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कोलकता : कोविड में आरपीएफ का तुगलकी फरमान, अधिकारी-जवानों का तबादला

कोलकता : कोविड में आरपीएफ का तुगलकी फरमान, अधिकारी-जवानों का तबादला

कोलकाता. एक ओर जहां रेलवे बोर्ड ने अपने कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए आवधिक स्थानांतरण की समय अवधि को बढ़ा दिया, वहीं दिल्ली में बैठे आरपीएफ के आला अफसरों ने रेलवे बोर्ड के आदेश को नजरअंदाज कर सुरक्षा कर्मचारियों का धड़ल्ले से तबादला कर दिया। साथ ही पहली जुलाई से नई स्थान पर कार्यभार संभालने का फरमान भी जारी कर दिया।

डीजी कार्यालय के इस आदेश से आरपीएफ कर्मचारियों में कोरोना संक्रमण को लेकर दहशत व्याप्त हो गया है। सूत्रों के अनुसार गत वर्ष कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने संवेदनशील पदों पर तैनात कर्मचारियों के आवधिक तबादले पर रोक लगा दी थी। लेकिन कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के दस्तक देने के बाद रेलवे यूनियन एआईआरएफ और एनएफआइआर की मांग पर रेलवे बोर्ड की ओर से 31 मार्च 2021 को सभी जोनों के महाप्रबंधक और प्रोडक्शन यूनिट को पत्र जारी कर आवधिक स्थानांतरण को 30 जून तक टालने का आदेश जारी किया था।

लेकिन हालात सामान्य नहीं होने पर 22 जून को रेलवे बोर्ड की ओर से एक ओर आदेश जारी किया गया, जिसमें कोरोना संक्रमण की वजह से आवधिक तबादले पर 30 सितंबर तक रोक लगा दी गई। ताकि रेल कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में ना आ सकें। लेकिन इसके उलट डीजी आरपीएफ कार्यालय ने रेलवे बोर्ड के आदेश को दरकिनार करते हुए कोरोना संक्रमण को भी हल्के में ले लिया। यही वजह है कि पूर्व रेलवे में आरपीएफ कर्मचारियों का धड़ल्ले से तबादला कर 30 जून के बाद नए स्थान पर पहुंचने का फरमान जारी कर दिया गया।

इससे जहां रेलवे बोर्ड के आदेश की अवहेलना की गई, वहीं यात्री सुरक्षा में तत्पर रहने वाले आरपीएफ कर्मियों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। साथ ही डीजी आरपीएफ कार्यालय से एक आदेश जारी कर तबादला किए गए कर्मचारियों को पहली जुलाई से नई जगह पर कार्यभार संभालने काे कहा गया। कोरोना महामारी में रेलवे बोर्ड के आदेश के उलट आरपीएफ विभाग का यह फरमान चर्चा में आ गया है।

उधर, नए स्थान पर ज्वाइनिंग को लेकर विभागीय आदेश से आरपीएफ कर्मियों में कोरोना संक्रमण की चपेट में आने की संभावना को लेकर दहशत है। कोरोनाकाल में जारी तुगलकी फरमान को लेकर आरपीएफ के आला अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि डीजी कार्यालय को शायद अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता नहीं है। यदि कोरोना संक्रमण के ऐसे हालात में डीजी कार्यालय की ओर से पहली जुलाई से नए स्थान पर पहुंचने के आदेश पर पुन: मंथन नहीं किया गया तो आरपीएफ कर्मचारियों को संक्रमण की चपेट में आने से रोकना संभव नहीं हो पाएगा।

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