देश-दुनिया

दक्षिण पूर्व रेलवे : बोर्ड का आदेश ठेंगे पर, मनमाना किया तबादला, अब राहत की उम्मीद

  •  सीपीओ ने सभी रेल मंडल प्रबंधकों को जारी की गाइड लाइन, याद दिलाया सकुर्लर 117/2012
  •  चक्रधरपुर वाणिज्य विभाग ने डेढ़ माह में 400 से अधिक को इधर से उधर कर तोड़ डाला रिकार्ड
  •  चार साल की जगह किये गये 12 साल बाद एकमुश्त तबादले, भेदभाव के भी लगे आरोप
  • तबादलों में उसी स्टेशन में दूसरे स्थान पर पदस्थापना का दिशानिर्देश देता है आरबीइ 48/12

कोलकाता से तारकेश.  रेलवे बोर्ड का आदेश और तबादलों को लेकर जारी की गयी पूर्व की गाइड लाइन को दरकिनार कर दक्षिण पूर्व रेलवे में बड़े पैमाने पर रेलकर्मियों का तबादला कर दिया गया है. कई रेलकर्मियों को वर्तमान के मूल स्थान से काफी दूर भेजा गया है. हालांकि तबादलों की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए रेलवे की यूनियनों ने गंभीर आपत्ति दर्ज करायी थी, जिसे दरकिनार कर अधिकारियों ने बड़ी संख्या में तबादलों को अंजाम देना जारी रखा. ये तबादले चक्रधरपुर, रांची, खड़गपुर, आद्रा मंडल में सेंसेटिव पदों के आधार पर किये गये. कर्मचारियों को इधर से उधर करने में सबसे अधिक जल्दबाजी चक्रधरपुर रेलमंडल के वाणिज्य विभाग में दिखायी गयी जहां 400 से अधिक कर्मचारियों को डेढ़ माह के अंतराल में ही इधर से उधर कर दिया.

हालांकि रेलवे मेंस यूनियन ने तबादलों का लगातार विरोध करते हुए जोनल रेलवे के समक्ष अपनी बातों को गंभीरता से रखा. कई बार की मीटिंग के बाद मुख्य कार्मिक पदाधिकारी को यूनियन नेता गौतम मुखर्जी और शिवजी शर्मा यह अहसास दिलाने में कामयाब रहे कि सेंसिटिव पदों पर तबादलों के नाम पर काफी कुछ नियम के विपरीत किया गया और इसका असर न सिर्फ रेलवे के कामकाज बल्कि उसके राजस्व पर भी पड़ने वाला है. अंतत : मुख्य कार्मिक अधिकारी रवि कुमार ने 29 जून को सभी मंडल रेल प्रबंधकों को दिशानिर्देश जारी कर रेलवे बोर्ड और जोनल रेलवे के सकुर्लर की याद दिलायी और तबादलों में गंभीरता से नियमों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है. इसे रेलवे मेंस यूनियन नेता बड़ी उपलब्धि के रूप में ले रहे है, हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि सीपीओ के आदेश काे किस तरह रेलवे अफसर परिभाषित करते है और बोर्ड के गाइड लाइन का पालन किस तरह किया जाता है. यूनियन दावों से हटकर रेलकर्मियों को कितनी राहत दिला पाता है.

ढाई साल वाले को भेजा, 12 साल वाले जमे है

तबादलों के बाद बोर्ड के सकुर्लर का पालन नहीं करने के आरोप रेलवे पदाधिकारियों पर लगाये गये. कई कर्मचारियों ने बताया कि समयबद्ध तबादलों में उन्हें निर्धारित अवधि (चार साल) पूरी होने से पूर्व ही इधर से उधर कर दिया गया जबकि 12 साल से जमे कई कर्मचारियों को इससे राहत दे दी गयी. इसमें वृहद पैमाने पर भेदभाव के आरोप लगे, लेकिन रेलवे पदाधिकारी आंख मुंदें कलम चलात रहे. इस तरह रेलवे बोर्ड के साथ ही जोनल रेलवे के सकुर्लर को भी ठेंगे पर रखा गया. तबादलों में पद-पैरवी का भी जोर चला और रेलवे अफसरों के कई चहेते रेलकर्मियों ने अपनी सुविधा के अनुसार साहब को गुमराह कर विरोधियों पर निशान साध लिया और उनकी पोस्टिंग दूर के स्थानों पर करवाने में सफल रहे.

