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देहरादून स्टेशन का नाम बदलने का दावा रद्द, रेलवे ने कहा-सोशल मीडिया ने फैलाया भ्रम

  • बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट कर दी थी जानकारी, रेलवे ने किया खंडन

रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली

रेलवे ने बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें देहरादून स्टेशन के साइन बोर्ड की एक तस्वीर को ट्वीट कर स्टेशन का नाम बदलने की बात कही गयी थी. ट्वीट में देहरादून के नाम को संस्कृत में ‘देहरादूनम्’ लिखा दिखाया गया था. रेलवे की बोर्ड में उर्दू को छोड़कर हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में भी देहरादून का नाम दिख रहा था. इस तरह 24 घंटे से चल रहे विवाद पर विराम लग गया है. लगे हाथ रेलवे ने इसे सोशल मीडिया का भ्रमजाल बताकर अपने कर्तव्य से इतिश्री करने का प्रयास किया है लेकिन अब तक यह बात साफ नहीं हो सकी है कि रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर दर्ज नाम किसकी अनुमति और सहमति से लिखा गया और वह प्रकाशित तौर पर विवादों में आ गया.

संबित पात्रा के ट्वीट पर संज्ञान लेते हुए रेलवे ने स्पष्ट किया है कि देहरादून स्टेशन के साइनबोर्ड पर कोई संस्कृत नाम नहीं है. पहले की तरह बोर्ड पर देहरादून का नाम दर्ज है. यहां उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में नाम दिख रहा है जो रेलवे ने प्रकाशित किया था. रेलवे ने इसे सोशल मीडिया द्वारा फैलाया गया भ्रम करार दिया है. बताते चले कि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक ट्वीट शेयर कर रेलवे के बोर्ड में संस्कृत में देहरादूनम् लिखा हुआ दिखाया था. नीचे अंग्रेजी और हिंदी में भी देहरादून का नाम दर्ज था. हालांकि पूरे कृत्य पर रेलवे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि सोशल मीडिया से मिली जानकारी के बाद यह पता किया गया. रेलवे की ओर से बताया गया है कि देहरादून में यार्ड रिमॉडलिंग का काम चल रहा था. उसी दौरान मजदूरों ने साइनबोर्ड पर नाम संस्कृत में लिखवा दिया था. काम खत्म होने पर इसमें सुधार करा दिया गया है. वर्तमान में स्टेशन का नाम पहले की तरह उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में दर्ज है.

सोमवार 13 जुलाई की सुबह यह मुद्दा तब सामने आया था जब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने पहली बार ‘ईगल आई’ नाम के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट दो तस्वीरों को री-ट्वीट किया. एक तस्वीर में देहरादून का एक पुराने स्टेशन का साइनबोर्ड दिखाई दे रहा था जिसमें नाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में लिखा था जबकि दूसरी तस्वीर में साइनबोर्ड पर नाम उर्दू की जगह संस्कृत में लिखा दिखाई दे रहा था. सहस्रबुद्धे ने ट्वीट में भारतीय रेलवे की इस महत्वपूर्ण पहल को हमारे साथ साझा करने के लिए धन्यवाद दिया था’इसके बाद पात्रा ने तस्वीर ट्वीट कर लिखा, ‘संस्कृत’देर रात तक पात्रा के ट्वीट को लाखों लाइक मिले और उसे बार-बार री-ट्वीट किया गया. इसके बाद रेलवे की निंद खुली. बता दें कि संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक दूसरी भाषा है.

हालांकि इस पूरे प्रकरण में इस बात की चर्चा है कि उत्तर रेलवे ने देहरादून स्टेशन के साइनबोर्ड को उर्दू की जगह संस्कृत में करने की कोशिश की थी. उत्तराखंड में बीजेपी के एक विधायक ने 2019 में रेल मंत्रालय पत्र लिखकर रेलवे स्टेशन का नाम संस्कृत के साथ हिंदी और अंग्रेजी में लिखने का अनुरोध किया था. इस पर उत्तर रेलवे ने देहरादून के जिला अधिकारी को आधिकारिक चिट्ठी लिखकर राज्य सरकार से इस मामले में इजाजत लेने को कहा था. मगर उसके बाद रेलवे को इस पर कोई कोई जवाब नहीं मिला.

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