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PM MODI LIVE : जो देश अपनी विरासत नहीं संजो पाता, वो अपना भविष्य भी खो देता है : नरेंद्र मोदी

  • 85,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल परियोजनाओं की आधारशिला
  • 10 नयी वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई

AHMEDABAD. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 85,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज जब भारत आजादी के अमृतकाल में नए कीर्तिमान गढ़ रहा है, आज जब भारत जमीन से अंतरिक्ष भटक नई ऊंचाइयां छू रहा है. आज जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो महात्मा गांधी की ये तपोस्थली हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है.

प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद-मुंबई मध्य, सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम, मैसूरु-डॉ एमजीआर मध्य ( चेन्नई ), पटना-लखनऊ, न्यू जलपाईगुड़ी-पटना, पुरी-विशाखापत्तनम, लखनऊ-देहरादून, कलबुर्गी – सर एम विश्वेश्वरैया टर्मिनल बेंगलुरु, रांची-वाराणसी और खजुराहो- दिल्ली (निजामुद्दीन) के बीच 10 नयी वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई.

इस मौके पर उन्होंने कहा कि सदियों की गुलामी के कारण जो देश हताशा का शिकार हो रहा था, उसमें बापू ने आशा भरी थी, विश्वास भरा था. आज भी उनका विजन हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य के लिए एक स्पष्ट दिशा दिखाता है. पीएम मोदी ने कहा कि जो देश अपनी विरासत नहीं संजो पाता, वो देश अपना भविष्य भी खो देता है. बापू का ये साबरमती आश्रम, देश की ही नहीं, बल्कि मानवजाति की ऐतिहासिक धरोहर है. आजादी के बाद जो सरकारें रहीं, उनमें देश की ऐसी विरासत को बचाने की न सोच थी और न ही राजनीतिक इच्छाशक्ति थी. एक तो विदेशी दृष्टि से भारत को देखने की आदत थी और दूसरी तुष्टिकरण की मजबूरी थी. जिसकी वजह से भारत की विरासत, हमारी महान धरोहर ऐसे ही तबाह होती रही. अतिक्रमण, अस्वच्छता, अव्यवस्था आदि ने हमारी विरासतों को घेर लिया था.

उन्होंने कहा कि आज 12 मार्च की ऐतिहासिक तारीख भी है. आज के ही दिन बापू ने स्वतंत्रता आंदोलन की धारा को बदला और दांडी यात्रा स्वतंत्रता के आंदोलन के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गई.आजाद भारत में भी ये तारीख ऐसे ही ऐतिहासिक अवसर के नए युग का सूत्रपात करने की गवाह बन चुकी है. 12 मार्च, 2022 को इसी साबरमती आश्रम से देश ने आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया था. दांडी यात्रा ने आजाद भारत की पुण्यभूमि तय करने में एक अहम भूमिका निभाई थी और अमृत महोत्सव के शुभारंभ ने अमृतकाल में भारत के प्रवेश का श्रीगणेश किया. अमृत महोत्सव ने देश में जन-भागीदारी का वैसा ही वातावरण बनाया, जैसा आजादी से पहले दिखा था.

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