नई दिल्ली. भारतीय रेल ने 200 विद्युत् इंजनों के निर्माण और सप्लाई के लिए 5000 करोड़ रुपये का ग्लोबल टेंडर निकाला है, जिसे हासिल करने के लिए पांच बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी रुचि दर्शाई है. रेलवे ने यह टेंडर हाई हॉर्स पॉवर वाले 200 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की मैन्युफैक्चरिंग के लिए निकाला है. रेलवे द्वारा इन हाई हॉर्स पॉवर लोकोमोटिव का इस्तेमाल वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर भारी माल ढुलाई के लिए किया जाएगा.
इस ग्लोबल टेंडर की शर्तों के अनुसार भारतीय रेल को 200 इलेक्ट्रिक लोको की जरूरत है, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 9000 हॉर्स पॉवर होने की पहली शर्त है. इनके जरिए 1,534 किमी लंबे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडार के डबल ट्रैक पर दादरी से मुंबई के दरम्यान माल की ढुलाई की जाएगी. वेस्टर्न डीएफसी दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा.
टेंडर की शर्तों के अनुसार सफल मैन्युफैक्चरर को चितरंजन, पश्चिम बंगाल स्थित चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) में 190 विद्युत् लोको का निर्माण करना होगा. टेंडर की शर्तों में तकनीकी हस्तांतरण का भी एक प्रमुख प्रावधान है. शर्तों के अनुसार बाहर से सिर्फ 10 इंजनों का आयात किया जा सकेगा, बाकी इंजनों का निर्माण सीएलडब्ल्यू में तकनीक हस्तांतरण के साथ करना होगा. इसके अलावा सफल कंपनी को रेवाड़ी में एक मेंटीनेंस डिपो भी स्थापित करना होगा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस महत्वपूर्ण एवं महंगे प्रोजेक्ट में अब तक सीमेंस, बॉम्बाडियर, अल्सटॉम, बीएचईएल-ईएमडी और तोशिबा-सीआरआरसी नामक पांच बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने रुचि दर्शाई है और 15 मार्च को अपने आवेदन जमा कराए हैं. प्री-क्वॉलिफिकेशन बिड के लिए 15 मार्च आखिरी तारीख थी. रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अप्रैल के अंत तक इन कंपनियों द्वारा अपनी प्राइस बिड सौंपी जाएगी. अधिकारी का कहना था कि इस साल दिसंबर तक यह कॉन्ट्रैक्ट फाइनल हो जाने की पूरी उम्मीद है.
ज्ञातव्य है कि रेलवे ने हाई पॉवर लोकोमोटिव के लिए जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के साथ ऋण शर्तों में संशोधन के बाद ग्लोबल टेंडर जारी किया था. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) की पूरी फंडिंग जापान द्वारा की जा रही है. पहले हुए समझौते के तहत वेस्टर्न डीएफसी के लिए जापानी कंपनियों से ही लोको की खरीद की जानी थी. रेलवे ने दो साल पहले टेंडर जारी करके इस प्रोजेक्ट के लिए जापानी कंपनियों से रुचि प्रस्ताव मंगाए थे, परंतु तब यह टेंडर प्रक्रिया लोको की लागत तय करने को लेकर अटक गई थी.
तब जापानी कंपनियों ने प्रत्येक लोकोमोटिव के लिए 50 करोड़ रुपये की कीमत मांगी थी, जिसे रेल मंत्रालय द्वारा बहुत अधिक माना गया था. रेल मंत्रालय ने यह कीमत घटाकर आधी करने को कहा था, मगर जापानी कंसोर्टियम कीमत घटाने के लिए तैयार नहीं हुआ. ऐसे में उक्त टेंडर रद्द करना पड़ा था. तत्पश्चात संशोधित ऋण शर्तों के तहत नए सिरे से उपरोक्त ग्लोबल टेंडर जारी किया गया है.
इस बार पांच ग्लोबल कंपनियां प्रतिस्पर्धा में हैं. रेलवे बोर्ड का मानना है कि इस बार दरें काफी प्रतिस्पर्धी होंगी. ज्ञातव्य है कि कुल 3373 किमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रेल मंत्रालय का एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है. इसका उद्देश्य माल ढुलाई की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए इसके लिए एक अलग रेलवे ट्रांसपोर्ट सिस्टम तैयार करना है. वेस्टर्न डीएफसी (1534 किमी) मुंबई में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से तुगलकाबाद और दादरी तक, जबकि ईस्टर्न डीएफसी (1839 किमी) लुधियाना (पंजाब) से दंकुनी, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) तक है. सरकार ने हाल ही में संसद में इन दोनों कॉरिडोर के 2020 तक पूरा होने की बात कही है.
रेलवे समाचार से