मुंबई. बांबे हाई कोर्ट ने दैनिक यात्रियों के हित में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति खचाखच भरी ट्रेन में चढ़ने की कोशिश के दौरान गिरकर घायल हो जाता है तो यह प्रतिकूल घटना के दायरे में आएगा. ऐसे मामलों में रेलवे को मुआवजा देना चाहिए. पश्चिम रेलवे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मामला रेलवे अधिनियम की धारा 124 (ए) के प्राविधानों के तहत नहीं आता, जिसमें कहा गया है कि अप्रिय घटनाओं के मामलों में मुआवजा देना होगा। रेलवे ने कहा कि याचिकाकर्ता नितिन हुंडीवाला ने चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की.
न्यायमूर्ति डांगरे ने रेलवे के इस तर्क को मानने से इन्कार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह मामला अधिनियम की धारा 124 (ए) के तहत ‘अप्रिय घटना’ के दायरे में आता है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दुर्घटना से वह आज तक परेशान हैं. पश्चिम रेलवे से मुआवजे में 4 लाख रुपये की मांग करने वाली हुंडीवाला की प्रारंभिक मांग को रेलवे दावा न्यायाधिकरण (आरसीटी) ने जुलाई 2013 में इस आधार पर ठुकरा दिया था कि उन्होंने एक चलती हुई लोकल ट्रेन में चढ़ने के लिए एक “नासमझ और आपराधिक कृत्य” का सहारा लिया था.
मुंबई लोकल ट्रेन के संदर्भ न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने पश्चिमी रेलवे को 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को तीन लाख रुपये हर्जाने के तौर पर देने के निर्देश दिए. वे खचाखच भरी एक लोकल ट्रेन से गिर गए थे और उनके पैरों में चोट आई थी.