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इलाहाबाद : अपना काम छोड़कर दूसरे का काम देखने को लगाये गये पदाधिकारी

इलाहाबाद : अपना काम छोड़कर दूसरे का काम देखने को लगाये गये पदाधिकारी
  • एक ही समय, एक ही साथ चलाए जा रहे हैं तीन-तीन जांच अभियान
  • जुर्मान-फाइल बावजूद नहीं सुधर रहा है भ्रष्टाचार का सिस्टम  

इलाहाबाद. उत्तर मध्य रेलवे का वाणिज्य विभाग, विशेषकर इलाहाबाद मंडल वर्तमान में केवल फालतू के स्पेशल ड्राइव चलाकर अपने मैनपावर का दुरुपयोग कर रहा है. इस अभियान में कमर्शियल इंस्पेक्टर, सुपरवाइजर इत्यादि को उनके मुख्य आवंटित कार्य को छोड़कर उक्त अभियान में लगाया जा रहा है. कभी कैटरिंग ड्राइव, कभी क्लीनिंग ड्राइव, कभी भीड़ के दौरान दलालों की धरपकड़ की ड्राइव. आखिर किस बात की हैं यह स्पेशल ड्राइव? क्या इलाहाबाद मंडल का वाणिज्य विभाग यह मान रहा है कि कैटरिंग, क्लीनिंग, पीआरएस में कार्यरत स्टाफ अपनी ड्यूटी सही ढंग से नहीं कर रहा है? यदि हां, तो उन पर आवश्यक कार्रवाई करने के बजाय उन पर निगरानी के लिए ड्राइव के नाम पर अन्य महत्वपूर्ण वाणिज्य स्टाफ की ड्यूटी लगाकर मैनपॉवर की दोहरी बर्बादी नहीं की जा रही है?

कर्मचारियों का कहना है कि दरअसल वाणिज्य विभाग में कार्य करने वाले कर्मचारियों की शॉर्टेज है और अधिकारी सरप्लस में हैं, जिनका काम केवल फाइलों पर आदेश देना रह गया है. उनका कहना है कि स्पेशल ड्राइव विशेष मौकों पर एक सप्ताह या पखवाड़े भर के लिए ही चलाई जाती हैं, परंतु इलाहाबाद मंडल के तथाकथित मूर्धन्य वाणिज्य अधिकारी दो-दो महीने की ड्राइव चलवा रहे हैं. तथापि उ.म.रे. महाप्रबंधक, प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक, मंडल रेल प्रबंधक इत्यादि वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान मैनपावर की इस बरबादी की तरफ जा ही नहीं रहा है.

कर्मचारियों ने बताया कि मजे कि बात ये है कि अवैध वेंडिंग पर अंकुश लगाने की ड्यूटी कैटरिंग इंस्पेक्टर, आरपीएफ इत्यादि की है, लेकिन ड्राइव में ड्यूटी कमर्शियल इंस्पेक्टर, सुपरवाइजर की लगाई जा रही है, जबकि उन्हें अवैध वेंडरों को पकड़ने का अधिकार ही नहीं है. उन्होंने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि अवैध वेंडिंग आरपीएफ तथा कैटरिंग विभाग मिलकर चला रहे हैं और इसका लाखों रुपये का हप्ता हर माह रेलवे के वाणिज्य तथा रेलवे सुरक्षा बल के उच्चाधिकारियों तक पंहुचाया जाता है.

कर्मचारियों का यह भी कहना है कि इस प्रकार के फालतू ड्राइव से वह अपने आवंटित कार्य यथा बुकिंग, पार्सल, गुड्स इत्यादि को देख ही नहीं पा रहे हैं और किसी दिन यदि कोई बड़ा घोटाला होगा, तो स्पष्टीकरण उन्हीं से ही मांगा जाएगा. इस प्रकार के फालतू अभियान मात्र उ.म.रे. में ही चलाए जा रहे हैं. इससे तमाम वाणिज्य कर्मचारी बुरी तरह डरे-सहमे हुए हैं और वे अपना निर्धारित कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं.

सभार रेलवे समाचार

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