New Delhi. रेलवे की ओर से सभी श्रेणियों की कुल सीट से केवल 25 प्रतिशत वेटिंग टिकट जारी करने के फैसले का असर रेलवे कर्मचारियों को भारी पड़ने लगा है. आलम यह है कि रेलवे के इस निर्णय का विरोध अब रेलकर्मी ही करने लगे हैं. रेलवे टिकट बुकिंग, जांच से जुड़े वाणिज्यिक अधिकारियों ने नयी नीति को गैर-लाभकारी और यात्रियों के लिहाज से असुविधाजनक करार दिया है.
हालांंकि रेल मंत्रालय ने इस निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा है कि कुल प्रतीक्षारत यात्रियों में से औसतन एक-चौथाई से भी कम यात्रियों की सीट ‘कंफर्म’ हो पाती है और इसी को ध्यान में रखते हुए 25 प्रतिशत की सीमा तय की गई है. यह निर्णय काफी सोच-समझ और पूरे अध्ययन के बाद लिया गया है.
रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने कहा कि प्रतीक्षा सूची में शामिल यात्रियों की सीट ‘कंफर्म’ होने के तरीके का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के बाद यह निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि पहले आरोप लगते थे कि रेलवे बहुत से यात्रियों को ‘वेटिंग’ श्रेणी में सीट बुक करने की अनुमति देता है, जिससे ट्रेनों में भीड़ हो जाती है.
इकसे बाद लोग आरोप लगते थे कि रेलवे ने टिकट रद्द करने पर पैसा कमाया. इन आरोपों का खंडन करते हुए कुमार ने कहा कि रेलवे को आर्थिक लाभ की अपेक्षा यात्रियों की सुविधा की अधिक चिंता है.
रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने 16 जून को रिजर्वेशन सुविधाओं वाली ट्रेनों के लिए फैसले को लागू किया था. मंत्रालय ने एक परिपत्र के माध्यम से सभी प्रमुख मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों और सीआरआईएस के प्रबंध निदेशक को अपने इस फैसले के बारे में बताया था, जिसके दो महीने बाद इसे लागू करने का फैसला किया गया. नये प्रतीक्षा मानदंडों के क्रियान्वयन के एक सप्ताह बाद विशेषज्ञों के एक वर्ग के साथ-साथ रिजर्वेशन अधिकारियों ने भी इस निर्णय को अव्यावहारिक करार दिया.
वेटिंग नहीं करा पाने के कारण खाली जा रही आपातकालीन कोटे की सीटें
रेलवे आरक्षण में वेटिंग प्रतिशत को लेकर रेलकर्मियों की परेशानी भी बढ़ गयी है. रेलकर्मियों का कहना है कि आम तौर पर उन्हें छुट्टियां ही अंतिम समय में मिलती है ऐसे में पूर्व से आरक्षण करा पाना उनके लिए संभव नहीं होता. अवकाश स्वीकृत होने के बाद जब वह टिकट लेने का प्रयास करते हैं तब तक आरक्षण की प्रतीक्षा सूची भी खत्म हो चुकी है और सिस्टम REGRET बताने लगता है. ऐसे में उनके सामने कोई विकल्प नहीं रह जाता. रेलवे की इस नयी व्यवस्था से सबसे अधिक परेशानी रेलकर्मियों को ही हो रही है. जो प्रतीक्षा सूची में टिकट लेने के बाद आपातकालीन कोटे “HO” से आरक्षण कंफर्म कराकर यात्रा कर लेते थे. इस सुविधा का लाभ पैरवी और पहुंच वालों को भी मिलता था. लेकिन आरक्षण के प्रतीक्षा सूची को 25 फीसदी करने के बाद विभिन्न जोन और स्टेशनों पर तय की गयी आपातकालीन कोटे की सीट भी खाली जा रही है. इसे आधार बनाकर रेलकर्मी पुरानी व्यवस्था को यात्रियों का हित बताकर लागू करने की मांग कर रहे हैं.
