- रेल सेवा अनुशासन एवं अपील नियम 14(2) के तहत सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की गयी
- यूनियन का आरोप – निजीकरण योजना में रेल प्रशासन रेलकर्मियों की बली लेने का प्रयास कर रहा
रेलहंट ब्यूरो, इलाहाबाद
रेलवे यूनियनों के दो फेडरेशन से जुड़े आला नेता निजीकरण और निगमीकरण को लेकर लगातार आंदोलन की चेतावनी दे रहे है और सरकार धीरे-धीरे अपनी योजना को आगे बढ़ा रही है. 150 से अधिक निजी ट्रेनों के परिचालन को हरी झंडी के बीच 30 साल की सेवा और 55 वर्ष की उम्र सीमा में सर्विस रिव्यू की घोषणा को रेल प्रशासन धीरे-धीरे अमलीजामा पहना रहा है. रेलकर्लमियों के एक बड़े तबगे का मानना है कि निजीकरण की आड़ में कोई न कोई बहाना बनाकर रेल प्रशासन रेलकर्मियों की बली लेने का प्रयास कर रहा है. इस क्रम विंध्याचल के निकट पांच फरवरी को इलाहाबाद आ रही मालगाड़ी के लोको पॉयलट अशोक कुमार सिंह यादव और असिस्टेंट लोको पॉयलट चंदन वर्मा की सेवा सिग्नल ओवर शूट के आरोप में समाप्त कर दी गयी है. यह कार्रवाई नियम 14/2 के तहत कार्रवाई की गई.
यूनियन नेताओं का कहना है कि जिन कारणों से रेलकर्मियों की रेल सेवा समाप्त की गई, उसमें रेलकर्मियों को सफाई तक का मौका नहीं दिया गया. महाप्रबंधक एनसीआर के समक्ष आपत्ति दर्ज की जाएगी. इसके पूर्व 27 जनवरी को चुनार स्टेशन के स्टेशन मास्टर संजीव कुमार की सेवा समाप्त कर दी गयी थी. स्टेशन मास्टर पर आरोप है कि इंजीनियरिंग की ओर से लिया गया ब्लॉक तय समय से पहले खोल दिया था. इन तीनों ही प्रकरणों में नियम 14/2 के तहत कार्रवाई की गई. नार्थ सेंट्रल रेलवे इंपलाइज संघ के महामंत्री आरपी सिंह ने रेलवे की इस कार्रवाई पर अपना विरोध दर्ज कराया है. उनका कहना है कि नियम 14/2 के तहत कार्रवाई करने में जल्दबाजी बरती गई. कम से कम इन तीनों ही प्रकरणों में पहले संबंधित रेलकर्मियों के बयान लेने चाहिए थे, उन्हें चार्जशीट दी जानी चाहिए थी. अचानक सेवा समाप्ति का निर्णय समझ से परे है. वहीं नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के महामंत्री आरडी यादव ने कहा कि कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी.
मालगाड़ी के लोको पॉयलट अशोक कुमार सिंह यादव और असिस्टेंट लोको पॉयलट चंदन वर्मा की सेवा सिग्नल ओवर शूट के आरोप में समाप्त कर दी गयी है. यह कार्रवाई नियम 14/2 के तहत कार्रवाई की गई. रेल सेवा अनुशासन एवं अपील नियम 1968 के नियम 14(2) के तहत कर्मचारी को सेवा से(तत्काल प्रभाव से नौकरी से)तुरंत निकालने का प्रावधान है. इसमें किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं होती है.
विंध्याचल के निकट पांच फरवरी को इलाहाबाद आ रही मालगाड़ी को चला रहे लोको पॉयलट और असिस्टेंट लोको पॉयलट को सिग्नल ओवर शूट के मामले में भले ही रेल प्रशासन ने उनकी रेल सेवा समाप्त कर दी हो, लेकिन इस मामले में चर्चा है कि मालगाड़ी के ब्रेक में उस दिन कुछ खामी आ गई थी. चालक ने लाल सिग्नल देखते हुए ब्रेक लगाया भी, लेकिन खामी होने की वजह से सिग्नल ओवर शूट हो गया. हालांकि रेल प्रशासन इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है. रेलकर्मियों ने 9 फरवरी रविवार को इलाहाबाद जंक्शन में इसके विरोध में प्रदर्शन किया और रेलवे प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. यह प्रदर्शन नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन के बैनर तले हुुआ. यूनियन ने दोनों रेलकर्मियों की सेवा बहाल नहीं होने पर देश व्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.
उधर , दो लोको पायलटों की सेवा समाप्त करने के निर्णय को रेल प्रशासन ने सही ठहराया है. यूनियनों की नाराजगी के बाद रविवार को इलाहाबाद मंडल के पीआरओ सुनील गुप्ता ने रेल प्रशासन की ओर से कहा कि मंडल में ड्राइवर विश्राम गृह में तमाम सुविधा दी गई है. उनके पूर्ण विश्राम को सुनिश्चित करने के बाद ही ड्यूटी के लिए उन्हें बुक किया जाता है. विंध्याचल में सिग्नल लाल होने के बावजूद (सिग्नल ओवर शूट) उसे पार करना लोको पायलट की लापरवाही को उजागर करता है. ऐसी अवस्था में रेल संपत्ति के साथ यात्रियों के जान माल की हानि हो सकती थी. चालक ने उचित समय और दूरी पर ब्रेक न लगाकर रेल संरक्षा के साथ खिलवाड़ किया. घटना के दिन ही एडीआरएम, सीनियर डीएसओ द्वारा दोनों ड्राइवरों को उनका पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया। उनके लिखित बयान भी लिए. रेल सेवा अनुशासन एवं अपील नियम 1968 के नियम 14(2) के तहत कर्मचारी को सेवा से(तत्काल प्रभाव से नौकरी से)तुरंत निकालने का प्रावधान है. इसमें किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं होती है.
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