जिससे चक्रधरपुर रेल मंडल को करोड़ों का मुनाफा हर दिन होता है. लेकिन अचानक हुए माओवादी हमले ने चक्रधरपुर रेल मंडल के इस रेलखंड पर रेल परिचालन ठप पड़ा है. जिससे माल ढुलाई भी ठप्प पड़ गई है और रेलवे को भारी नुकसान हो रहा है.

रेलकर्मियों की सुरक्षा उनकी चिंता, बिना सुरक्षा रेलकर्मियों को पटरी पर भेजना अनुचित 

रेल कर्मियों को अपनी जान की चिंता और लगातार हो रहे रेलवे को नुकसान के बीच बिमलगढ़ क्षेत्र में ट्रेन परिचालन की हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं. मेंस यूनियन के नेता एमके सिंह ने बताया कि उन्होंने मंडल के सीनियर डीईईएन कोऑर्डिनेशन से वार्ता की, जिसमें उन्होंने उन्हें बताया है कि टावर वैन चला कर पटरी की जांच की जा रही है.

एमके सिंह, को-ऑर्डिनेटर, SERMU

इसके बाद रेल कर्मियों को पटरी पर काम पर लगाया जाएगा और पटरी पर ट्रेनों का परिचालन फिर से शुरू किया जाएगा. एमके सिंह ने बताया कि वे लगातार वरीय रेल अधिकारियों के संपर्क में हैं  ताकि रेल कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही नक्सल प्रभावित बिमलगढ़ रेलखंड में दोबारा माल ढुलाई का काम शुरू हो पाए. सुरक्षा फिट दिए बिना किसी भी रेलकर्मी को पटरी पर काम करने नहीं दिया जायेगा.

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