- रनिंग रूम में सुरक्षा और संरक्षा को लेकर चालकों ने उठाये सवाल, कहा – नहीं है कोई इंतजाम
- MCL रनिंग रूम बनाया गया लेकिन सुपरवाइजर के तौर पर किसी भी CLI की नियुक्ति नहीं
ROURKELA. भीषण गर्मी के बीच सुरक्षा और संरक्षा उपायों को दरकिनार करने का नतीजा बुधवार को चक्रधरपुर रेलमंडल के सरडेगा रनिंग रूम में नजर आया. यहां किचन के सिलिंडर की जर्जर पाइप में गैस लिकेज से धमाके के बाद आग लग गयी. इसमें खाना बना रहे दो कर्मचारी झुलस गये. दिलचस्प बात यह है कि भारी गर्मी के बीच कंटेनर में बनाये गये रनिंग रूम में आग से बचाव के काेई उपाय नहीं थे.
आगजनी से यहां अफरा-तफरी मच गयी और आराम कर रहे लोको चालक इधर-उधर भागने लगे. किसी तरह आग पर काबू पाया गया और झुलसे कर्मचारियों को एमसीएल के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. रनिंग रूम में किचन में लगी आग ने कई सवालों को जन्म दिया है जिसका जबाव रेल प्रशासन को खोजना है.
लोको पायलटों से मिली जानकारी के अनुसार यहां सुरक्षा और संरक्षा के किसी मानक का अनुपालन नहीं किया जाता है. यहां आग से बचाव के कोई उपाय नहीं है. यहां तक अग्निशामक तक नहीं है. जबकि इस गर्मी में आग से बचाव के अलावा बालू और पानी का इंतजाम रहना चाहिए था लेकिन ऐसा कोई इंतजाम यहां नहीं किया गया है.
लोको चालकों ने रेलहंट से दबी जुबान में आपबीती बतायी और कहा कि अगर वह सिस्टम की कमियों की शिकायत करते हैं या यह बात रेल प्रशासन के सामने लाने का प्रयास करते है तो उन्हें हर तरह से प्रताड़ित करने का प्रयास किया जाता है. ऐसे कई चालकों पर झूठी कार्रवाई की गयी है जबकि कई को निशाने पर रखा गया है.
सूत्रों की माने तो रसोई गैस सिलिंडर के पाइप में लिकेज की बात पहले से सामने आयी है लेकिन बार-बार कहने के बाद भी ठेकेदार की ओर से उसे बदलने को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी गयी जो आज हादसे का कारण बनी. दिलचस्प है कि यहां तैनात केयरटेकरों ने भी इस मामले में कोई ध्यान नहीं दिया. हादसे के शिकार यहां आराम कर रहे लोको पायलट भी हो सकते थे लेकिन यह संयोग की बात थी की बड़ा हादसा टल गया.
लोको पायलटों का कहना है कि सरडेगा को रनिंग रूम तो बना दिया गया लेकिन सुपरवाइजर के तौर पर किसी भी CLI की नियुक्ति नहीं की गयी है. ऐसे में रनिंग रूम का इंस्पेक्शन, यहां मेंटेनेंस के नाम पर किये जाने वाले खर्च, सेफ्टी उपाय आदि की जिम्मेदारी तय नहीं करने के लिए कौन लोग जिम्मेदार है, यह डीआरएम चक्रधरपुर को तय करना है ?
सरडेगा में दो-दो केयरटेकर लेकिन दोनों गायब !
सरडेगा रनिंग रूम में आगजनी ने कई सवाल खड़े किये हैं. सरडेगा (MCL ) के रनिंग रूम को लेकर वर्तमान में दो-दो केयर टेकर है. सीसी नहीं रहने के कारण पिछले एक साल से लोको पायलट दिवाकर कुमार को यहां केयरटेकर के रूप में तैनात रखा गया था. हालांकि बाद में ड्राफ्टेट सीसी केसी प्रधान की पोस्टिंग कर दी गयी लेकिन दिवाकर कुमार को केयरटेकर बनाये रखा है. इस तरह रेलवे मेंस यूनियन से जुड़े दिवाकर को बिना ट्रेन चलाये ही रिलीविंग और निर्धारित माईलेज का पूर्ण भुगतान नियमों के विपरीत किया जा रहा है जो विजिलेंस जांच का विषय है. दो-दो केयरटेकर वाले सरडेगा रनिंग रूम में हादसे ने यहां की व्यवस्था की पोल खोल दी है. अब यह जांच का विषय है कि दो-दो केयर टेकर के रूप में तैनात लोगों की ड्यूटी कहां बनती है? उनका जॉब प्रोफाइल क्या है? रेलवे के लाखों रुपये वेतन-भत्ताें पर खर्च करने का आउटपुट क्या है?
डीआरएम तरुण हुरिया की चेतावनी बेअसर, ठेकेदार -यूनियन के बीच का गठजोड़ हुआ खतरनाक
डीआरएम तरुण हुरिया ने भले ही सिस्टम के विपरीत जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दे रखी है लकिन झारसुगुड़ा-राउरकेला-सरडेगा में उनका आदेश बेमानी साबित हो रहा है. यहां रेलवे मेंस यूनियन के कार्यकर्ता-पदाधिकारी ही निजी ठेकेदारों से सांठगांठ कर उनके सिस्टम का हिस्सा बन गये हैं. इंजन में बालू डालने का काम हो या गाड़ी चलवाने का या रनिंग रूम का काम, इसकी पूरी व्यवस्था ठेकेदार की जगह यूनियन के नेता संभाल रहे हैं. ऐसा नहीं है कि यह बात सीनियर डीईई (ओपी) अथवा दूसरे अफसरों से छुपी है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि ठेकेदार और अफसरों के बीच की कड़ी बन चुके ये यूनियन नेता अब रेलकर्मियों के हितों पर ही आघात कर रहे. उनके दबदबे का आलम यह है कि स्वयं मंडल संयोजक एमके सिंह समेत चारों केंद्रीय पदाधिकारी सब कुछ जानते-समझते हुए भी मौन हैं और इस भ्रष्टाचार का हिस्सा बन रहे !
रेलहंट का प्रयास है कि सच रेल प्रशासन के सामने आये. ऐसे में अगर किसी को यह लगता है उसकी बात नहीं सुनी जा रही है तो वह अपना पक्ष whatsapp 9905460502 पर भेज सकते है, उसे पूरा स्थान दिया जायेगा.
