- आपरेशन थंडर : 50 हजार से अधिक यात्री होंगे प्रभावित, 32 लाख से अधिक की राशि जायेगी पानी में
- अपनी खामी को यात्रियों पर थोपने की पुरानी परंपरा को निभाकर रेलवे करेगा लाखों की कमाई
- 3.24 करोड़ रुपए मूल्य के टिकटों का अवैध कारोबार पहले ही पकड़े गये दलाल कर चुके है
ऑपरेशन थंडर में देश भर में बड़े शहरों में छापे मारे गये. इनमें सबसे अधिक दलाल तो कोलकाता और बिलासपुर में पकड़े गए जबकि अन्य शहरों में भी इनकी संख्या अच्छी रही. कोलकाता में 51, बिलासपुर में 41, गोरखपुर में 32, इलाहाबाद में 25, दिल्ली-एनसीआर में 30 जबकि पटना में 17 मामले दर्ज किये गये है. रेलवे ने यह कार्रवाई रेलवे टिकट की आरक्षण प्रणाली में तकनीकी रूप से दलालों के घुसपैठ की सूचना पर की गयी थी. हालांकि यह चूक पूरी तरह से रेलवे की और उसकी सुरक्षा प्रणाली की है जिसका फायदा दलालों ने उठाया. पीक सीजन में यात्रियों तक सुलभ टिकट उपलब्ध कराने में रेलवे के विफल रहने के कारण ही आरक्षण की मांग को पूरा करने के लिए यात्रियों ने दलालों का सहारा लिया गया. अब रेलवे अपनी खामी को पूरी तरह यात्रियों पर थोपने की तैयारी कर चुका है.
पिछले कुछ समय से रेल टिकट आरक्षण प्रणाली में दलालों की घुसपैठ की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं. कुछ मामलों में कुछ अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के बाद इसे गंभीरता से लेते हुए देश भर में इसके विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया गया. 13 जून को देश के 141 नगरों में 276 स्थानों पर की गयी छापेमारी में 375 मामलों में 387 दलालों को गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से 32.99 लाख रुपए मूल्य के 22,253 टिकट बरामद किए गए. जांच में पाया गया कि पकड़े गए दलालों ने इससे पहले भी लगभग 3.24 करोड़ रुपए मूल्य के टिकटों का अवैध कारोबार किया था.
अरुण कुमार, आरपीएफ डीजी
अब रेलवे बनाये गये टिकट के यूजर आईडी को ही रद्द करेगा जिसके साथ ही सभी जब्त टिकटों को भी निरस्त कर दिया जायेगा. इन टिकटों पर 50 हजार से अधिक यात्री यात्रा का सपना संयोय हुए है. इससे पूर्व भी आरपीएफ ने ई टिकट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए कई लोगों को एक से अधिक आईडी पर आईआारसीटीसी की साइट से टिकट बनाते हुए पकड़ा था. गर्मियों की छुट्टियां तथा शादी-ब्याह का मौसम होने के कारण मई और जून माह में आरक्षण की डिमांड अधिक होती है. इसका फायदा दलाल उठाते है. टिकट काउंटर एवं ई-टिकटिंग सुविधा का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़ा कर ऊंचे दामों पर रेल टिकटों की कालाबाजारी की जाती है.ये दलाल आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक करते हैं. नकली पर्सनल आईडी बनाकर रखते हैं. सुबह दस बजे आम यात्रियों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा ओपन होती है. जबकि सवा दस बजे से एजेंट की आईडी ओपन होती है. करीब सवा 11 बजे से स्लीपर के रिजर्वेशन टिकट एजेंट बना सकते हैं.
आरपीएफ के एक सूत्र ने कहा कि राजस्थान के कोटा से एक सॉफ्टवेयर ‘एएनएमएस/रेड मिर्ची’ बरामद किया गया, जिसका उपयोग आईआरसीटीसी की तत्काल सेवा को हैक करने के लिए किया जा रहा था। अब इसे सुधार दिया गया है.
आरपीएफ अधिकारी के अनुसार, जिन 387 यूजर आईडीज जिनसे लगातार ये टिकट बुक किए गए थे, उन्हें काली सूची में डाल दिया गया है और टिकटों को रद्द कर दिया गया है. आरपीएफ ने दलालों पर दवाब बढ़ाने के लिए सभी जोनल रेलवेज को उनके क्षेत्रों में ऐसी छापामारी जारी रखने के भी निर्देश दिए हैं. पंद्रह मिनट के इस अंतर में ही एजेंट फर्जी पर्सनल आईडी से धड़ाधड़ टिकटों की बुकिंग करते हैं. इसके लिए हाईस्पीड इंटरनेट का उपयोग किया जाता है. जिस बीच आम यात्री कंप्यूटर पर वेट की स्थिति में होता है उस दौरान ये लोग कई टिकट बुक करा चुके होते हैं. और आम लोगों को प्रतीक्षा सूची से संतोष करना पड़ता है. यहीं नहीं वेटिंग लिस्टेड टिकट पर इमरजेंसी कोटे के तहत आरक्षण की उम्मीद रखने वाले दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला, खिलाड़ी, सैनिक और पदक विजेता खिलाड़ियों की उम्मीदें भी इन दलाकों और अधिकारियों की सांठगांठ के कारण पूरी नहीं हो पाती है.