- दानापुर डिवीजन में एलएचबी कोचों के आरएमपीयू रख-रखाव के टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत को कौन दबा रहा
- यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा पर भारी पड़ सकती है कि गंभीर मामलों में जोन से लेकर रेलवे बोर्ड तक की अनदेखी
- तकनीकी बीड में टर्मिनेट की गयी एजेंसी पहुंची रेलवे बोर्ड,भ्रष्टाचार मानकर मामला सीवीसी में ले जाने की तैयारी
- आरोप – एजेंसी के चयन में तकनीकी अनुभव, सर्टिफाइड वर्कमैन से लेकर फेलियर रेसियाे का नहीं रखा गया ध्यान
PATNA. रेलवे के बेलगाम अधिकारी सिस्टम को अपने अनुसार तोड़-मरोड़कर इस्तेमाल करने के मामले में इतने सिद्धहस्त हो चुके है कि अब उन्हें रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश अथवा जांच कमेटी का भय तक नहीं सताता. कारण व्यवस्था में नीचे से ऊपर तक फैल चुका वह भ्रष्टाचार है जिसमें अधिकारी यह मान कर चलते है कि जांच किसी भी स्तर पर क्यों नहीं आये उसे मैनेज कर ही लिया जायेगा, इसके लिए चाहे कोई भी कीमत क्यों नहीं चुकानी पड़े.
पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल के विद्युत विभाग ने निविदा संख्या EL-50-DNR-OPEN-45/2024-25 वाले करोड़ों के टेंडर में भी ऐसी पटकथा रच डाली है जिसकी चर्चा जोन से निकलकर रेलवे बोर्ड तक पहुंच गयी है. ऐसा नहीं कि इस मामले में शिकायत नहीं की गयी, शिकायत भी हुई और जांच के निर्देश भी रेलवे बोर्ड स्तर पर दिये गये लेकिन जीएम कार्यालय स्तर से शुरू की गयी जांच भी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले फाइलों में गुम हो गयी है या यूं कहें की दबा दी गयी? अब इस मामले को परेशान संवेदक सीवीसी में उठाने की तैयारी में जुट गये है. यहां माना जा रहा है कि अगर यह मामला सीवीसी अथवा रेलवे मंत्रालय के स्तर पर संज्ञान में लिया गया तो कई अधिकारियों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है.
यहां जानकारों का कहना कि बेखौफ अधिकारियों ने शिकायत अथवा जांच को नजरअंदाज कर फिलहाल पूरी निर्भिकता से टेंडर मैनेज करते हुए पसंदीदा एजेंसी को वर्क आर्डर तक जारी कर दिया है और सेफ्टी स्तर पर संचालित इस कार्य को नयी एजेंसी संपादित भी कर रही है. हालांकि टेंडर में भाग लेने वाली एक एजेंसी ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सीनियर डिवीजन विद्युत अभियंता (जी) के अलावा जीएम, पूर्व मध्य रेलवे तक अपनी बात पहुंचायी लेकिन दोनों स्तर पर उसकी शिकायत को नहीं सुना गया. इस बीच टेंडर m/s VTPL AIR PERFECTION JV Jabalpur को आवंटित भी कर दिया गया है.
निजी हितों के लिए यात्रियों की सुरक्षा के मामले में भी क्या की जा रही अनदेखी !
दानापुर विद्युत विभाग ने यह निविदा दानापुर मंडल में एलएचबी कोचों में स्थापित विभिन्न आरएमपीयू का व्यापक वार्षिक रख-रखाव अनुबंध के आधार पर प्राथमिक अनुरक्षित ट्रेनों के एसी कोचों में 03 वर्षों के लिए आउटसोर्सिंग एसीसीआई गतिविधि के साथ जारी किया था. आरएमपीयू का तात्पर्य रूफ माउंटेड पैकेज यूनिट से है जो रेलवे कोच की छत पर स्थापित एयर कंडीशनिंग सिस्टम को संदर्भित करता है. आरएमपीयू एक विशिष्ट स्व निहित एयर कंडीशनिंग पैकेज है जिसे विशेष रूप से रेलवे कोचों के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि यात्रियों के लिए आरामदायक वातावरण बनाए रखा जा सके. यह यात्रियों की सुरक्षा को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाला मामला है.
टेंडर में तकनीकी बीड से टर्मिनेट की गयी RDSO एप्रुव पंजाब की कंपनी ने तमाम अधिकारियों से लेकर रेलवे बोर्ड तक अपनी बात पहुंचायी कि उपरोक्त निविदा संख्या EL-50-DNR-OPEN-45/2024-25 के निस्तारण में रेलवे बोर्ड के आदेश संख्या 2019/ELEC/(G)/165/1 New Delhi दिनांक 22.04.2020 की अवहेलना की गयी है. जिसमें आरडीएसओ लखनऊ द्वारा अनुमोदित मूल उपकरण निर्माता कंपनी को ही तकनीकी बीड में टर्मिनेट कर दिया गया है. आरोप है कि यह सब एक खास एजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया जो एक संयुक्त उपक्रम है.
