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आरपीएफ/जीआरपी

ECR : दानापुर में स्क्रैप उठाव में हुआ बड़ा खेल, तो क्या अपने ही जाल में उलझ गये IPF/DNR और IOW !

  • रेलवे विजिलेंस की जांच में पकड़ाया गोलमाल, आनन-फानन में दानापुर पोस्ट में दर्ज हुआ RP_UP केस 
  • अपनी-अपनी गर्दन बचाने जुटे विभाग, सीनियर डीएमएम ने उसी दिन जारी कर दिया एक्सटेंशन आदेश
  • निष्पक्ष जांच के लिए दोनों जिम्मेदार अधिकारियों को वर्तमान स्थल से हटाने की उठने लगी मांग   

PATNA. दानापुर मंडल मुख्यालय में कंडम आवास तोड़ने और स्क्रैप (मलबा) उठाव के नाम पर बड़े गोलमाल का मामला सामने आया है. हालांकि पूरे मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि स्क्रैप उठाव को लेकर आरपीएफ और इंजीनयरिंग के अधिकारियों ने पहले जिस एजेंसी को क्लीन चिट दिया था, ठीक पांच दिन बाद ही उसी एजेंसी के खिलाफ स्क्रैप चोरी का मामला (RPUP) आरपीएफ पोस्ट, दानापुर में दर्ज करा दिया गया है. अब रेलवे महकमे के लोग ही यह सवाल यह उठ रहा है क्या आरपीएफ प्रभारी और आईओडब्ल्यू की जानकारी में नियम के विपरीत धड़ल्ले से स्क्रैप की निकासी की जा रही थी? तो क्या निष्पक्ष जांच के लिए पहले दोनों अधिकारियों को उनके वर्तमान स्थल से नहीं हटाया जाना चाहिए?

पूरा मामला पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर डिवीजन का है. यहां तोड़े गये कंडम आवास का मलबा एक निर्धारित तिथि उठाने के लिए श्री नरसिंहा इंटरप्राइजेज को टेंडर वर्क ऑर्डर दिया गया था. हालांकि बताया बताया जाता है कि एजेंसी निर्धारित अवधि के बाद भी लगातार स्क्रैप का उठाव बिना किसी अनुमति या सूचना दिये करती रही. यह मामला रेलवे विजिलेंस तक पहुंचा तब 3 जुलाई को हाजीपुर से विजिलेंस टीम यहां जांच को आयी और उसने स्क्रैप उठाव कर रहे जेसीबी समेत दूसरे वाहनों को रोका. विजिलेंस टीम में संदीप कुमार, अरविंद कुमार सिंह और मों नफीस अहमद शामिल थे.

विजिलेंस टीम ने मौके पर एसएसई/वर्क्स संजय कुमार दास, जो स्क्रैप के कस्टोडियन भी हैं एवं आरपीएफ इंस्पेक्टर प्रदीप बरनवाल को बुलाया. उस समय मौके पर तैयार की गयी संयुक्त रिपोर्ट में एसएसई और आरपीएफ इंस्पेक्टर की ओर से विजिलेंस को यह बताया गया कि कार्य पूरी तरह से नियमानुसार चल रहा है और कोई गड़बड़ी नहीं है. हालांकि उसी दिन मामला उलझता देखकर दानापुर स्टोर विभाग ने आनन-फानन में एजेंसी को टेंडर में अवधि विस्तार दे दिया. इस बीच यह मामला रेल मंत्रालय तक पहुंच गया और ईसीआर मुख्यालय के हरकत में आने से पूरा खेल पलट गया.

आनन-फानन में ईसीआर विजिलेंस की ओर से 7 जुलाई 2025 को सीनियर कमांडेट आरपीएफ, दानापुर को रिपोर्ट भेजी गयी. इसमें स्पष्ट किया गया कि 3 जुलाई को विजिलेंस जांच के दौरान बिना सक्षम अधिकारी की मौजूदगी के एजेंसी द्वारा मलबा का उठाव किया जा रहा था जो रेलवे संपत्ति की चोरी का क्लीयर मामला बनता है. ऐसे में तत्काल (RPUP) मामला दर्ज कर एक्शन टेकेन रिपोर्ट भेजी जाये. इसके बाद आनन-फानन में दानापुर आरपीएफ पोस्ट में आठ जुलाई को कांड संख्या 13/2025 यूं/ एस 3 आरपी (यूपी) एक्ट का मामला दर्ज किया गया.

आरपीएफ और इंजीनियरिंग की जांच रिपोर्ट का आधार क्या था 

कंडम क्वार्टर का मामला उठाव को लेकर चल रही धींगामुस्ती के बीच रेलवे महकमे में इस बात चर्चा तेज है कि आखिर पहली बार 3 जुलाई को एसएसई एवं आरपीएफ ने विजिलेंस जांच के दौरान संयुक्त जांच बनायी तो कर इसमें स्क्रैप उठाव में अनियमितता नहीं होने की बात किस आधार पर दर्ज की गयी? आनन-फानन में उसी दिन सीनियर डीएमएम कार्यालय से उठाव का एक्सटेंशन आदेश क्यों जारी किया गया ? स्क्रैप उठाव के दौरान कस्टोडियन स्वयं अथवा उनका कोई प्रतिनिधि मौके पर मौजूद क्याें नहीं था? अब सवाल यही उठ रहा है जब पहली रिपोर्ट में अनियमितता नहीं, दूसरी रिपोर्ट में आपराधिक मामला कैसे दर्ज कर लिया गया? चर्चा है कि … तो क्या दानापुर स्क्रैप उठाव के खेल में IPF/DNR और IOW अपने ही बुने जाल में उलझ गये है !

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