NEW DELHI. एक वीडियो सोशल मीडिया ट्विटर पर वायरल हो रहा है. इसमें यात्री हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर बहस करते नजर आ रहे हैं. ट्रेन में हलाल-प्रमाणित चाय ‘Halal tea’ परोसे जाने पर रेलवे के कर्मचारी और यात्री के बीच नोकझोंक का है. वीडियो में यात्री कर्मचारी से सवाल कर रहा है कि ये हलाल प्रमाणित क्या होता है. उनका सावन का माह चल रहा है. यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वीडियो किस ट्रेन का है.
रेलवे कर्मचारी ने यात्री को समझाने की कोशिश कर रहा कि चाय वैसे भी शाकाहारी है, इसलिए चिंता करने की बात नहीं है. इस पर यात्री का स्पष्ट कहना है कि उनके भावनाओं के साथ कोई खिलवाड़ नहीं की जाये और इस मामले को ऊपर तक ले जाये यह उनके रिलीजिसय सेंटीमेंट से खेलने का मामला है. हलाल प्रमाणित चाय की जगह आप हमें स्वास्तिक प्रमाणित चाय दें.
A Hindutva friend sent me the video below that Railways are serving Halal certified tea item on trains in India & was wondering whether we were in BJP ruled India under Modi Sarkar. !?@PMOIndia @narendramodi @RailMinIndia @Swamy39 pic.twitter.com/annKfrkaWe
— Jagdish Shetty (@jagdishshetty) July 21, 2023
वायरल वीडियो में यात्री कह रहा है कि ‘सावन का महीना चल रहा है, और आप मुझे हलाल सर्टिफाइड चाय पिला रहे हैं. हमें पूजा करना है. चाय की पैकेजिंग की जांच करते हुए अधिकारी कहता है, ‘यहां देखिये ये क्या है? इस पर गुस्साए यात्री कहता है, ‘आप समझाएं कि हलाल-सर्टिफाइड क्या है. हमें पता होना चाहिए. हम तो आईएसआई प्रमाणपत्र के बारे में जानते हैं. यह हलाल-प्रमाणपत्र क्या है.
रेलवे अधिकारी गुस्साए यात्री को समझाते हुए, ‘ यह मसाला चाय प्रीमिक्स है और वह आगे बताते हुए कहता है यह 100% वेजेटेरियन है. इसपर यात्री कहता है लेकिन हलाल सर्टिफाइड क्या है? मुझे इसके बाद पूजा करनी है. तभी अधिकारी पूछता है क्या आप वीडियो बना रहे हैं.
वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. अब तक 50 हजार से लोग इस वीडियो को ट्वीटर पर देख चुके हैं. कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि चाय प्रीमिक्स को हलाल प्रमाणीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ गयी है और रेलवे ऐसे प्रोडक्ट को क्यों बढ़ावा दे रहा है. कई लोगों ने इस तत्काल रोकने की मांग की है.
क्या है हलाल सर्टिफिकेशन
हलाल सर्टिफिकेशन पहली बार 1974 में वध किए गए मीट के लिए शुरू किया गया था. 1993 तक इसे केवल मीट प्रॉडक्ट्स पर लागू किया गया था. फिर इसे अन्य खाद्य पदार्थों और सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं आदि तक भी बढ़ाया गया. अरबी में, हलाल का अर्थ है अनुमति योग्य और हलाल-प्रमाणित का तात्पर्य इस्लामी कानून का पालन करते हुए तैयार किए गए भोजन से है.
हलाल मांस एक ऐसे जानवर के मांस को संदर्भित करता है जिसे गले की नसों पर चोट करके मारा गया है. एक वार में उसे मारा नहीं गया हो. 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर हलाल सर्टिफिकेशन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी और कहा गया था कि 15% आबादी की वजह से 85% नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.
सभार मीडिया