दानापुर विद्युत विभाग में ही यह चर्चा तेज है कि RDSO एप्रुव कंपनी को बीड कैपेसिटी सर्टिफिकेट और जिस डिक्लेयरेशन ऑफ रिटायरमेंट रेलवे ऑफिसर के आधार पर टर्मिनेट अथवा डिस्क्वालिफाई किया गया निविदा की शर्तों में उन बिंदुओं का कहीं उल्लेख अथवा निर्धारित फार्मेट तक नहीं दिया गया था. माना जा रहा है कि विभाग के इंजीनियरों ने जान-बूझ कर टेंडर में इस ”हिडेन” प्वाइंट को रखा जिसका उपयोग एक RDSO एप्रुव कंपनी को डिस्क्वालिफाई करने के लिए किया गया? ताकि चहेती कंपनी को टेंडर में फायदा पहुंचाया जा सके !
तकनीकी बीड से बाहर की गयी एजेंसी ने तमाम बिंदुओं को सामने करते हुए पूरी टेंडर प्रक्रिया की निष्पक्षता, पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए बड़े स्तर पर गोलमाल और भ्रष्टाचार की आशंका जतायी है. अब यह माना जा रहा है कि अगर इस मामले की जांच आगे बढ़ी और निष्पक्षता से मामले काे देखा गया तो यह मामला डिवीजन विद्युत विभाग के गले की फांस बन सकता है. आरडीएसओ लखनऊ से अनुमोदित मूल उपकरण निर्माता कंपनी जिसे निविदा से बाहर कर दिया गया, उसने अपना पक्ष सीनियर डिवीजनल इंजीनियर से लेकर महाप्रबंधक पूर्व मध्य रेलवे तक रखा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. यहां तक की एजेंसी की शिकायत को निस्तारण तक नहीं किया गया. इस पूरी निविदा प्रकरण के घेरे में वह कमेटी है जिसने निविदा का निष्पादन किया.
क्या कहता है रेलवे बोर्ड का दिशा-निर्देश और कंपनी के आरोप
यहां यह बताया जा रहा है कि यह मामला रेलवे बोर्ड स्तर तक पहुंचाया गया है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि … Railway Board Letter No. 2019/Elect(G)/165/1 dated 22.04.20, which clearly exempts ROSO-approved sources from minimum Technical and Financial eligibility criteria for such tenders. This Railway Board letter was part of tender documents, but still ignoring these directives sets the dangerous standard where non-experienced and non-OEM entities are favoured over established, technically qualified sources.
The decision to award Annual Maintenance Contract to Joint Venture entities having Non-OEMis likely to result in substantial degradation of performance and reliability of Roof Mounted Package Units fitted in ACcoaches. As,these entities do not possess any technical knowledge, certified workmanship capabilities, genuine critical spare parts.
Consequently, such an arrangement is anticipated to cause increased failure ratio for RMPU(s), thereby compromising public safety, diminishing the goodwill and reputation of Original Equipment Manufacturer, as well as exposing Indian Railways to
significant legal liabilities in the event of passenger grievances, or damage to public property, including but not limited to service disruptions, fire-related incident etc.
इस शिकायत के बाद पूर्व मध्य रेलवे प्रबंधन स्तर पर जांच समिति बनायी गयी लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सकता है कि जांच समिति ने क्या कार्रवाई की? सवाल यह उठाया जा रहा है कि आरडीएसओ अनुमोदित मूल उपकरण निर्माता कंपनी को तकनीकी बीड में जिन कारणों पर बाहर किया गया क्या यह वास्तविक में जायज थे ? एजेंसी की शिकायत के बाद भी उसे क्यों नहीं सुना गया? मामले में डिवीजन विद्युत विभाग से लेकर जीएम कार्यालय तक क्यों मौन है? अगर एजेंसी इस बिंदू को लेकर सीवीसी या कोर्ट जाती है तो रेलवे के पास क्या विकल्प होंगे? जारी …
रेलहंट का प्रयास है कि सच रेल प्रशासन के सामने आये. ऐसे में किसी को अपना पक्ष रखना है तो whatsapp 9905460502 पर भेज सकते है, पूरे सम्मान के साथ उसका संज्ञान लिया जायेगा.











































