सेंसिटिव पदों पर तबादलों से पूर्व नहीं किया गया मर्जर का इंतजार, कई हो जाते एडजस्ट

तबादलों के बाद सबसे अधिक सवाल चक्रधरपुर वाणिज्य विभाग में उठाये गये. यहां विभागीय स्तर पर कैडर का मर्जर नहीं किया गया है, इस कारण सबसे अधिक वाणिज्य कर्मी यहां प्रभावित हुए है. बताया जाता है कि सभी जोनल रेलवे में विभागीय मर्जर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसमें टीटीइ, इएसएसआर, बुकिंग, पार्सल, सीएफओ कर्मियों को मर्ज कर दिया गया है. इस कारण कर्मचारियों को इधर से उधर करने में अधिक परेशानी नहीं हुई और वर्तमान स्टेशन पर ही रेलकर्मियों को दूसरी जगह स्थान मिल गया. हालांकि चक्रधरपुर रेलमंडल और जेान में मर्जर की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो सकी है. रेलवे यूनियन नेताओं का तर्क है कि अगर छह माह का समय दिया जाता और मर्जर प्रक्रिया पूरी हो जाती है अधिकांश रेलकर्मियों को उनके मूल स्टेशन पर ही पदास्थापित किया जा सकता था, जिन्हें दूर के स्टेशनों पर भेजा गया है.

चक्रधरपुर रेलमंडल में तबादलों को लेकर काफी जल्दबाजी की गयी है. खासकर वाणिज्य विभाग में 12 से 14 साल से तबादले नहीं किये गये थे. अगर छह माह ओर रूककर पहले मर्जर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती और तब तबादले किये जाते तो बड़ी संख्या में कर्मचारियों को दूर के स्टेशन पर भेजने से बचा जा सकता था.
जवाहरलाल, मंडल को-आर्डिनेटर, रेलवे मेंस यूनियन

क्या कहता है आर्डर नंबर आरबीइ 48/12, एसइआर 117/2012

तबादलों पर आपत्ति जताने वाले रेलवे मेंस यूनियन नेताओं ने जोनल पदाधिकारियों को इस्टेब्लिस्टमेंट आर्डर 117/2012 (आरबीअइ नंबर 48/12) की याद दिलायी. इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सेंसिटिव पद यानि वह कर्मचारी जो लगातार लोगों अथवा सप्लायर के संपर्क में होते है उन्हें चार साल में पद से हटाकर दूसरे स्थान पर भेजा जाना है लेकिन इसमें यह ध्यान रखना है कि तबादलों से वह अधिक प्रभावित न हो ओर उक्त स्टेशन पर उसकी पोस्टिंग संभव नहीं हो पा रही है तो किसी नन-सेंसिटव सीट पर उसी स्थान पर उसकी पोस्टिंग कर दी जाये. रेलवे बोर्ड के इस आदेश का पालन करने में कोहाली बरते जाने का आरोप यूनियन ने लगाया है. इन आरोपों के विपरीत रेलवे के अधिकारी तबादलों को नियम संगत बता रहे है. उनका कहना है कि आदेश और सर्कुलर के तहत की तबादलों को अंजाम दिया गया है, इसे लेकर कुछ आपत्तियां जरूर आयी है लेकिन प्रयास है कि लंबे समय से सेंसिटिव स्थान पर जमे कर्मचारियों को इधर से उधर किया जाये. जोन में तबादलों पर यथाशीघ्र अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए चक्रधरपुर सीनियर डीसीएम की कार्यप्रणाली को सराहा गया है और सभी मंडल में तबादलों को समयबद्ध अवधि में अंजाम देने का आंदेश दिया गया है.

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