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BSF जवानों को जर्जरहाल बोगी देकर रेलवे ने कराई फजीहत, अलीपुर कोचिंग डिपो अधिकारी समेत तीन सीनियर सेक्शन इंजीनियर सस्पेंड

  • BSF जवानों को उपलब्ध कराये गये कोच का महीनों से नहीं हुआ था इस्तेमाल, खिड़कियों और दरवाजों में थे छेद
  • टॉयलेट सीटें टूटी, फर्श पर दौड़ रहे थे कॉकरोच, बजबजा रही थी गंदगी, कई कोच में बिजली का नहीं था कनेक्शन 

NEW DELHI. अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा ड्यूटी पर जा रहे बीएसएफ के 1200 जवानों को जर्जर ट्रेन देने के मामले में गाज गिर गई है. रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया कि खराब रैक देने के मामले में रेलवे के चार अधिकारी सस्पेंड कर दिए गए हैं. यह स्पेशल ट्रेन छह जून को बीएसएफ जवानों को लेकर त्रिपुरा के उदयपुर रेलवे स्टेशन से जम्मू तवी स्टेशन के लिए रवाना होनी थी. ‘अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी पर जा रहे बीएसएफ के 1200 जवानों को जर्जर ट्रेन मिलने और जवानों ने चढ़ने से इनकार करने का मामला मीडिया से सामने आया. इसके बाद मंत्रालय ने रैक बदलने के साथ ही इस गलती के लिए जिम्मेदार अलीपुरद्वार मंडल के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. इसमें अलीपुर कोचिंग डिपो के कोचिंग डिपो अधिकारी समेत तीन सीनियर सेक्शन इंजीनियर शामिल हैं.

जर्जर हालत देखकर जवान दंग रह गए

बता दें कि बीएसएफ के जवानों को भारतीय रेलवे ने एक ऐसी ट्रेन मुहैया करा दी कि उसकी जर्जर हालत देखकर जवान दंग रह गए. ट्रेन की हालत देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे लंबे समय से इस्तेमाल ही न किया गया हो. खिड़की, दरवाजे, बिजली उपकरण व टॉयलेट, सब जर्जर हालत में थे. बीएसएफ जवानों ने अपने आला अधिकारियों को उक्त घटना से अवगत कराया. चार दिन बाद मंगलवार को एनएफआर जोन ने दूसरी ट्रेन उपलब्ध कराई. बीएसएफ जवानों को अमरनाथ यात्री की ड्यूटी के लिए कश्मीर पहुंचना था.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’ के जवानों की वीरता को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी माना है. बीएसएफ जवानों ने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था. अमित शाह ने जम्मू में बीएसएफ जवानों की पीठ थपथपाते हुए कहा था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान जब पाकिस्तान ने हमारे नागरिक रियाहशी इलाकों पर हमला किया, तब अकेले बीएसएफ के जम्मू फ्रंटियर ने 118 से ज्यादा पाकिस्तान की पोस्ट तबाह कर दी. उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया गया. दुश्मन की संपूर्ण निगरानी प्रणाली को चुन-चुन कर ध्वस्त किया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, उसे खड़ा करने में दुश्मन को शायद चार-पांच साल का समय लगे.

एनएफ रेलवे मालेगांव गुवाहाटी ने उपलब्ध करायी थी ट्रेन

बीएसएफ आईजी गुवाहाटी फ्रंटियर की ऑपरेशन ब्रांच द्वारा एनएफ रेलवे मालेगांव गुवाहाटी (असम) से एक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया था. इस गाड़ी में बीएसएफ के लगभग 12 सौ जवान सवार होने थे. इनमें त्रिपुरा फ्रंटियर बीएसएफ की सात कंपनी, गुवाहाटी फ्रंटियर से तीन कंपनियां और एम एंड सी फ्रंटियर की भी तीन कंपनियां शामिल हैं. इन सभी कंपनियों के 12 सौ जवानों को एडहॉक 12 व 13 बटालियन के हिस्से के तौर पर अमरनाथ यात्रा 2025 की ड्यूटी के लिए रवाना होना था. यह स्पेशल ट्रेन उदयपुर रेलवे स्टेशन (त्रिपुरा) से छह जून को जम्मू तवी रेलवे स्टेशन के लिए चलनी थी. बीएसएफ की तरफ से जवानों की सुगमता के मद्देनजर, रेलवे से एसी 2 वाले दो कोच, एसी 3 के दो कोच, स्लीपर के 16 कोच और 4 जीएस/एसएलआर मुहैया कराने की मांग की गई. उदयपुर (त्रिपुरा), अमबासा (त्रिपुरा) बदरपुर (असम), गोलपारा और कूचविहार (पश्चिम बंगाल) रेलवे स्टेशन से बीएसएफ जवानों को ‘स्पेशल ट्रेन’ नंबर 00709 में सवार होना था.

बीएसएफ के कंपनी कमांडर ने उदयपुर से चलने वाली स्पेशल ट्रेन का निरीक्षण किया कि वह जवानों की सुरक्षा एवं दूसरी आवश्यकताओं के हिसाब से ठीक है या नहीं. निरीक्षण के दौरान ट्रेन के हालात देखकर बीएसएफ के अधिकारी और जवान हैरान रह गए. सूत्रों के मुताबिक, ट्रेन के वैगनों की स्थिति अमानवीय और दयनीय थी. इसका उपयोग जवानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए नहीं किया जा सकता. जांच के बाद पता चला कि महीनों से वैगन का इस्तेमाल नहीं किया गया था. प्रत्येक वैगन में हर जगह टूटी हुई वस्तुएं पड़ी थीं. ट्रेन की खिड़कियों और दरवाजों में छेद बने हुए थे. टॉयलेट सीटें, टूटी पड़ी थी. ट्रेन के फर्श पर सैकड़ों कॉकरोच दौड़ रहे थे. अधिकांश सीटों पर गंदगी फैली हुई थी. ट्रेन के कई वैगनों में बल्ब या बिजली का कनेक्शन ही नहीं था.

मंगलवार को रवाना की गयी दूसरी ट्रेन 

ट्रेन में एक कंपनी के ⁠शस्त्र/आवास, भंडार और जवानों के बिस्तर के लिए उपलब्ध कराई गई जगह पर्याप्त नहीं थी. इस मामले को बीएसएफ के आला अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया गया. कंपनी कमांडर की ओर से बताया गया कि ट्रेन के वैगन, यात्रा के उपयोग के लिए नहीं थे. आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी के लिए रवाना हो रहे बीएसएफ जवानों के लिए इस तरह की ट्रेन में सफर करना जोखिम भरा है. मंगलवार को इस मामले में जब भारतीय रेलवे के एनएफआर जोन के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा था कि छह जून को रवाना होने वाली ट्रेन रद्द हो गई थी. वजह, बीएसएफ की तरफ से ट्रेन की खामियों को लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई थी. इस वजह से अब उन्हें दूसरी ट्रेन दी गई है. नई ट्रेन मंगलवार को रवाना कर दी गई है. इसके चलते बीएसएफ जवानों की अमरनाथ यात्रा के लिए तैनाती में भी देरी हो गई है. पहले इन जवानों को कश्मीर में 12 जून तक तैनात किया जाना था.

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