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राउरकेला में अवैध हॉकरों पर रोक से छटपटा रही आरपीएफ ओसी की चौकड़ी, मैनेज करने की आस में वेंडिंग को छूट देने की तैयारी 

SER : आरपीएफ अफसरों का टूटा वनवास, मिली पोस्टिंग, राउरकेला में मीणा पर बरस रही 'साहब' की मेहरबानी
राउरकेला स्टेशन पर धड़ल्ले से चलते थे हॉकर (फाइल फोटो)
  • मीडिया और शासन के जुड़े लोगों ने अवैध हॉकरों से जुड़ी कोई खबर नहीं सामने आने की दी सुपारी
  • रांची मुख्यालय वाले एक प्रमुख हिंदी दैनिक के राउरकेला रिपोर्टर ने लिया रेलहंट मैनेज का टेंडर

ROURKELA.  रेल जगत की आवाज RAILHUNT.COM ने झारसुगुड़ा-राउरकेला-चक्रधरपुर-टाटानगर सेक्शन के स्टेशनों और ट्रेनों में अवैध वेंडिंग को लेकर यात्रियों की सुरक्षा चिंता को लगातार रेखांकित किया है. राउरकेला स्टेशन पर आरपीएफ की मिलीभगत से अवैध वेंडिंग को खुली छूट की खबर प्रकाशित होने के बाद अधिकारियों ने यहां इस काम पर रोक लगा दी थी. लेकिन नवीनतम सूचना यह है कि अवैध हॉकरों से होने वाली हर महीने में लाखों की अवैध कमाई से आरपीएफ के अधिकारी वंचित होना नहीं चाहते और अब फिर से इन हॉकरों को स्टेशन पर पहले की तरह जरूरी दान-दक्षिणा लेकर काम करते रहने की हरी झंडी दिखा दी गयी है.

यह भी पढ़ें : SER : राउरकेला- झारसुगुड़ा सेक्शन पर कमर्शियल व आरपीएफ में चल रही गुप्त मंत्रणा !

बताया जाता है कि राउरकेला स्टेशन पर अवैध वेंडिंग पर रोक के बाद आरपीएफ में खलबली मच गयी थी. मोटी वसूली पर अचानक रोक लग गयी. इससे सिस्टम के अवैध वसूली तंत्र से मलामाल रहने वाले अधिकारी कोई नई तरकीब निकालने में जुट गये थे ताकि पहले की तरह सब कुछ पटरी पर चलता रहे. जानकार सूत्रों ने बताया कि आरपीएफ के एक बड़े अधिकारी ने राउरकेला के अधीनस्थों को फटकार लगाते हुए जानना चाहा था कि आखिर सिस्टम में कहां गड़बड़ी हो गयी कि पटरी पर सुचारु रूप से चल रही वसूली व्यवस्था को पलीता लग गया?  उन्होंने अधीनस्थों को तत्काल जरूरी उपाय कर इस सिस्टम को दुरुस्त करने को कहा.

इसी के बाद राउरकेला में आरपीएफ ओसी ने मीडिया कर्मी और सत्ता के सूत्रधारों को बुलाकर गहन मंथन किया और किसी भी तरह से इसे मैनेज करने को कहा. इस अति गोपनीय बैठक के भीतर से जो खबरें छनकर बाहर आयी हैं उनके मुताबिक हॉकरों को पूर्व की भांति काम करने को कह दिया गया है. बताया जाता है कि मीडिया और शासन के जुड़े कतिपय लोगों ने इस काम की सुपारी दी है कि अवैध हॉकरों से जुड़े धंधे के बारे में पर्दाफाश करती कोई खबर नहीं सामने आयेगी. यहां तक कहा गया कि आरपीएफ ओसी को पूरी तरह बचाकर रखा जायेगा.

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सूत्रों के अनुसार झारखंड मुख्यालय वाले एक प्रमुख हिंदी दैनिक के राउरकेला रिपोर्टर ने आरपीएफ ओसी के इस प्रस्ताव को बड़बोलेपन में स्वीकार कर लिया कि किसी भी स्थिति में रेलहंट railhunt.com को मैनेज कर लिया जायेगा और आगे आरपीएफ से जुड़ा कोई भंडाफोड़ नहीं होगा. जब रेलहंट को इसकी जानकारी मिली तो उसने भरोसे मंद सूत्रों के जरिये तहकीकात की और इस सूचना को सही पाया. बताते चले कि हरेक हॉकर से वसूली का पूरा तंत्र जुड़ा है और हर स्तर पर रेट बंधा है. एक हॉकर को औसतन हर माह आरपीएफ को प्रति हॉकर के लिए बंधी रकम देनी पड़ती हैं. इसका हिस्सा आरपीएफ के इंटेलीजेंस विंग सीआईबी और कामर्शियल के जिम्मेदार लोगों तक भी पहुंचता है.  हॉकरों से वसूल की जाने वाली राशि का बंटवारा लोकल स्तर से लेकर डिवीजन व जोनल स्तर तक होता है.

बताया जाता है कि पूरे व्यवस्थित तरीके से यह काम होता है और हर अधिकारी के हिस्से की राशि बंद लिफाफे में गंतव्य तक पहुंचा दी जाती है. पूरे प्रकरण में सबसे दिलचस्प पहलू राउरकेला आरपीएफ ओसी से जुड़ा है. वे फिलहाल दो पाटों में फंस गये दिखते हैं. हॉकरों पर रोक से मोटी अवैध कमाई बंद हो गयी है, इससे विभागीय आका भी नाराज बताये जाते हैं. ओसी के साथ दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनकी कुर्सी ही ‘साहब‘ की अनुकंपा पर टिकी हुई है.

पहली बात तो यह की एडहॉक रूप में प्रतिनियुक्त हुए है. रेलवे में ऐसा होता भी है, लेकिन इसके साथ ही इंस्पेक्टर के लिए आयोजित अखिल भारतीय स्तर की परीक्षा पास करने की शर्त जुड़ी होती है. वर्तमान ओसी इस परीक्षा को पास नहीं कर सके हैं. नियमत: इनका एक स्टार हटाकर उन्हें सब इंस्पेक्टर बना दिया जाना चाहिए था. बहुतों को ऐसा किया गया है लेकिन पैसा व पैरवी के बदौलत राउरकेला ओसी के ऊपर इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गयी और अपने आका के संरक्षण में वे राउरकेला में लगातार बने हुए हैं.

यह भी पढ़ें : राउरकेला आरपीएफ प्रभारी के स्पेशल के कारनामों की जांच करने पहुंची आईवीजी टीम, आरोपियों ने ही की जमकर आवभगत

इधर, टाटानगर में स्टेशन से एक बच्ची का अपहरण हो जाने के बाद वहां के पोस्ट प्रभारी संजय कुमार तिवारी पर गाज गिर गयी है. अब टाटानगर में उनकी जगह गौतम प्रसाद गांधी ने कमांडर की कुर्सी संभाल ली है. ऐसे माहौल में राउरकेला ओसी पर अपनी कृपा बरसाने वाले एक उच्च अधिकारी भी शायद अब उन्हें बचाने की पहल नहीं कर सकेंगे, क्योंकि टाटानगर और राउरकेला आरपीएफ से जुड़े सारे कारनामों और कच्चे चिट्ठों को डीजी कार्यालय को भी भेजा जा चुका है. संकेत है कि डीजी कार्यालय के दंड से बचने के लिए ही टाटा ओसी पर पहले दिखावे की कार्रवाई की गयी अब राउरकेला ओसी की सुरक्षा कवच को भी हटाने के गुरेज नहीं किया जायेगा.

क्रमश :

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