- आदित्यपुर, बंडामुंडा और राउकेला में मेंस कांग्रेस ने मेंस यूनियन को धकियाकर बनाया दबदबा
- चक्रधरपुर डिवीजन में एकमात्र डीपीएस व सीनी तक पर सिमट गयी मान्यता वाली मेंस यूनियन
- रेलवे मेंस कांग्रेस जीत को भुनने में जुटी, आभार यात्रा निकालकर रेलकर्मियों के बीच पहुंचे नेता
JAMSHEDPUR. टाटानगर रेलवे इंस्टीट्यूट के चुनाव में रेलवे मेंस यूनियन और रेलवे मेंस कांग्रेस को जोर का झटका धीरे से लगा है. रेलकर्मियों के बीच अपनी-अपनी पैठ और जीत का दावा करने वाली दोनों यूनियनें टाटानगर रेलवे इंस्टीट्यूट की सत्ता से पूरी तरह बाहर हो गयी हैं. चौंकाने वाली बात दोनों यूनियनों को यह झटका नौ में से आठ सीट जीत कर प्रगतिशील मोर्चा ने दिया है. यह मोर्चा विभिन्न यूनियनों के समर्थन वाले रेलकर्मियों का वह समूह है जिनकी विचारधार रेलवे मेंस कांग्रेस और यूनियन से मेल नहीं खाती. हालांकि यहां एक सीट पर रेलवे मेंस कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत मिली है.
”एकल यूनियन का डंका बजाने वाली रेलवे मेंस यूनियन की सबसे बुरी स्थिति टाटानगर में देखने को मिली है. यहां पहले तो संगठन को दमदार कैंडिडेट नहीं मिला और जिसे उतारा गया वह भी यूनियन की भीतरी गुटबाजी का शिकार होकर रह गया. यह सब उस टाटानगर में देखने को मिला है जहां रेलवे मेंस यूनियन के डिवीजन स्तर पर चार केंद्रीय पदाधिकारी रहते हैं. यहां दो ब्रांच के 24 अन्य पदाधिकारी भी सक्रिय हैं. रनिंग ब्रांच के आधा दर्जन पदाधिकारी है.”
यूनियन की मान्यता के चुनाव जीतकर दक्षिण पूर्व रेलवे जोन में एकल यूनियन का डंका बजाने वाली रेलवे मेंस यूनियन की सबसे बुरी स्थिति टाटानगर में देखने को मिली है. यहां पहले तो संगठन को दमदार कैंडिडेट नहीं मिला और जिसे उतारा गया वह भी यूनियन की भीतरी गुटबाजी का शिकार होकर रह गया. यह सब उस टाटानगर में देखने को मिला है जहां रेलवे मेंस यूनियन के डिवीजन स्तर पर चार केंद्रीय पदाधिकारी रहते हैं. यहां दो ब्रांच के 24 अन्य पदाधिकारी भी सक्रिय हैं. रनिंग ब्रांच के आधा दर्जन पदाधिकारी है. स्वयं मंडल संयोजक एमके सिंह टाटानगर से है. जबकि दूसरे केंद्रीय पदाधिकारियों में दिग्गज नेता शिवजी शर्मा, जवाहरलाल और एके सिंह भी कोई कमाल नहीं दिखा सके. अब यूनियन के भीतर ही मुखर होकर इस बात की चर्चा हाेने लगी है कि संगठन की यह दुर्गति ऊपरी स्तर के नेताओं में चल रहे आपसी खींचतान का नतीजा है जो कैंडिडेटों की हार का कारण बना है.
” टाटानगर रेलवे इंस्टीट्यूट के चुनाव में कुछ अधिक दमदार नहीं कर सकी. एनएफआईआर से जुड़े राष्ट्रीय स्तर के नेता एसआर मिश्रा और रेलवे मेंस कांग्रेस के युवा नेता और चक्रधपुर मंडल संयोजक शशि मिश्रा भी इंस्टीट्यूट चुनाव में अपनी सशक्त भूमिका नहीं दर्ज करा सके. परिणाम आशा और अपेक्षा के विपरीत आये लेकिन आदित्यपुर, बंडामुंडा और राउरकेला के परिणामों ने रेलवे मेंस कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया. ”
उधर, यूनियन की मान्यता के चुनाव में कुछ अंतर से पीछे रह गयी रेलवे मेंस कांग्रेस हर मोर्चे पर अपने को स्थापित करने का प्रयास कर रही है. लेकिन वह भी टाटानगर रेलवे इंस्टीट्यूट के चुनाव में दमदार उपस्थिति नहीं दर्ज करा सकी. एनएफआईआर से जुड़े राष्ट्रीय स्तर के नेता एसआर मिश्रा और रेलवे मेंस कांग्रेस के युवा नेता और चक्रधपुर मंडल संयोजक शशि मिश्रा का करिश्मा भी इस चुनाव में नहीं चला. परिणाम आशा और अपेक्षा के विपरीत आये लेकिन आदित्यपुर, बंडामुंडा और राउरकेला के परिणामों ने रेलवे मेंस कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया. यहां मेंस कांग्रेस ने मेंस यूनियन की धकियाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया. इस तरह रेलवे मेंस कांग्रेस ने यहां मेंस यूनियन के दिग्गज कहे जाने वाले नेताओं की मिट्टी पलीत कर दी है.
