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अहमदाबाद : एक ही कैडर पर दो कर्मचारी उठा रहे वेतन, वित्तीय गोलमाल पर चुप है प्रबंधन

  • म्यूचुअल ट्रांसफर में एक कर्मचारी ने ज्वाइन की ड्यूटी पर दूसरे को नहीं किया रिलीव

अहमदाबाद. पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद मंडल में नियमों की अवहेलना कुछ इस तरह की जा रही है कि कर्मचारी परेशानी रहे और उनका भरपूर दोहन किया जा सके. आलम यह है कि म्यूचुअल ट्रासंफर के मामलों को भी जानबूझ कर लटका दिया जा रहा है. वरीय अधिकारियों से इसकी शिकायत करने पर कर्मचारियेां येन-केन प्रकरेन परेशान भी किया जा रहा. आला अधिकारियों द्वारा शिकायत की सुनवाई नहीं किये जाने पर कर्मचारी भारी दबाव में है.

नयी घटना अहमदाबाद मंडल की है यहां ध्रांगध्रा, एसएससी (सिगनल) के अधीन कार्यरत संकेत तकनीशियन-3 कौशल कुमार ने माता-पिता की बीमारी का हवाला देकर रतलाम मंडल के शेख मोहम्मद युनुस से म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया था. शेख युनूस पश्चिम रेलवे के वडोदरा मंडल अंतर्गत एसएससी (सिगनल), दाहोद के अधीन संकेत तकनीशियन-3 थे. म्युचुअल ट्रांसफर में 12.09.2018 को रतलाम मंडल से शेख मोहम्मद युनुस ने अहमदाबाद मंडल में रिपोर्ट कर ड्यूटी ज्वाइन कर ली. उनकी जगह यहां कार्यरत्त कौशल कुमार को अहमदाबाद मंडल से रतलाम मंडल के लिए रिलीज नहीं किया गया. तबादला आदेश जारी होने के तीन माह बाद भी कौशल कुमार को कार्यमुक्त नहीं किया गया है. रेलवे बोर्ड के नियमों के अनुसार यह गलत है. ऐसा किये जाने से एक ही कैडर के दो लोग अहमदाबाद मंडल में काम कर रहे और वेतन भी उठा रहे जो वित्तीय अनियमितता का उदाहरण है.

यह मामला डीआरएम दिनेश कुमार तक भी पहुंचा पर सुनवाई तो कुछ नहीं हो सकी अलबत्ता, स्थापना में पदस्थापित एसएससी (टेली) सुनील शर्मा ने कर्मचारी किशोर कुमार को धमकाना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि डीआरएम को शिकायत की है तो देखों अब तुम्हें कौन रिलीव करता है? कर्मचारी के आवेदन पर सुनवाई सीनियर डीएसटी, अहमदाबाद आशीष तिवारी के स्तर पर भी नहीं हो सकी है. कर्मचारियों का आरोप है कि पदाधिकारियों के अड़ियल रवैये के कारण संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी परेशान है. आये दिन ट्रांसफर हो रहे है. प्रमोशन और ट्रांसफर को लेकर कर्मचारियों के मन में डर बैठ गया है.

इंडियन रेलवे एस एडं टी मैंटेनरर्स यूनियन के महासचिव आलोक चन्द्र प्रकाश ने कर्मचारी से जुड़े इस मामले को मंडल रेल प्रबंधक के समक्ष भी ट्वीट कर उठाया. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है. यूनियन का कहना है कि जो कर्मचारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है उसका तबादला प्रशासनिक हित दिखाकर कर दिया जाता है. मेंडल में राजेश बोलोवालिया ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाया तो उनका ट्रांसफर झूठा आरोप लगाकर कर दिया गया तथा.

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