गपशप

30 साल में एक बार भी पूर्वोत्तर रेलवे से बाहर नहीं गयी आलोक, अब बने पीसीसीएम 

नई दिल्ली. राजनीतिक हस्तक्षेप और जोड़तोड़ ने प्रशासनिक और प्रबंधकीय तंत्र को कदाचारपूर्ण बना दिया है. इसका उदाहरण हमेशा विभिन्न विभागों की ट्रांसफर व पोस्टिंग में नजर आता है. दुर्भाग्य से यह लत रेल मंत्रालय को भी लग गयी है. हालांकि यहां इन गतिविधियों को रोकने के लिए विजिलेंस एवं सीवीसी तैसे तमाम कई दिशा-निर्देशों के साथ मौजूद है बावजूद अगर कोई अधिकारी रेलवे में ज्वाइन करने से लेकर विभागीय प्रमुख तक की कुर्सी एक ही जोन में पाये जाये तो चर्चा होना स्वाभाविक है. सिर्फ पदों की अदला-बादली कर किसी अधिकारी को अपने मूल स्थान पर बनाये रखना भी किसी भ्रष्टाचार से कम नहीं है. नया उदाहरण पूर्वोत्तर रेलवे के प्रिंसिपल सीओएम आलोक सिंह को लेकर सामने आया है जिनकी सिर्फ मुख्यालय में कुर्सी बदल गयी है. उन्हें  प्रिंसिपल सीओएम से प्रिंसिपल सीसीएम बना दिया गया है. बताया जाता है कि उनकी पोस्टिंग का रंग राजनीतिक है.

वह भी तब जब  प्रिंसिपल सीओएम बने एक साल भी पूरा नहीं हुआ. वहीं प्रिंसिपल सीसीएम शिवराज सिंह का तबादला दक्षिण पश्चिम रेलवे, हुबली में कर दिया गया है. उन्हें भी इस पर आये एक साल ही हुआ था. एक वेव पोटल की माने तो पूर्वोत्तर रेलवे की पीसीसीएम की पोस्ट को छह माह से अधिक समय तक इसलिए खाली रखा गया था, कि डीआरएम, लखनऊ से निकलने के बाद एक अधिकारी को उक्त पोस्ट पर पदस्थ किया जा सके. इसके बाद उनकी ही ‘चॉइस’ पर उन्हें पीसीओएम भी यहीं बना दिया गया. अब उन्हें उनकी ही ‘चॉइस’ पर पुनः पीसीसीएम बनाया जा रहा है. बीते 7 फरवरी को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन पूर्वोत्तर रेलवे के दौरे पर थे और अगले दिन ही  8 फरवरी को दोनों अधिकारियों की पोस्टिंग का ऑर्डर जारी कर दिया गया.

चर्चा है कि आलोक सिंह की पोस्टिंग सीएसओ के पद पर की जा रही थी. इसकी भनक पाते ही वह राजनीति दांव-पेंच खेल कर इसमें तब्दीली कराने में सफल रहे. आलोक सिंह पर पीसीओएम रहते हुए कदाचार कदाचार का मामला भी आया है. उन्होंने क्षेत्राधिकार से परे जाकर गोरखधाम एक्सप्रेस में लीज की व्हीकल पार्सल यूनिट (वीपीयू) हाटकर  सैलून लगवाया जिसका अधिकार उन्हें है ही नहीं. यह मामला जोनल कार्यालय में चर्चा का विषय बन चुका है. इसके अलावा डीआरएम, लखनऊ रहने के दौरान भी उन पर कई आरोप लगते रहे है. इससे पहले वाणिज्य विभाग की परीक्षा में उनके द्वारा की गई गड़बड़ी पर सिर्फ आरटीआई लगा देने मात्र से छपरा के एक कर्मचारी को उन्होंने पदोन्नति इसलिए दे दी थी, क्योंकि यदि ऐसा नहीं करते, तो उन्हें गंभीर कानूनी और विजिलेंस मामले झेलने पड़ते.

यही नहीं, अपने मातहत दो चपरासियों की पदोन्नति की फाइल वह करीब दो-ढ़ाई महीने सिर्फ इसलिए दबाए बैठे रहे थे, क्योंकि दोनों चपरासी उनके द्वारा कथित रूप से मांगे गए 50-50 हजार रुपये नहीं दे पा रहे थे. सोशल मीडिया पर इस मामले के उजागर होते ही सबसे पहले उन्होंने उन दोनों चपरासियों को चैम्बर में बुलाकर बहुत भला-बुरा कहा, मगर तुरंत उनकी फाइल उसी दिन निकाल दी थी. आलोक सिंह द्वारा सैलून का इतना अधिक दुरुपयोग किया गया है कि इसकी वैसी कोई मिसाल शायद पूरी भारतीय रेल में नहीं मिलेगी. कुछ समय पहले उच्च स्तर पर की गई एक शिकायत पर इनका सैलून बीच रास्ते मगहर स्टेशन पर गाड़ी से काट दिया गया था. तब सड़क के रास्ते उन्हें छिपते हुए चोरों की तरह लखनऊ जाना पड़ा था. इस मामले में जानकारों का कहना है कि सैलून की अनुमति देने वाली अथॉरिटी भी सैलून के इस दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार है.

बहरहाल, प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, विजिलेंस, रेलवे बोर्ड सुनील माथुर द्वारा संवेदनशील पदों पर लंबे समय से कार्यरत रेलकर्मियों के अविलंब अन्यत्र तबादले का आदेश आलोक सिंह जैसे अधिकारियों पर क्यों नहीं प्रभावी हुआ है, जो कि लंबे समय से ही नहीं, बल्कि अपने पूरे सेवाकाल में एक ही जोन में खूंटा गाड़कर टिके हुए हैं? यह खुद समझने वाली बात है. पूर्वोत्तर रेलवे के जोनल एवं डिवीजनल मुख्यालयों में रहकर आलोक सिंह इन्हीं सब संवेदनशील पदों पर लगभग 30 सालों से कार्यरत रहे हैं. ऐसे में उन्हें इस जोन से बाहर एक बार भी अब तक क्यों नहीं भेजा गया?
सभार : रेल समाचार

Spread the love
Click to comment

You May Also Like

न्यूज हंट

आरती ने रात ढाई बजे ‘ पुरुष लोको पायलट से की थी बात’ फिर लगा ली फांसी : परिजनों का आरोप  रतलाम में पदस्थापित...

न्यूज हंट

रेल परिचालन के GR नियमों की अलग-अलग व्याख्या कर रहे रेल अधिकारी, AILRSA ने जतायी आपत्ति GR 3.45 और G&SR के नियमों को दरकिनार कर...

न्यूज हंट

AGRA. उत्तर मध्य रेलवे के आगरा रेलमंडल में दो मुख्य लोको निरीक्षकों ( Transfer of two CLIs of Agra) को तत्काल प्रभाव से तबादला...

न्यूज हंट

डीआरएम ने एलआईसी के ग्रुप टर्म इंश्योरेंस प्लान को दी स्वीकृति, 10 मई 2024 करना होगा आवेदन  रेलकर्मी की मौत के 10 दिनों के...

Rail Hunt is a popular online news portal and on-going source for technical and digital content for its influential audience around the Country. Dr. Anil Kumar, Mannaging Editor, Contact with whatsapp 9905460502, mail at editor.railhunt@gmail.com, railnewshunt@gmail.com.

Exit mobile version