- संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को उच्च स्तरीय ट्रेनिंग देकर ‘स्मार्ट’ बनाने की है तैयारी
- एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन के पदाधिकारियों की मांगों पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने जतायी सहमति
- एसएंडटी स्टाफ (सिग्नल और टेलीकॉम कर्मचारी) के सभी कर्मियों को रिस्क व हार्डशीप अलाउंस देने की मांग
- एक यूटिलिटी व्हीकल नाईट ड्यूटी फेलियर गैंग को दिया जाएगा, ताकि साइट तक पहुंचाने में परेशानी ना हो
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार ने कहा है कि एसएंडटी विभाग में क्रांतिकारी परिवर्तन होने जा रहा है. आने वाले कुछ सालों में सिग्नलिंग का नक्शा बदल जायेगा. रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम में यूरोपियन मॉडल पर ETCS LEVEL 2 इंस्टाल करने जा रही है, जिसमें ट्रेन की स्पीड 250 KMPH तक होगी. इसमें S&T विभाग की भूमिका अहम होगी. इसलिए संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को उच्च स्तर की ट्रेनिंग की वयवस्था कर उन्हें स्मार्ट कर्मचारी बनाने की तैयारी की जा रही है. इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे है और जल्द ही परिणाम दिखने लगेगा.
IRSTMU के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने एसएंडटी स्टाफ (सिग्नल और टेलीकॉम कर्मचारी) दोनों के लिए, सभी सहायक (एसएंडटी), सभी तकनीशियन (एसएंडटी), सभी जेई (एसएंडटी) और सभी एसएसई (एसएंडटी) के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ता दिये जाने की मांग की. उन्होंने यह भी बताया कि टेलीकॉम कर्मचारियों की कार्य प्रकृति बहुत कठिन है और हमारे टेलीकॉम कर्मचारी डिजास्टर मैनेजमेंट टीम के रूप में काम कर रहे हैं और यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो टेलीकॉम स्टॉफ को पहले दुर्घटना स्थलों पर संचार प्रणाली को बहाल करना होता है जहां सभी चीजें नष्ट हो चुकी होती हैं. इसलिए टेलीकॉम स्टाफ का काम भी एआरटी में हाई रिस्क और हार्डशिप का है, सिग्नल स्टाफ की तरह टेलीकॉम स्टाफ दोनों को रिस्क और हार्डशिप अलाउंस दिया जाना चाहिए.
हमारे टेलीकॉम कर्मचारी डिजास्टर मैनेजमेंट टीम के रूप में काम कर रहे हैं और यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो टेलीकॉम स्टॉफ को पहले दुर्घटना स्थलों पर संचार प्रणाली को बहाल करना होता है जहां सभी चीजें नष्ट हो चुकी होती हैं. इसलिए टेलीकॉम स्टाफ का काम भी एआरटी में हाई रिस्क और हार्डशिप का है, सिग्नल स्टाफ की तरह टेलीकॉम स्टाफ दोनों को रिस्क और हार्डशिप अलाउंस दिया जाना चाहिए.
आलोक चंद्र प्रकाश, महासचिव, IRSTMU
राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने रेलवे बोर्ड चेयरमैन के सामने सहायकों को तकनीशियनों (एसएंडटी) में पदोन्नति के अवसर बढ़ाने की मांग की. इसके अलावा ग्रुपा डी सहायक/हेल्पर से ग्रुप बी ADSTE तक मात्र नौ साल में पदोन्नति का रास्ता खोले जाने की मांग की गई. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भुवनेश त्रिपाठी ने सहायकों को प्रारंभिक प्रशिक्षण का प्रस्ताव दिया है. चेन्नई के गणेश ने तकनीशियनों को और अधिक पदोन्नति के अवसरों को खोलने का मुद्दा उठाया है और सुझाव दिया है कि सभी तकनीशियनों (एसएंडटी) को तकनीशियन के रूप में तीन साल के अनुभव के बाद एलडीसीई कोटा से ADSTE बनने के योग्य बनाया जाना चाहिए. आगरा के बीएल मीना ने सुझाव दिया है कि एसएंडटी विभाग में अच्छी गुणवत्ता के उपकरण लगाए जाने चाहिए, जिनका जीवन चक्र अधिक और विश्वसनीय हो.
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