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SER : आरपीएफ अफसरों का टूटा वनवास, मिली पोस्टिंग, राउरकेला में मीणा पर बरस रही ‘साहब’ की मेहरबानी

राउरकेला स्टेशन पर धड़ल्ले से चलते थे हॉकर (फाइल फोटो)
  • राउरकेला से टाटा तक अवैध गतिविधियों पर सीआईबी इंस्पेक्टरों का मौन सिस्टम के लिए घातक  
  • सब इंस्पेक्टर को एडहक इंस्पेक्टर बनाकर एक साल से उपकृत करने पर बल के लोग उठा रहे सवाल
  • आरपीएफ महकमे में तेज है चर्चा – जब तक सीनियर डीएसई और आईजी हैं कोई हिला नहीं सकता

राउरकेला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में देश को अपने संबोधन में कहा कि ”भ्रष्टाचार के प्रति लोगों में नफरत तो है लेकिन भ्रष्टाचारियों के प्रति उनमें उदारता का भाव भी है.” पीएम ने यह टिप्पणी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर  देशवासियों को संबोधित करते हुए कही थी लेकिन (SER) दक्षिण पूर्व रेलवे के (CKP DIVISION) चक्रधरपुर डिवीजन के आरपीएफ महकमे पर यह सटीक प्रतीत हो रही है.

कारण है कि किसी अनियमितता को लेकर बार-बार आवाज उठाने के बाद भी जब उच्चाधिकारी मौन साध लें तो इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं. कहा जाने लगा है कि जब शीर्ष नेतृत्व और प्रबंधन अपना एजेंडा सेट करने में लगा हो, तब अफसर निरंकुश और व्यवस्था भ्रष्ट ही होती है, क्योंकि तब नीचे देखने वाला कोई नहीं होता !

राउरकेला स्टेशन पर बेखौफ फेरी करता अनाधिकृत हॉकर

अब आते है चक्रधरपुर डिवीजन के राउरकेला स्टेशन पर जहां अवैध हॉकरों की मनमानी पर बोली लग रही है. यह सिर्फ राउरकेला की बात नहीं है टाटानगर तो इनमें सबसे ऊपर है. लेकिन अभी राउरकेला को लेकर अधिक हल्ला मच रहा है क्योंकि यहां कोई भी आरपीएफ के पोस्ट कमांडर को खुश कर दे तो झोली लेकर स्टेशन और ट्रेन में फेरी कर सकता है. कुछ भी बेच सकता है. चाहे वह यात्रियों के लिए सुरक्षित है अथवा  नहीं. यहां यही हो रहा है. हॉकरों की संख्या स्टेशन पर अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है. स्टेशन पर अवैध हॉकरों की गतिविधि को लेकर लगातार ट्वीट हो रहे. कुछ रेलहंट को भी मिले हैं.

इस्पात एक्सप्रेस में अनाधिकृत प्रवेश पर आरपीएफ मौन

यहां यह बताना आवश्यक है कि कुछ दिनों पूर्व टाटा से पदस्थापित होकर आये एक कॉमर्शियल इंस्पेक्टर ने हॉकरों की अवैध गतिविधियों को रोकने की बात कही थी. यही नहीं उनकी ओर से लगातार अवैध हॉकरों की रिपोर्ट की जाने लगी. नतीजा हुआ कि स्टेशन पर अवैध हॉकरों की गतिविधि अचानक से बंद हो गयी. 10 दिनों तक अवैध हॉकर स्टेशन पर नजर नहीं आये तो इसकी खलबली चक्रधरपुर से कोलकाता तक मच गयी.

रेलहंट ने इस पर ”SER : राउरकेला- झारसुगुड़ा सेक्शन पर कमर्शियल व आरपीएफ में चल रही गुप्त मंत्रणा !” शीर्ष से खबर भी प्रकाशित किया था. लेकिन बाद में यह सूचना आयी कि राउरकेला में तैनात पूर्व के एक कामर्शियल इंस्पेक्टर ने आरपीएफ के पोस्ट प्रभारी के साथ गुप्त मीटिंग की. वहीं सीआईबी के एक इंस्पेक्टर ने राउरकेला के कॉमर्शियल इंस्पेक्टर से बात की, इसके बाद अचानक सब कुछ पूर्ववत हो गया. अब यह बताने की शायद जरूरत ही नहीं रही कि मीटिंग में क्या-क्या हुआ होगा? क्योंकि हर स्टेशन पर तैनात आरपीएफ इंस्पेक्टर से लेकर कॉमर्शियल इंस्पेक्टर को स्टेशन पर होने वाली हर अवैध गतिविधि की स्वाभाविक तौर पर पूरी जानकारी होती है.

