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रेलवे में निजीकरण का उदाहरण है आईआरसीटीसी की खानपान, बेड रॉल की खराब सेवा : शशि मिश्रा

  • चक्रधरपुर मंडल मुख्यालय पर विरोध मार्च निकालकर रेलवे मेंस कांग्रेस ने जताया विरोध
  • सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए एक मंच पर आने का आहवान

रेलहंट ब्यूरो, चक्रधरपुर

रेलवे की निजी सेवाओं का नायाब उदाहरण है आइआरसीटीसी की खानपान, रनिंग रूम, रेलवे सेटेलमेंट व बेड रॉल के रखरखाव की व्यवस्था. गुणवत्ता के स्तर पर आईआरसीटीसी का प्रदर्शन काफी खराब है. उसमें किसी तरह का सुधार नहीं हो रहा है बावजूद सरकार उसी एजेंसी को दूसरी सेवाएं कौड़ियों के मोल देने को आतुर है, इसके गंभीर परिणाम हो सकते है. यह कहना है रेलवे मेंस कांग्रेस के मंडल संयोजक शशि मिश्रा का. शशि मिश्रा 23 अक्टूबर बुधवार को चक्रधरपुर में आयोजित विरोध मार्च को संबोधित कर रहे थे. यह मार्च रेलवे में निजीकरण के विरोध में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआइआर) के निर्देश पर चक्रधरपुर मंडल कार्यालय के बाहर निकाला गया.

मंडल संयोजक शशि मिश्रा ने रेलवे मंडल स्तर पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के नाम डीआरएम छत्रसाल सिंह को सौंपा जिसमें अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के साथ रेलवे की बेहतरी के लिए सुझाव भी दिये गये है. इसमें रेलवे को निजीकरण के खतरों के प्रति आगाह भी किया गया है. धरना में मंडल संयोजक ने कहा कि रेलवे का जिस रफ्तार से निजीकरण हो रहा है, उसका दूषपरिणाम रेलकर्मियों को ही नहीं बल्कि आम जनता को भी भोगना पड़ेगा. रेलवे ने जिन क्षेत्रों में आज तक निजीकरण किया है, उसकी गुणवत्ता सबके सामने है. आइआरसीटीसी की खानपान, रनिंग रूम, रेलवे सेटेलमेंट व बेड रॉल के रखरखाव की व्यवस्था का उदाहरण देते हुए मिश्रा ने कहा कि इन सेवाओं की स्थिति व प्रदर्शन काफी खराब है. उसमें किसी तरह का सुधार नहीं हो रहा है. कहा कि रेलवे का पेट्रोलिंग ड्यूटी जैसे कई संरक्षा (सेफ्टी) से जुड़े कार्यों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है.

रेल सुरक्षा व संरक्षा को दांव में रखकर इस तरह रेलवे निजीकरण को आगे बढ़ा रहा है. जिसके खिलाफ पूरे भारत वर्ष में एनएफआइआर विरोध सप्ताह मना रहा है. कहा कि रेलकर्मचारी रात दिन मेहनत कर चक्रधरपुर रेल मंडल को पूरे भारतीय रेल में आगे लेकर जा रहे हैं. चक्रधरपुर मंडल में कोई भी निजीकरण का काम लागू नहीं करें. कहा कि जब कर्मचारी सक्षम है, कौशल से संपूर्ण है, तो किसी तरह का निजी ट्रेन हो या निजी ऑपरेटर आकर रेल मंडल में काम करें, यह मेंस कांग्रेस को मंजूर नहीं है. श्री मिश्रा ने कहा कि भारतीय रेल के सात प्रोडक्शन यूनिट को 100 डेज प्रोग्राम के तहत निजी हाथों में देने की योजना बनायी गयी थी. सभी संगठन एक साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किये और सरकार को विवश होकर अपना निर्णय वापस लेना पड़ा. ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के पारस कुमार ने कहा कि सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए सभी श्रमिक संगठनों को एक मंच पर आना होगा. धरना को आरके मिश्रा, जेके सिंह, बबिता दे, ओपी माथुर, अशोक कुमार, घनश्याम चौधरी व रतन पंडा ने संबोधित किया. मौके पर आरके मिश्रा, सुभाष मजूमद्दार, एंथोनी फारनांडो व सैकड़ों कार्यकर्त्ता मौजूद थे.

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