न्यूज हंट

सीएजी रिपोर्ट : रेलवे में ठेके मजदूरों को लूट रहे हैं ठेकेदार

नई दिल्ली. यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की तरह मोदी सरकार के कई मंत्री ‘नमो हुडी’ पहने नज़र आने लगे हैं. 50 की उमर में शाहरूख ख़ान भी इस तरह की हुडी पहनते हैं ताकि युवा और ऊर्जावान दिखें. इस हुडी आगमन के पहले भी मीडिया ने कुछ मंत्रियों की छवि ऊर्जावान और कामकाजी के रूप में गढ़ने का काम किया है. उनमें से एक हैं रेल मंत्री पीयूष गोयल. पीयूष गोयल के ट्वीटर हैंडल पर जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि मंत्री जी हर सुबह किसी न किसी महापुरुष की जयंती या पुण्यतिथि पर कोई ट्वीट करते हैं, उनका स्मरण करते हैं और अपनी प्रेरणा बताते हैं. मगर इतने महापुरुषों की प्रेरणा पाकर भी वे अपने मंत्रालय की योजनाओं में ठेके पर काम कर रहे मज़दूरों को शोषण से नहीं बचा सकते हैं.

मीडिया में गढ़ी गई छवि के बरक्स अगर आप ठेके पर काम करने वाले मज़दूरों पर आई सीएजी की रिपोर्ट को देखेंगे कि तो पता चलेगा कि रेलवे बग़ैर किसी मंत्री के चल रहा है. राम भरोसे कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि राम भरोसे तो सारा देश चलता है. मंत्री जी को अगर सीएजी की रिपोर्ट से एतराज़ हो तो वे इस रिपोर्ट को लेकर जाएं और दस बीस हज़ार ठेके के मज़दूरों के बीच पढ़ें. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.

सीएजी ने 2014-15 से लेकर 2016-17 के बीच दिए गए 463 कांट्रेक्ट में काम करने वाले ठेके के मज़दूरों के हालात की समीक्षा की है. इस ऑडिट को पढ़कर लगता है कि रेलवे में 2014 के बाद कुछ भी नहीं बदला है. ठेकेदारों की मौज अब भी जारी है.

रेलवे ने 2016-17 में ठेके पर काम कराने के लिए 35098 करोड़ का भुगतान किया था. सीएजी का कहना है कि ठेकेदारों ने इसका 4 प्रतिशत हिस्सा यानी 1400 करोड़ से अधिक की राशि मज़दूरों के हिस्से से मार लिया. यही नहीं रेल मंत्रालय कई हज़ार करोड़ रुपये के कांट्रेक्ट देती है. उन कामों में ठेके पर रखे गए मज़दूरों को शोषण से बचाने के लिए संसद ने जितने भी कानून बनाए हैं, उनमें से किसी का भी 50 परसेंट भी पालन नहीं होता है. न तो उन्हें न्यूनतम मज़दूरी मिलती है, न ओवर टाइम मिलता है, न छुट्टी मिलती है, न छुट्टी का पैसा मिलता है, न उनका प्रोविडेंड फंड कटता है और न ही उनका भविष्य निधि कर्मचारी संगठन में पंजीकरण है.

सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि नियम के मुताबिक रेलवे की तरफ से कोई भी अधिकारी या प्रतिनिधि इन ठेकों की जांच करने के लिए नहीं जाता है. रेलवे ही नहीं, श्रम मंत्रालय, भविष्य निधि संगठन की तरफ से भी कोई जांच करने नहीं जाता है. ठेकेदारों को लूटने की खुली छूट मिली होती है. बिना लाइसेंस के ठेके दे दिए जाते हैं. सीएजी ने पाया कि मात्र 140 ठेकेदारों ने अपना पंजीकरण सेंट्रल लेबर कमिश्नर के दफ्तर में कराया है. उसमें से भी सिर्फ 12 ठेकेदारों ने अपना सालाना लेखा-जोखा दिया है. जबकि सभी सभी कांट्रेक्टर के लिए हिसाब देना अनिवार्य होता है. रेलवे के पास अपने सभी ठेकेदारों के रिकार्ड होने चाहिए. सीएजी ने जब मांगा तो मात्र 30 ठेकेदारों के रिकार्ड मिलें. आप सोचिए जब भारतीय रेल में तीस चालीस हज़ार करोड़ की परियोजना में ठेकेदार बिना हिसाब-किताब के काम कर रहे हैं तो लूट की राशि का पैमाना क्या होगा?

सैंकड़ों की संख्या में ठेकेदारों ने सीएजी को रिकार्ड ही नहीं दिए. सीएजी देखना चाहती थी कि कितने मज़दूरों को चेक या बैंक से भुगतान हो रहा है. नियम यही है कि भुगतान बैंक या चेक से होगा. 212 कांट्रेक्ट में तो रिकार्ड ही नहीं मिला कि पैसा कैसे दिया गया. मात्र 18 कांट्रेक्ट में वेतन की पर्ची कटी मिली. 169 कांट्रेक्ट में भुगतान नगद किया गया जबकि यह सरकार नगद भुगतान के खिलाफ बताई जाती है. उसे भ्रष्टाचार का ज़रिया मानती है लेकिन रेल मंत्री अपने ही मंत्रालय के कांट्रेक्ट में नगद भुगतान सुनिश्चित नहीं कर सके. ज़ाहिर है रेलवे में ठेकेदार जमकर लूट रहे हैं. 

Spread the love
Click to comment

You May Also Like

न्यूज हंट

रुटीन तबादलों का रास्ता हुआ साफ, डीजी/आरपीएफ ने जवान से लेकर एएससी तक का रखा ध्यान    Transfer System Changed In RPF. देश भर में...

न्यूज हंट

आरती ने रात ढाई बजे ‘ पुरुष लोको पायलट से की थी बात’ फिर लगा ली फांसी : परिजनों का आरोप  रतलाम में पदस्थापित...

न्यूज हंट

रेल परिचालन के GR नियमों की अलग-अलग व्याख्या कर रहे रेल अधिकारी, AILRSA ने जतायी आपत्ति GR 3.45 और G&SR के नियमों को दरकिनार कर...

न्यूज हंट

AGRA. उत्तर मध्य रेलवे के आगरा रेलमंडल में दो मुख्य लोको निरीक्षकों ( Transfer of two CLIs of Agra) को तत्काल प्रभाव से तबादला...

Rail Hunt is a popular online news portal and on-going source for technical and digital content for its influential audience around the Country. Dr. Anil Kumar, Mannaging Editor, Contact with whatsapp 9905460502, mail at editor.railhunt@gmail.com, railnewshunt@gmail.com.

Exit mobile version