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सीबीआई ने झारसुगुड़ा के रेलवे पार्सल क्लर्क गुंजन को 3500 रुपये घूस लेते पकड़ा

  • लांग सर्विस अपसेंट में बर्खास्त गुंजन कुमार की रेलवे सेवा में वापसी की चल रही है विजिलेंस जांच
  • चक्रधरपुर डिवीजन के लोडिंग सेक्शन से शुरू हुआ विवाद, विजिलेंस केस से सीबीआई तक पहुंचा 

JHARSUGUDA. सीबीआई की भुवनेश्वर से आयी टीम ने 23 मार्च 2023 शनिवार की दोपहर झारसुगुड़ा रेलवे स्टेशन पर पार्सल क्लर्क गुंजन कुमार पटेल को 35 सौ रुपये घूस लेते दबोच लिया है. उनके खिलाफ चौकीपाड़ा निवासी पान-मसाला सप्लायर कैलाश साह ने 22 मार्च को शिकायत दर्ज करायी थी. इसमें यह बताया गया था कि झारसुगुड़ा का पार्सल कर्मचारी गुंजन कुमार पटेल उनसे 3,500 रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं.

गुंजन कुमार पटेल

यह राशि कैलाश साह के पान मसाला युक्त 60 बैग की डिलीवरी/बुकिंग के लिए मांगी गयी थी. पान मसाला कारोबारी ने बताया था कि उसके पास पान मसाला की 60 बोरी थी. जो कोटा से झारसुगुड़ा आयी थी. उसमें से 35 बैग आगे भेजा जाना था. इसे लेकर 21.03.2023 को वह पार्सल कार्यालय गये और गुंजन कुमार से मिले. गुंजन कुमार पटेल ने दोनों केस में 1,000 और 1,200 खर्च बताकर 3,500 रुपये की डिमांड की. शिकायतकर्ता का आरोप था कि गुंजन ने रिश्वत के पैसे दिए बिना कोई बुकिंग नहीं करने की बात कही.

इस शिकायत पर सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए 3,540 रुपये रिश्वत लेने के आरोप में गुंजन कुमार पटेल को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में जांच सीबीआई इंस्पेक्टर एके नंदा को सौंपी गयी है. हालांकि रेलवे सूत्रों की माने तो झारसुगुड़ा पार्सल में सीपीएस की भूमिका सवालों में रही है. वहीं सीबीआई के निशाने पर थे लेकिन ऐन समय में गुंजन जाल में फंस गया.

सीबीआई रेड के बाद पार्सल कार्यालय में सन्नाटा

यहां यह बताना जरूरी होगा कि गुंजन कुमार पटेल को लांग सर्विस अपसेंट में रेलवे की सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. हालांकि बाद रेलवे अधिकारियों के सहयोग से उसकी रेलवे सेवा में बीते साल ही वापसी हुई है. उसकी सेवा में बहाली में अहम भूमिका निभाने वाले तत्कालीन सीनियर डीसीएम ने उसकी पोस्टिंग चक्रधरपुर के मलाईदार माने जाने वाले डीपीएस सेक्शन में कर दी और यहीं से उसके विपत्ति के दिन शुरू हो गये. इस सेक्शन में पहले से गुंजन पदस्थापित रह चुका था और उसे यहां मिट्टी से होने वाली अघोषित कमाई की पूरी जानकारी थी.

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यहां उसका सामना रेलवे में 2007 में नोवामुंडी से ज्वाइनिंग के बाद से ही सेक्शन में 16 साल से जमे विक्रांत-विनोद की जोड़ी से हो गयी. एक म्यान में जैसे दो तलवार नहीं रह सकते, वहीं यहां भी हुआ. यह टकराव जब डिवीजन के आला अधिकारियों की परेशानी का कारण बनने लगा तो गुंजन को वहां से झारसुगुड़ा भेज दिया गया. कारण लगातार 16 साल से सबसे मलाईदार सेक्शन में रहने के कारण मंडल वाणिज्य विभाग, परिचालन विभाग, वित्त व विजिलेंस के अफसरों तक ऊंची पैठ के कारण विक्रांत-विनोद की इच्छा को टाल पाना यहां के अधिकारियों के लिए आसान नहीं था.

रेलवे बोर्ड और रेल प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों की नैतिकता और शुचिता के साथ ही विजिलेंस एवं सीवीसी के तमाम दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर खुद ही भ्रष्टाचार और जोड़तोड़ को कैसे बढ़ावा दिया जाता है, इससे बड़ा उदाहरण चक्रधरपुर रेलमंडल वाणिज्य विभाग के अलावा शायद ही कोई दूसरा मिलेगा. विक्रांत-विनोद की सेक्शन में मौजूदगी इसका बड़ा उदाहरण है. डिवीजन में 4600 ग्रेड पे वाले वरिष्ठों की वरीयता को नजरअंदाज कर गुड्स क्लर्क श्रेणी के कनिष्ठ कर्मचारियों (ग्रेड पे 2600) को सेक्शन का इंचार्ज बनाकर यहां रखा गया है. यह रेलवे बाेर्ड के (पत्र सं. 2018/वी-1/सीवीसी/5/1, दि. 30.11.2018) का सीधा उल्लंघन है.

हालांकि विक्रांत-विनोद की टीम से गुंजन का टकराव यही खत्म नहीं हुआ. रेलवे सेवा में जिस सर्टिफिकेट पर उसकी वापसी हुई उसी को चुनौती देकर गुप्त रिपोर्ट रेलवे जोनल विजिलेंस में भेजी गयी. जांच शुरू हुई और गुंजन इसमें धीरे-धीरे उलझने लगा. हालांकि इस जांच की आंच में सीआई शंकर झा और आला अधिकारी भी आ रहे थे लेकिन विभागीय दबाव और धमक ने इसे सीआई तक सीमित कर दिया है. देर सबेर  गुंजन की रेलवे सेवा में वापसी के लिए आधार बने मेडिकल सर्टिफिकेट को वेरिफाई करने वाले सीआई पर कार्रवाई की गाज गिरनी तय है.

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चक्रधरपुर रेलमंडल के लोडिंग सेक्शन बड़बिल-बड़ाजामदा में सीआई की पोस्टिंग भी बड़े पैरवी का आधार पर होती है जहां ड्यूटी रोस्टर का पालन कभी नहीं किया गया. यहां ड्यूटी सीआई की मनमानी और जुबान पर चलती है. सेक्शन में आला अधिकारियों से लेकर विजिलेंस को मैनेज करने का काम विक्रांत व विनोद का होता है. यह क्रम बीते 15 साल से अनवरत चल रहा. कोई भी सीनियर डीसीएम आ जाये इस जोड़ी को नहीं तोड़ पाया.

सीबीआई की प्राथमिकी यहां देखें 

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