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वंदे भारत एक्सप्रेस की मरम्मत का जिम्मा इलेक्ट्रिकल को, निजाम बदलते ही बढ़ा रुतबा

  • रेलवे बोर्ड के चेयरमैन बदलने के बाद से इस बात के लगाये जा रहे थे कयास
  • रेलवे के इलेक्ट्रिकल व मेकेनिकल विभाग में कार्य को लेकर चल रहा था टकराव

रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली

देश की महत्वाकांक्षी पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस और ईएमयू को लेकर प्रभुत्व की लेकर चल रही लड़ाई में इलेक्ट्रिक विभाग फिलहाल दो कदम आगे चल रहा है. इलेक्ट्रिकल की शक्तियां बढ़ाते हुए इन ट्रेनों की मरम्मत का काम मेकेनिकल विभाग से लेकर इलेक्ट्रिकल को दे दिया गया है. इसके अलावा आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन) लखनऊ और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) चेन्नई में भी इस स्तर पर बदलाव करते हुए मेकेनिकल की जगह इलेक्ट्रिकल विभाग का रुतबा बढ़ा दिया है. अभी वंदे भारत एक्सप्रेस की मरम्मत का काम शकूरबस्ती में किया जा रहा है, जबकि इलेक्ट्रिकल विभाग की इच्छा है कि इसकी मरम्मत का काम गाजियाबाद शेड में ही किया जाए. बता दें कि भारतीय रेल में प्रभुत्व को लेकर दोनों विभागों के अधिकारी आमने-सामने आ गये थे. ऐसा तब हुआ था जब देश भर में ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) और एमईएमयू (मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) के कार शेड को मेकेनिकल इंजीनियर्स के हवाले कर दिया गया था. शताब्दी, राजधानी, सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनों में लाइट, पंखे और एसी की मरम्मत का काम तक मेकेनिकल इंजीनियर्स के जिम्मा कर दिया गया था.

इसे लेकर इलेक्ट्रिकल विभाग ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था. इलेक्ट्रिकल का तर्क था कि 25 हजार वोल्ट से ईएमयू, एमईएमयू दौड़ती हैं, यदि इनके संचालन में कोताही बरती गई तो हादसा संभव है. इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल में खींचतान का आलम यह था कि दोनों विभाग में कागजी जंग शुरू हो गयी थी. इलेक्ट्रिकल के एचओडी मेकेनिकल विभाग से बना दिया गया. यहां तक कि रेलवे बोर्ड ने 3 अगस्त 2016 को इलेक्ट्रिकल की रिपोर्टिंग मेकेनिकल विभाग के आला अधिकारियों के अधीन कर दी थी. ऐसी स्थिति में सबसे पहले दक्षिण-पूर्व रेलवे के प्रधान मुख्य विद्युत अभियंता गौतम बनर्जी ने रेलवे के मेंबर इलेक्ट्रिकल को पत्र लिख इलेक्ट्रिकल की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मेकेनिकल को देने का विरोध किया था. उन्होंने इसे इलेक्ट्रिकल रूल्स 1956 का उल्लंघन बताते हुए आसन्न बड़े हादसे की निशानी बता दिया था.

बताया जा रहा है कि उस समय यह तमाम बदलाव रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी के समय हो रहे थे. लोहानी इंडियन रेलवे सर्विस आफ मेकेनिकल इंजीनियर्स (आइआरएसएमइ) कैडर के अधिकारी थे, इसलिए इस बात की चर्चा होने लगी थी कि लोहानी के कारण ही मेकेनिकल इंजीनियर्स को अधिक दायित्व सौंपे जा रहे हैं. लोहानी के रिटायर होने के बाद इंडियन रेलवे सर्विस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (आइआरएसइइ) के अधिकारी वीके यादव बतौर चेयरमैन विराजमान है. ऐसे में अप्रत्यक्ष तौर पर यही माना जा रहा है कि कैडर बदलते ही रुतबा और जिम्मेदारियों में भी बदलाव दिखायी देने लगे है. रेलवे में ईएमयू और एमईएमयू कार शेड की बात करें तो गाजियाबाद, सहारनपुर, कोलकाता, मद्रास, मुंबई, बड़ोदा आदि में है. यहां पर भले ही अभी इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारी कामकाज संभाल रहे हैं लेकिन इनकी रिपोर्टिंग अब भी मेकेनिकल विभाग ही कर रहा है. रेलवे बोर्ड ने 18 जुलाई को मेकेनिकल व इलेक्ट्रिकल विभाग की जिम्मेदारियों को लेकर आदेश जारी किए थे. इन आदेशों में सन 2016 में जारी किए गए आदेशों का भी हवाला दिया गया.

sorce , jagran

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