रेलवे न्यूज

TATANAGAR : नहीं रहे शंभू नाथ प्रसाद, रेलवे पार्सल में उल्लेखनीय सेवा के लिए हमेशा किए जाएंगे याद

  • सबको रुलाते हुए अनंत यात्रा पर निकले, परसुडीह के सार्वजनिक जीवन के रहे अभिन्न अंग, आज होगा अंतिम संस्कार
  • जिला आरा गांव अंगारा के निवासी शंभूनाथ प्रसाद ने कार्यकारी, सामाजिक व पारिवारिक जीवन को दी नयी पहचान 
  • पत्रकार निखिल सिन्हा के पिता के निधन पर प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर ने जताया शोक

JAMSHEDPUR. टाटानगर रेलवे पार्सल से सेवानिवृत्त शंभूनाथ प्रसाद (68) का मंगलवार 6 फरवरी 2024 को कोलकाता के सेंट्रल हॉस्पिटल गार्डेनरीच, बीएनआर में इलाज के दौरान निधन हो गया. वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. एसएन प्रसाद (SN PRASAD) को रेलवे पार्सल या बुकिंग ही नहीं पूरे टाटानगर में उनकी उल्लेखनीय सेवा के लिए हमेशा याद किया जाता रहा है. शंभू नाथ की पहचान टाटानगर रेलवे में हंसमुख स्वभाव, बेबाक बोल और सहयोग के लिए तत्पर रहने वाले रेलकर्मियों में रही है.

टाटानगर कमर्शियल विभाग में पार्सल हेड बुकिंग क्लर्क के पद से 2016 में रिटायर हुए शंभूनाथ प्रसाद पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. खासमहल रेलवे अस्पताल से उन्हें कोलकाता सेंट्रल हॉस्पिटल गार्डनरीच रेफर किया गया था. यहां उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका पार्थिव शरीर बुधवार को शहर लाया जायेगा. यहां बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट में दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा.

कार्यकारी व सामाजिक जीवन में हमेशा से सक्रिय रहे शंभूनाथ प्रसाद ने अपने पारिवारिक जीवन को भी बखूबी से जीया और अपने पीछे भरा-पूरा संयुक्त परिवार छोड़ गये हैं. मूल रूप से जिला आरा गांव अंगारा के निवासी शंभूनाथ प्रसाद की पहचान कार्यकारी और सामाजिक जीवन के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने को लेकर गहरी रही है. सारजामदा सोपाडेरा में दुर्गापूजा मैदान के समीप परिवार के रहने वाले शंभू नाथ प्रसाद परसुडीह के सामाजिक जीवन के हमेशा अंग बने रहे. परसुडीह सारजामदा में हर पूजा व सार्वजनिक आयोजनों में इनकी सक्रिय भागीदारी रही.

शंभूनाथ प्रसाद के पिता रामनाथ प्रसाद के चार बेटा-बेटियों में शंभूनाथ सबसे बड़े पुत्र थे. उन्होंने अपने पूरे परिवार को बांधकर रखने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी. रिटायरमेंट के बाद उन्हें बुढ़ापा जनित बीमारियों ने घेर लिया था. इस दौरान एक बड़े मीडिया हाउस से जुड़े उनके छोड़े पुत्र निखिल सिन्हा जीवन से जुड़ी तमाम चुनौतियों एवं परेशानियों के बावजूद पिता की सेवा में जुटे रहे. अंतिम समय में भी वह पिता के साथ थे. शंभू बाबू अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र-दो पुत्रियों का परिवार छोड़ गये हैं.

शंभूनाथ प्रसाद के निधन की खबर सुनते ही रेलवे के उनके पूर्व सहयोगी और परसुडीह क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी है. उनके साथ काम करने वालों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा जिंदादिल इंसान कभी नहीं देखा. शंभू बाबू के लिए हर परेशानी चुनौती थी जिसे वह चुटकियों में दूर कर लेते थे. शंभू बाबू की दिव्य आत्मा को कोटि-कोटि नमन व विनम्र श्रद्धांजलि.

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