राउरकेला-झारसुगुड़ा के बीच ट्रेन में अवैध हॉकर

स्पष्ट है कि स्टेशन से लेकर ट्रेनों में चलने वाले अवैध हॉकरों की गतिविधि जो सीधे तौर पर यात्रियों को प्रभावित करती है और अपराध का बड़ा कारण भी बन सकती है यह सब-कुछ जानते हुए भी डिवीजन में तैनात आरपीएफ के सीआईबी इंस्पेक्टरों ने कभी अपने सीनियर डीआईजी/एसईआर को रिपोर्ट नहीं भेजी. अब अगर रिपोर्ट की तो उस पर क्यों कार्रवाई नहीं हुई? अगर कार्रवाई हुई तो फिर से यह धंधा कैसे शुरू हो गया? यह सब प्रधानमंत्री के बयान और वक्तव्य की मंशा को परिभाषित कर देता है.

बात यहीं तक नहीं ठहरती है. चक्रधरपुर रेलमंडल में (SrDSC) सीनियर कमांडेंट हैं ओंकार सिंह, जिनकी प्रशासनिक महकमे में अच्छी पैठ है और उनकी पहचान आदेश के सख्ती के अनुपालन कराने वाले अफसरों में होती है (कुछ अपवाद को छोड़कर). यहीं स्थिति (SER/RPFIG) ईर्स्टन रेलवे के आईजी डीबी कसार को लेकर भी कही जाती है. इन दोनों अधिकारियों की पोस्टिंग तब हुई थी जब जोन से लेकर डिवीजन तक भ्रष्टाचार को लेकर हंगामा मचा हुआ था. आरपीएफ के तत्कालीन डीजी अरुण कुमार को इसमें सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा और एक ही झटके में कई इंस्पेक्टर से लेकर डीएसई और आईजी तक को बदल दिया था.

राउरकेला के पोस्ट प्रभारी एसएल मीणा

अब ऐसे में शिकायतों के अंबार के बीच राउरकेला में सब इंस्पेक्टर से एडहक इंस्पेक्टर बनाये गये एसएल मीणा की पोस्टिंग को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. मीणा का नाम ऑल इंडिया टेस्ट की पदोन्नति लिस्ट से गायब है. नियमानुसार उन्हें डिमोट कर सब-इंस्पेक्टर बना दिया जाना था. लेकिन उन्हें एक साल से राउरकेला में इंस्पेक्टर बनाकर रखा गया है. जबकि उनके साथ एडहक इंस्पेक्टर बने सभी इंस्पेक्टरों के कंधों से एक स्टार हटाया जा चुका है जो टेस्ट में असफल हो गये थे, सिवाय राउरकेला ओसी एसएल मीणा के.

राहत की बात है कि कई माह से पदोन्नति के बाद तीन स्टार लगाकर पोस्टिंग का इंतजार कर रहे आधा दर्जन से अधिक इंस्पेक्टरों का वनवास खत्म हो गया है. उन्हें पोस्टिंग दे दी गयी है. हालांकि महकमे में इस बात की चर्चा आम है कि तमाम झंझावतों के बावजूद ऑल इंडिया टेस्ट की सूची में नाम नहीं आने के बाद भी राउरकेला कमांडर पर साहब की मेहरबानी बरस रही है. जवान और कई अधिकारी भी इस मुद्दे पर चटखारे लेकर चर्चा कर रहे हैं. महकमे के लोगों का कहना है कि डीजी/आरपीएफ इस बात की जांच रेलवे बोर्ड की आईवीजी टीम से कराये कि सब-इंस्पेक्टर पद से पदोन्नति पाने के बाद सभी इंसपेक्टरों को किन परिस्थितियों में उसी स्थान पर चार माह से अधिक समय तक लंबित रखा गया ?

स्टेशन पर चोरों की धड़पकड़, बच्चों को रिस्क्यू व यात्रियों को चलती ट्रेन से गिरने से बचाने का शोर मचाने वाला आरपीएफ का ट्वीटर हेंडल आखिर रेल क्षेत्र में चल रही अवैध गतिविधियों, रेल सम्पत्ति की चोरियों, हॉकरों की धमाचौकड़ी पर क्यों मौन है, इस पर बोलने के लिए कोई अधिकारी तैयार नहीं है. हालात यहां तक बन गये है कि टाटा से लेकर राउरकेला तक आरपीएफ महकमें में दोनों कमांडर कहते सुने गये है कि चाहे कोई कुछ भी हो जाये सीनियर डीएसई और आईजी के रहते हमारा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है.

क्रमश :

#RPF INDIA  #INDIANRAIL #DG RPF #IG SER RPF #RAILWAY PROTECTION FORCE

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