- रेल बचाओ, देश बचाओ के नारे के साथ आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने किया आंदोलन का एलान
- देश भर में समर्थित यूनियनों ने रैली निकालकर स्टेशन व लॉबी में किया विरोध प्रदर्शन
- सरकार देश को बेचकर विकास का नाम देना चाहती है तो उसे इसकी इजाजत नहीं दी जायेगी
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
नौ अगस्त के एतिहासिक दिन आज आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने रेल बचाओ-देश बचाओ के नारे के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. रेलवे में निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में आयोजित देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में एआईआरएफ की समर्थित यूनियनों ने विभिन्न शहरों में स्टेशनों और लॉबी में प्रदर्शन कर सरकार के रवैया के खिलाफ विरोध दर्ज कराया और अंतिम लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया. इस दौरान लखनऊ रेलवे स्टेशन पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने सरकार के दोहरी नीति पर जमकर प्रहार किया और रेलकर्मियों के साथ जनता को आगाह किया कि अगर आज हम नहीं जगे तो आने वाले पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी क्योंकि तब सरकार हमारे के लिए कुछ नहीं छोड़ेगी. उन्होंने आह्वान किया कि सरकार मानी तो ठीक है नहीं तो जिस दिन से नयी रेलगाड़ी चलाने का एलान होगा उसी दिन से रेल का चक्का जाम कर दिया जायेगा.
शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि रेलवे को बचाने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई देश को बचाने का समान है. यह लड़ाई सिर्फ रेलकर्मियों के लिए नहीं है बल्कि उपभोकताओं के लिए है देश के इंडस्ट्रिज के लिए है. उन्होंने सरकार की नीतियों पर प्रहार करते हुए कहा कि देश की जनता की बदौलत ही आज अंबानी की पहचान बनी. अडानी के लिए सरकार पलके बिछाये है और विदेशी कंपनियों को दावत दे रही है. उन्होंने सरकार की पहल को लेकर आगाह किया कि आज कुछ ट्रेनों को निजी हाथों में देने की बात हो रही है कल यह संख्या दो हजार हो सकती है यह निर्णय न देश के हित में होगा न ही जनता के हित में.
शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि सरकार हमारे उत्पादन इकाईयों को बेचने में लगी है तो हमारे कर्मचारी कहां जायेंगे? मल्टी स्कील योजना के नाम पर एक आदमी से तीन-तीन काम करने की तैयारी चल रही है. सरकार मंहगाई पर रोक नहीं लगा पा रही लेकिन भत्ते पर रोक है. नयी पेंशन स्कीम बड़ा धोका है. रिटायमेंट के बाद रेलकर्मियों ही नहीं सरकारी कर्मचारियों को यह चिंता खाये जा रही. रेलवे में वैकेंसी नहीं आ रही है जो रेलकर्मी सस्ते में सेवा दे रही उसे निजी हाथों में सौपने की तैयारी चल रही है. इसके खिलाफ एकजुट होना होगा और यह जिम्मेदारी हमारी है कि हम न सिर्फ अपने रेलकर्मियों बल्कि आम लोगों तक यह बात पहुंचाये.
शिवगोपाल मिश्रा ने लॉकडाउन में रेलकर्मियों की उपस्थिति और सहयोग को सहयोग प्रेरणा बताया और कहा कि आंदोलन को सीमित नहीं रखे इस आंदोलन से रेलकर्मियों और जनता के बीच ले जाये, तभी हम सरकार को चुनौती दे सकेंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि हर अशांति के लिए जिम्मेदारी सराकर होगी. कहा कि हम विकास के रास्ते पर बाधा नहीं बनना चाहते लेकिन अगर भारत सरकार देश को बेचकर देश के विकास का नाम देना चाहती है तो उसे इसकी इजाजत नहीं दी जायेगी. उन्होंने कहा कि हम अपना अधिकार मांगते है नहीं किसी से भीख.
उधर दूसरी ओर देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन की सूचनाएं मिल रही है. चक्रधरपुर रेलमंडल के टाटानगर स्टेशन पर आज आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आव्हान पर दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस यूनियन ने महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की तर्ज पर रेल बचाओ, देश बचाओ आव्हान के साथ विरोध-प्रदर्शन शुरू किया. यूनियन की इस कदम में आल इंडिया लोकों रनिंग स्टाफ एसोसिएशन, ओवीसी,SC/ST के सदस्यों ने टाटानगर विधुत शेड, टाटा यार्ड में ट्रेक मैन तथा मेन सिक लाइन में जाकर प्रदर्शन किया.
बाढ में ब्रांच के शाखा मंत्री चौधरी राजवीर सिंह एवं शाखा के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल एवं समस्त कर्मचारियों ने निजीकरण कथा निगमीकरण के विरोध मैं धरना प्रदर्शन किया.