बंडामुंडा, राउरकेला आदित्यपुर से खत्म हो रहा यूनियन का दबदबा
बंडामुंडा रेलवे इंस्टी्टयूट के चुनाव में हार के बाद रेलवे मेंस यूनियन के बड़बोले नेता एआर राय, राजा मुखर्जी की नेतृत्व क्षमता तार-तार होती नजर आ रही है. इन लोगों की नेतृत्व क्षमता पर अब यूनियन से जुड़े लोग ही सवाल उठाने लगे हैं. कहा जा रहा है कि रेलकर्मियों की परेशानी को नजरअंदाज कर अपनी स्वार्थ सिद्धि में जुटे यूनियन पदाधिकारियों की कारगुजारी के कारण ही बंडामुंडा में तो मेंस कांग्रेस ने यूनियन को पूरी तरह उखाड़ फेंका है. मेंस यूनियन के लिए ऐसी की कुछ स्थिति राउरकेला में नजर आयी जहां हलधर समेत दूसरे नेताओं की प्रतिष्ठा भी चुनाव परिणाम सामने आने के बाद दांव पर लग गयी है.
ऐसा ही कुछ हाल आदित्यपुर इंस्टीट्यूट के चुनाव में दिखा जहां नौ में आठ सीट पर रेलवे मेंस कांग्रेस ने सीधा कब्जा जमा लिया जबकि एक मात्र उम्मीदवार ने भी कांग्रेस को समर्थन दे दिया. अब यूनियन से सीट छीनने वाली रेलवे मेंस कांग्रेस इन जगहों पर आभार यात्रा निकालकर रेलकर्मियों के बीच जा रही है. आदित्यपुर में यूनियन की करारी हार से राजेश श्रीवास्तव, एसके गिरि, मुकेश कुमार आदि की प्रतिष्ठा दांव पर है. ऐसा इसलिए भी है कि रेलवे मेंस यूनियन जोन में एकल यूनियन के रूप में जीत कर सामने आयी है. कहां जा रहा है कि रेलकर्मियों ने बड़ी उम्मीदों से यूनियन नेताओं को जीताकर सत्ता की चाबी सौंपी थी लेकिन यूनियन का शीर्ष नेतृत्व ही आपसी गुटबाजी का शिकार हो गया है. इंस्टीट्यूट चुनाव में यूनियन की यह हार चेतावनी कही जा रही है.
नेताओं ने परिणामों पर साधी चुप्पी, गिनाने लगे कारण
टाटानगर के परिणाम से जहां प्रगतिशील मोर्चा के नेता गदगद हैं और अब रेलकर्मियों के बीच यह चर्चा करने लगे है कि यह परिणाम यह साबित कर रहा है कि दोनों यूनियनों का जनाधार घिसक रहा है. वहीं रेलवे मेंस यूनियन और मेंस कांग्रेस के नेता इंस्टीट्यूट चुनाव को बड़ा फैक्टर नहीं मान रहे है. कुछ नेताओं ने नाम नहीं सामने लाने की शर्त पर कहा कि यह चुनाव आनन-फानन में कराया गया और लंबे समय से सदस्यता तक स्थगित थी. ऐसे में उनके पास प्रचार समेत दूसरे विकल्प कम थे. कुछ लोगों ने कहा कि उनके प्रतिनिधि काफी कम अंतर से हारे हैं. इसके लिए तीसरा मोर्चा कारण बना है. कारण-परिस्थिति और परिणाम के बीच रेलवे मेंस कांग्रेस और रेलवे मेंस यूनियन के नेताओं के बीच हार-जीत को लेकर मंथन जारी है.
यहां देखें रेलवे इंस्टीट्यूट का चुनाव परिणाम, विजेताओं की सूची
