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Tatanagar : रेलवे पार्सल पार्किंग में कर्मचारी और एजेंट में झड़प, टकराव की स्थिति, अवैध वसूली के भी आरोप!

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  • पार्किंग टेंडर की अवधि पूरी होने वाली है लेकिन अब तक कंप्यूटरीकृत टिकट प्रणाली नहीं हुई शुरू 

JAMSHEDPUR. टाटानगर रेलवे पार्किंग को लेकर हर दिन हो रहे हंगामे के बीच यहां पार्सल पार्किंग में भी हंगामे की सूचना मिली है. गुरुवार की सुबह रेलवे पार्सल पार्किंग के ठेकेदार के कर्मियों से पार्सल एजेंट मैनुल खान की झपड़ हो गयी. मैनुल का कहना है कि पार्किंग गेट के बाहर स्कूटी खड़ी कर वह पार्सल कार्यालय जा रहा था तभी पार्किंग कर्मी कुंदन ने उससे पार्किंग शुल्क देने की मांग की. इस बात पर दोनों के टकराव होने लगा. वहीं दूसरी ओर बताया जाता है कि एजेंट का पार्किंग कर्मचारी से पूर्व विवाद में यह झड़प की स्थिति आयी है.

मैनुल खान के अनुसार उसने अपनी स्कूटी पार्किंग क्षेत्र से बाहर लगायी थी. लेकिन कर्मचारी ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया. आलम मारपीट तक पहुंच गयी. हालांकि किसी तरह वहां मौजूद आरपीएफ के जवान ने दोनों को अलग किया. आरोप है कि पार्किंग में कंप्यूटराइज टिकट की देने के प्रावधान है लेकिन दो साल बाद भी यहां यह नियम लागू नहीं हो सका है. इसे लेकर रेलवे वाणिज्य विभाग के जिम्मेदार लोगों पर सवाल उठाये जा रहे हैं. हालांकि आरोप पर अब तक पार्किंग ठेकेदार का पक्ष नहीं मिल सका है.

 

क्या कहता है एजेंट, जाने  

दिलचस्प बात यह है कि पार्सल गेट से भीतर पैसेंजर ऑटो आते है और यहीं से आम यात्री उस पर सवार होकर बाहर निकल जाते हैं. ऑटो चालकों से पार्किंग शुल्क की वसूली की जाती है. इन ऑटो में पेसेंजर चढ़ाने का काम यहां होता है जबकि रेलवे ने गेट को बंद रखने और इस गेट से यात्रियों की आवाजाही पर रोक लगा रखी है. आम यात्रियों को इस गेट से नहीं निकलना है. हालांकि इस पर यदा-कदा आरपीएफ  की पहल पर रोक लगायी जाती है लेकिन आम तौर पर यात्रियों के लिए यह गेट खुला होता है जो ओवरब्रिज मेन रोड के जाम का कारण भी बनता है.

पार्किंग में होता है जमावड़ा, नशा का सेवन

जानकारों का कहना है कि पार्सल पार्किंग में रात के अंधेरे में बाहर के लोगों की मौजूदगी आम होती है. यहां लोग नशा का भी सेवन करते है. इस मामले में आरपीएफ के अधिकारियों का कहना है उनके संज्ञान में बात आयी है. इस मामले में कार्रवाई की जायेगी. यहां शुल्क वसूली और दूसरे कार्य वाणिज्य विभाग की देखरेख में संचालित होते हैं. इसलिए इस विवाद को कॉमर्शियल अधिकारी ही देखेंगे.

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