समाज संस्कृति

साहित्य मधुशाला के द्वितीय वार्षिकोत्सव पर काव्य गोष्ठी में भरे रचनाओं के ‘रंग’

Poetry seminar on second anniversary of Sahitya Madhushala

MYSORE : देश विदेश के जाने माने रचनाकारों से युक्त साहित्य मधुशाला संस्था का द्वितीय वार्षिकोत्सव ऑनलाइन शनिवार 10 दिसम्बर को अनेक सदस्यों की उपस्थिति में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें अनेक कवि कवयित्रियों ने अपनी सुंदर स्वरचित रचनाओं को प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए.

कार्यक्रम की अध्यक्षता बेंगलुरु के जैन राजेंद्र गुलेच्छा ने की. मुख्य अतिथि कोलकाता के जानेमाने उद्योगपति एवं अग्रवाल समाज के अध्यक्ष राजकुमार मित्तल ने दीप-प्रज्वलन कर गोष्ठी का शुभारम्भ किया. कार्यक्रम का सुंदर संचालन संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती उषा जैन केडिया ने अपने चिर-परिचित अन्दाज़ में चार पंक्तियों के माध्यम से सबको बारी-बारी से रचना प्रस्तुत करने हेतु आमंत्रित करके किया.

Poetry seminar on second anniversary of Sahitya Madhushala

संगीता चौधरी द्वारा सरस्वती वन्दना के बाद काठमाण्डू नेपाल के वरिष्ठ कवि जयप्रकाश अग्रवाल ने ‘किसी को आमद की किसी को ज़रिया की फिकर’, कोलकाता से उषा जैन ने ‘मैली हो गयी म्होरि चुनरियाँ’ टाटानगर के कवि प्रमोद खीरवाल ने ‘आज हवाएँ हँस रही हैं’ जयपुर की अनुपमा अग्रवाल ने ‘धूप का एक नर्म सा टुकड़ा’, बैंगलोर के युवा कवि आनंद दाधीच ने ‘रुतबों क़स्बों की बातें होती रहेगी’, बैंगलोर की कवयित्री दीपिका मिश्र ने ‘ऊँगली पकड़ चलना सिखाता है पिता’ कोलकाता की संगीता चौधरी ने ‘मैंने किया नहीं या कर नहीं पाया’ साथ ही नेपाल के कवि सुरेश अग्रवाल ‘कविता को कविता का उपहार’ एवम् बेंगलुरु के प्रतिष्ठित कवि नंद सारस्वत स्वदेशी ने पंचतत्व की बनी हवेली प्रस्तुत कर गोष्ठी को बहुत ही यादगार एवम् खूबसूरत बना दिया.

संस्था अध्यक्ष उषा केडिया ने संस्था की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी देने के साथ ही तरन्नुम में अपनी रचना ‘बता मैं इश्क किस तरह करूँ’ प्रस्तुत की, साथ ही बैंगलोर के कवि जैन राजेंद्र गुलेच्छा राज ने सब प्रस्तुतियों पर सुंदर समीक्षा करने के साथ ही अपनी रचना ‘बना है वो काबिल अपने बलबूते पर उसे आसमाँ पर देख तू क्यूँ जलता है’ सुनाकर सबकी भरपूर तालियाँ बटोरी. अंत में संगीता चौधरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात गोष्ठी का विधिवत समापन हुआ. ज्ञातव्य है कि इस साहित्य संस्था से अनेक जाने माने कवि रचनाकार जुड़े हुए हैं. इस संस्था में प्रति सप्ताह विषयोत्सव प्रतियोगिता होती है एवं प्रति मास काव्य गोष्ठी का सुंदर आयोजन होता रहता है.

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“ठंडी हवाएं”

आज हवाएं हंस रही हैं
पंखे कूलर एसी पर
वही मनुष्य वही धरती
आज तुमसे दूर हो रहा हैं
धरा पर बहती ठंडी
हवा बुला रही हैं
मनु को क्यों मुझसे
आज तू दूर हो रहा हैं
अभी तुम मखमली
मुलायम मुलायम रुई से
बनी रजाई में घुसकर
मुझसे छुपने की
कोशिश कर रहें हो
कहीं से भी मैं ना घुसू
उसका उपाय तुम
खूब कर रहे हो
“हवावों ने कहा”
वक्त वक्त की बात हैं
कुछ दिनों की बात हैं
फिर ढूंढोगे मुझे तुम
वही प्यार मुझसे मिलने
लिए जताओगे
तुम्हारी गर्मी में उतारुगां
उस समय बताएंगे
वक्त वक्त की बात हैं
वक्त ही वक्त की बात हैं

प्रमोद खीरवाल
टाटानगर

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