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घर में आग लगी तब टूटी निंद, देखना होगा कितने प्रभावी होंगे रेलवे के सुरक्षा इंतजाम

घर में आग लगी तब टूटी निंद, देखना होगा कितने प्रभावी होंगे रेलवे के सुरक्षा इंतजाम
  • मानको पालन सुनिश्चित कराना होगी बड़ी चुनौती, लापरवाही रोकने को विकसित करना हो तंत्र
  • ट्रेन में स्मोकिंग करने वालों पर पर होगी कार्रवाई, नयी व्यवस्था में आरोपी को जेल भेजने की तैयारी
  • एसइ रेलवे के कोलकाता मुख्यालय में लगी आग व्यवस्था पर पहले ही उठा चुकी है सवाल 

नई दिल्ली. एक सप्ताह के अंतराल में दो शताब्दी ट्रेनों में आगजनी की घटनाओं के बाद रेलवे बोर्ड ने आनन-फानन में सुरक्षा मानकों का कठोरता से पालन करने के साथ कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने का फरमान जारी किया है. देर से ही सही लेकिन सुरक्षा की दिशा में उठाये गये कदमों की लगातार समीक्षा से ही आने वाली दुर्घटनाओं की संभावना को टाला जा सकेगा. हालांकि देहरादून शताब्दी और लखनऊ शताब्दी में आगजनी की घटनाओं के बाद जब जमीनी स्तर पर जांच की गयी तो चौकाने वाली जानकारियां सामने आयी है.

रेलवे के इंटर्नल जांच में ही यह बात सामने आयी है कि सुरक्षा इंतजामों में बरती गयी लापरवाही ही दुर्घटनाओं का कारण बनी है यह बेहतर संयोग रहा कि इसमें किसी तरह का जानी नुकसान नहीं हुआ. हालांकि घटनाओं ने रेलवे की चिंता जरूर बढ़ा दी है वह भी ऐसे समय में जब निजीकरण और निगमीकरण को लेकर पहले से ही रेलवे के सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाये जा रहे हैं. ऐसे में विरोधी पक्ष और यूनियनों को रेलवे बोर्ड और प्रबंधन पर सवाल उठाने का एक अवसर जरूर मिल गया है.

रेलवे के स्तर पर भविष्य में घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाये जा रहे हैं. ट्रेन में तैनात कर्मचारियों को आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए विशेष प्रशिक्षण अभियान शुरू करने की तैयारी है. रेलवे सूत्रों की माने तो देहरादून शताब्दी में आग लगने का कारण धूमपान बताया जा रहा है जबकि लखनऊ शताब्दी के पार्सल वैन में प्रतिबंधित ज्वलनशील पदार्थ रखे जाने को आग भड़कने का कारण बताया गया है. हालांकि रेलवे के स्तर पर आरपीएफ की कमेटी बनाकर जांच करायी जा रही है लेकिन सवाल अब भी यही उठता है कि क्या इससे भविष्य में बरती जाने वाली लापरवाही को रोका जा सकेगा.

फिलहाल रेलवे बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय रेलवे को तत्काल 15 दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने को कहा है ताकि ट्रेन में तैनात कर्मचारियों को इससे जोड़कर उन्हें आग लगने के कारणों व बचाव की जानकारी दी जा सके. यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि ट्रेन में उपलब्ध अग्निशमन उपकरण का प्रयोग करने का तरीका सभी कर्मचारियों को पता रहे. प्रशिक्षण कार्यक्रम की रिपोर्ट भी दस अप्रैल तक रेलवे बोर्ड ने मांगी है. यह अक्सर देखा गया है कि सुरक्षा मानकों में चूक के कारण ही आगजनी की घटना होती है. भविष्य में ऐसी खामी दूर करने को कहा गया है.

इसके साथ ही कोच में आग लगने की सूचना देने वाले उपकरण की भी नियमित जांच कराने को कहा गया है. यात्रियों को आगजनी को लेकर जागरूक किया जाएगा कि कोच में वह प्रतिबंधित वस्तुओं को लेकर यात्रा न करें और धूमपान की मनाही वाले साइन बोर्ड भी लगाये जायेंगे.

इसके साथ ही रेलवे ने ट्रेन में स्मोकिंग करने वालों पर भी सख्ती बरतने की तैयारी की है. नयी व्यवस्था में आरोपी को जुर्माना के साथ ही जेल तक भेजा जा सकता है. अभी स्मोकिंग करने पर काफी कम जुर्माना का प्रावधान है. इससे पहले दक्षिण पूर्व रेलवे के कोलकाता मुख्यालय में बीते माह ही लगी आग व्यवस्था की खामियों पर कई सवाल उठा गयी थी. हाल यही रही तो जान-माल की क्षति के बाद भी सुरक्षा मानको से सीख नहीं लेने खामियाजा रेलवे को हर बार भुगतना होगा.

 

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