- इस मामले में अब तक पीडब्ल्यूआई अथवा एडीईएन पर नहीं की कार्रवाई, तय नहीं की गयी जिम्मेदारी
- मजदूरों को गिरफ्तार कर कार्रवाई की खानापूर्ति की गयी, चल रही है विभागीय जांच
RAIPUR. छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में बीते मंगलवार को रेलवे ट्रैक पर बड़ा हादसा होने से बाल-बाल बच गया. पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन के आगे हर्री और वेंकटनगर स्टेशनों के बीच बिना किसी ब्लाॅक लिये लापरवाही पूर्वक ट्रैक रिपेयरिंग का काम चल रहा था. इसी दौरान 22867 दुर्ग-हजरत निजामुद्दीन हमसफर एक्सप्रेस ट्रैक पर आ गयी. ट्रेन का इंजन रिपेयरिंग के लिए लगे जैक से टकरा गया. संयाग रहा कि चालक ने ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक दी और बड़ा हादसा टल गया. इस मामले में रेलवे मेट जवाहरलाल को निलंबित कर दिया गया है.
जानकारी के अनुसार अप लाइन के किलोमीटर नंबर 828/11-13 के बीच रिपेयरिंग कार्य मेट जवाहर लाल की देखरेख में मुशी-अवतार सिंह के साथ आठ लेबर पेकिंग कार्य कर रहे थे. इसकी कोई पूर्व जानकारी अथवा कॉसन ट्रेन चालक को नहीं था. 22867 को आते देखकर मुशी एवं लेबरों ने जेक को निकालने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सके और ट्रेन के नजदीक आने पर खुद को बचाने के लिए ट्रैक से हट गये. हमसफर एक्सप्रेस के लोको पायलट ने अचानक रेलवे ट्रैक पर जैक देखकर आनन-फानन में ब्रेक लगाकर ट्रेन रोका. हालांकि इंजन की जेक से टक्कर हो गयी. इसमें इंजन के केटल गार्ड और सामने का जनरेटर कार जेक से टकराने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया. यहां ट्रेन 15.43 बजे से 15.53 बजे तक रुकी रही.
घटना की सूचना मिलते ही रेलवे अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई की. जवाहर लाल को तत्काल निलंबित कर दिया गया है. वहीं, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) पेंड्रारोड ने 9 मजदूरों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर दिया. जांच में यह बात सामने आयी कि रिपेयरिंग वर्क के लिए विधिवत अनुमति नहीं लगी गयी थी और कार्य पूरी तरह अनधिकृत था. इसे रेलवे सुरक्षा के लिए गंभीर उल्लंघन मानकर कार्रवाई की जा रही है.
हालांकि अब तक इस मामले में किसी पीडब्ल्यूआई अथवा एईएन पर कार्रवाई नहीं की गयी है जबकि रेलवे ट्रैक पर किसी तरह का कार्य कराने के लिए सीधे पर तौर यही लोग जिम्मेवार होते है. ऐसे में सवाल यह उठाया जा रहा है कि आखिर किसके आदेश पर यह काम कराया जा रहा था? इसकी निगरानी और रुटीन जांच की व्यवस्था किसके जिम्मे थी? घटना के समय पीडब्ल्यूआई कहां थे? ऐसे में आरपीएफ ने मजदूरों को गिरफ्तार कर खानापूर्ति जरूर की लेकिन सवाल यह उठता है कि इस घटना के लिए जिम्मेदारों को क्यों छोड़ दिया गया?















































































