देश-दुनिया

रेलवे ने 32 अधिकारियों को किया जबरन रिटायर, सर्विस रिव्यू वाले कर्मचारियों में दहशत

  • चेन्नई में एआईआरएफ के अधिवेशन खत्म होने के दिन ही जारी किया गया फरमान 
  • 30 साल की सेवा और 50 की उम्र पूरा करने वाले रेलकर्मियों की हो रही सर्विस रिव्यू
  • हर जोन और मंडल में सूची बनाकर तैयार, कामकाज की समीक्षा के बाद कार्रवाई संभव
  • एक दिन पूर्व ही अधिवेशन में शामिल हुए चेयरमैन में नौकरी के सुरक्षा की दी थी गारंटी  

रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली

रेल मंत्रालय ने अपने एक कड़े निर्णय में 32 अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है. रेलवे ने इसे पब्लिक इंटरेस्ट को उठाया गया कदम करार दिया है. जबरन सेवानिवृत्ति वाले अधिकारियों की उम्र 50 साल से अधिक है. यह कदम उन अधिकारियों की कामकाज की समीक्षा के बाद उठाया गया है. रेलवे इस तरह के कदम आगे भी उठा सकती है क्योंकि अभी भी कई अधिकारियो के कामकाज की समीक्षा की जा रही है. रेलवे की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कार्य समीक्षा में अक्षम, संदेहास्पद निष्ठा रखने वाले और प्रतिकूल आचरण वालों को जबरन सेवानिवृत्त दी जायेगी. रेलवे ने जिन 32 अफसरों को रिटायर किया है उन्हें भी इस मापदंड पर परखा गया है. रेलवे ने कार्रवाई की सूचना शुक्रवार 6 दिसंबर को चेन्नई में आँल इंडिया रेलवे मेंस फडरेशन के 95वें वार्षिक अधिवेशन के समापन के ठीक बाद जारी किया.

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव एक दिन पूर्व की चेन्नई में आयोजित एआईआरएफ के अधिवेशन में शामिल हुए थे और मंच से रेलकर्मियों के नौकरी की सुरक्षा की गारंटी देते हुए निजीकरण और निगमीकरण को लेकर चल रही चर्चाओं को मीडिया का झूठ करार दिया था. तब शायद किसी को इसका आभास तक नहीं था कि रेलवे इतना सख्त कदम उठाने जा रहा है.

रेल मंत्रालय के इस निर्णय से बीते दिनों सर्विस रिव्यू को लेकर चल रही अटकलें अचानक तेज हो गयी है. इस तरह विभिन्न जोन और मंडल में सर्विस रिव्यू की सूची में आने वाले रेलकर्मियों की सांसें बोर्ड के इस निर्णय से टंग गयी है. वह दहशत में है. उन्हें यह भय सताने लगा है कि अब उनके साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जा सकता है. रेलवे बोर्ड ने सर्विस रिव्यू के पहले चरण में अधिकारियों पर गाज गिराकर यह संकेत दे दिया है कि उसके निशाने पर हर वह कर्मचारी है जो सेवा शर्तों के अनुसार फीट नहीं बैठता. मजे की बात यह है कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव एक दिन पूर्व की चेन्नई में आयोजित एआईआरएफ के अधिवेशन में शामिल हुए थे और मंच से रेलकर्मियों के नौकरी की सुरक्षा की गारंटी देते हुए निजीकरण और निगमीकरण को लेकर चल रही चर्चाओं को मीडिया का झूठ करार दिया था. तब शायद किसी को इसका आभास तक नहीं था कि रेलवे इतना सख्त निर्णय उठाने जा रहा है.

रेलवे बोर्ड के सूत्रों की माने तो अफसरों के काम की समीक्षा विभिन्न स्तरों पर गठित की गयीं समितियों द्वारा करायी गयी. कुल 1780 अधिकारियों की समीक्षा के बाद 32 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया गया. इनमें से ग्रेड ‘ए’ के 1410 अधिकारियों की समीक्षा करके 22 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गयी है. रेलवे बोर्ड ने इस क्रम में आरबीएसएस और आरबीएसएसएस मिस्लीनियस ‘ए’ और ‘बी’ के क्रमश: 131 और 118 अधिकारियों के काम की समीक्षा करायी थी. जिनमें दो-दो अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय हुआ. सीएंडडी सेवा के 121 अधिकारियों की समीक्षा करके छह को रिटायर किया गया है.

यह भी पढ़ें : चक्रधरपुर रेलमंडल में सर्विस रिव्यू के लिए 163 रेलकर्मियों की सूची जारी

बताया जाता है कि जूनियर एडमिनिस्ट्रेशन ग्रेड और गैर राजपत्रित अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा अभी करायी जा रही है, उनमें मानक से बाहर आने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. इससे पहले 2016-17 में रेलवे ने चार अधिकारियों को स्थाई रूप से सेवानिवृत्त करके कड़ा संकेत देने का प्रयास किया था. लेकिन बाद इस नियम को ढीला बना दिया गया. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक एक अंतराल के बाद सर्विस की समीक्षा रेलवे के नियमों में शामिल है लेकिन ऐसा कम ही होता है कि किसी को समय से पहले रिटायर कर दिया जाये.

हालांकि इस बार पीएमओ ने नॉन परफॉर्मेंस और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का आदेश रेलवे बोर्ड को दिया था. सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) 1972 के नियम में कहा गया है कि 30 साल की सेवा पूरी कर चुके या 50 की उम्र पार कर चुके अधिकारियों की सेवा सरकार समीक्षा के आधार पर समाप्त कर सकती है. इसके लिए सरकार को नोटिस देना होगा और तीन महीने का वेतन भत्ता भी देना होगा. अक्षमता या अनियमितता के आरोपों के बाद यह समीक्षा की जाती है.

नियम के दायरे में अब ग्रुप सी के भी अधिकारी

सरकार के पास जबरन रिटायरमेंट देने का विकल्प दशकों से है लेकिन अब तक इसका इस्तेमाल बहुत कम ही किया गया है. हालांकि वर्तमान सरकार इन नियमों को सख्ती से लागू करने में जुटी है. इस नियम में अब तक ग्रुप ए और बी के अधिकारी ही शामिल थे लेकिन अब ग्रुप सी के अधिकारियों को भी इसके दायरे में लाया गया है. केंद्र सरकार ने अब सभी केंद्रीय संस्थानों से मासिक रिपोर्ट मांगना शुरू किया है. इसके तहत रेलवे में बीते चार माह पूर्व से सर्विस रिव्यू के लिए रेलकर्मियों की सूची बनकर तैयार है. अधिकारियों को जबरन रिटायर किये जाने के बाद देश भर में जोन और मंडल में इस दायरे में आने वाले रेलकर्मियों की बेचैनी बढ़ गयी है.

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